
कोरोना वारियर्स कर रहे हैं नागरिक अधिकारों का उलंघन
इरफान मालिक की कलम से :-
जनपथ टुडे, डिंडोरी, कोरोना महामारी फैलने की रफ़्तार दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है रोज़ करोना पाज़िटिव की तादाद में वृद्धि होती जा रही है। ऐसे समय में जब स्वास्थ्य विभाग को और अधिक गंभीरता से संवेदनशील होकर सामूहिक प्रयास से इस महामारी का मुकाबला करना चाहिए वहीं इससे उलट नजारे देखने को मिल रहें हैं कोरोना वारियर्स टीमों में समन्वय की कमी साफ़ महसूस होती हैं, सेंपलिंग टीम और चिकित्सालय प्रशासन में तालमेल नहीं है। अब तक कभी सेंपलिंग टीम तीसरे दिन ही करोना पाज़िटिव के संपर्क में आए हुए लोगों का सेंपल लेने पहुंच जाती हैं तो कभी कहा जाता है पांच दिन बाद सेंपलिंग होगी, कभी तीसरे दिन रिपोर्ट आ जाती है कभी पांच दिन लग जाते हैं इससे नागरिकों में भ्रम और दहशत की स्थति बन गई हैं। कोरोना सेंपलिंग के लिए कोविड,-19 के क्या दिशा निर्देश है इसकी भी कोई जानकारी सार्वजानिक नहीं की जा रही है उल्टा पूछने पर कोरोना वारियर्स बदतमीजी से पेश आते हैं और ऐसा बर्ताव करते हैं जैसे किसी अपराधी को पकड़ने निकले हैं। ऐसी ढ़ेरों शिकायत लगातार मिल रही हैं जिनमें साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है कि करोना के आड़ में नागरिकों के अधिकारों से संबंधित जानकारी नहीं देकर उनके कानूनी और संवैधानिक अधिकार को कुचला जा रहा है। पुलिस व प्रशासन भी सच्चाई का पता लगाएं बिना वारियर्स के पक्ष में खड़ा दिखाई देता है और संभ्रांत परिवार के घर पुलिस तक पहुंचा दी जाती हैं, जिससे उनकी गरिमा और सम्मान को क्षति पहुंचाई जा रही हैं। जनहित में आवाश्यक है कि आम नागरिकों को कोरोना की इस मुहिम में जोड़ा जाएं उन्हें उनके अधिकारों और कर्तव्यों को समझाया जाएं और सामूहिक प्रयास से इस महामारी से निपटने की कोशिश की जाएं।
कोबिड के उपचार के दौरान भी लोगों की सेंटरो में घटिया खाने और अव्यवस्थाओं की खबरें कई जगह से सुनाई दे रही है, जिन पर भी शासन और प्रशासन को सतर्कता बरतनी होगी कार्यवाहियां करनी होगी। कोरोना संक्रमण के नाम पर आपातकाल सी स्थितियां निर्मित नहीं की जानी चाहिए, यह एक बड़ी लड़ाई है जो सबकी सहभागिता से ही सफलतापूर्वक लड़ी जा सकती है इसमें कोरोना पीड़ितों और उनके परिजनों पर दबाव बनाने की कार्यवाही कहीं से उचित नहीं है।