समूहों को ऋण देने वाली संस्था के शाखा प्रबंधक ने किया लाखों का घोटाला, आरोपी पुलिस रिमांड पर

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 26 सितंबर 2020, प्राप्त जानकारी के अनुसार संहिता कम्युनिटी डेवलपमेंट सर्विसेस जो कि महिलाओं के समूहों को ऋण प्रदान करती है और फिर उनसे किस्तों में मय ब्याज वसूली की जाती है। संस्था के डिंडोरी में पदस्थ शाखा प्रबंधक किशोर बरमैया जो कि डिंडोरी में वर्ष 2018 से कार्यरत हैं के द्वारा संहिता (इंडसइंड बैंक) को लगभग ₹ 31,74,000 का चूना लगाने की शिकायत संस्था के यूनिट मैनेजर शाहिन खान द्वारा 22 सितंबर को डिंडोरी कोतवाली में की गई थी। आरोपी द्वारा लोगो के दस्तावेजों के माध्यम से फर्जी लोन पास कर राशि हड़पे जाने व लोगो से प्राप्त किस्त हड़पे जाने का मामला है।

आरोप के आधार पर किशोर बरमैया पिता मुन्ना लाल निवासी धौरगांव जिला मंडला पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420 के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपी को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है।

प्राप्त शिकायत के अनुसार आरोपी शाखा प्रबंधक द्वारा फर्जी ऋण वितरण, लोन का पूर्व किस्त भुगतान लेना और हितग्राहियों से किस्त वसूलकर राशि बैंक में जमा करने की बजाय संस्था का पैसा निजी उपयोग में लिया जाता रहा।

शिकायत के अनुसार 70 सदस्यों के नाम पर 2164172/- के फर्जी ऋण दिए गए, पूर्व भुगतान 34 सदस्यों से 28 8233/- वसूले गए, इसके अलावा 341 सदस्यों से 721693/- की किस्त लॉकडाउन के दौरान वसूली गई और राशि बैंक में जमा न कर आरोपी शाखा प्रबंधक द्वारा अपने निजी उपयोग में ली गई।

 

समूहों को लोन देने वाली सस्थाओ में, बड़े स्तर की गड़बड़ियां

गौरतलब है कि जिले में महिला समूहों को ऋण देने के नाम पर दर्जनों कंपनियों ने अपना अड्डा डिंडोरी में बना रखा है। जिनके माध्यम से इसी तरह की और भी गड़बड़ियां की जा रही हैं जो कि अब तक संज्ञान में नहीं आई है। इसी मामले में शाखा प्रबंधक के द्वारा जिन लोगों के फर्जी दस्तावेज लगाकर ऋण वितरित किए गए थे कल कंपनी उस राशि की वसूली उन लोगो से भी करने का दबाव बना सकती थी जिनके दस्तावेज के आधार पर फर्जी लोन निकाला गया था। कम पढ़े लिखे, ग्रामीण और महिलाएं यह साबित करने में सक्षम साबित हो जाते की लोन उनके द्वारा नहीं लिया गया है। क्योंकि इन कंपनियों में जब महिलाएं लोन लेने जाती है तब संस्थाओं के द्वारा उनके दस्तावेज और कागजों पर कई जगह हस्ताक्षर लिए जाते हैं, जो कि उन्हें भी नहीं पता होता कि किसलिए और किस कागज पर लिए जा रहे हैं। उस स्थिति में तकनीकी रूप से ऐसे गरीब निर्दोष लोग भी लोन चुकाने मजबूर होगे दस्तावेजो पर जिनके हस्ताक्षर होंगे।

गौरतलब है कि जिले में ऐसी कंपनीयो पर कोई नियंत्रण नहीं है और इनमें कार्यरत अमला पूरी तरह से बाहरी है, ये स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं देते जो कि अपने आप में संदिग्ध है। नॉट फॉर प्रॉफिट, सेक्शन 8 अन्तर्गत पंजीकृत इन कम्पनियों द्वारा साहूकारो की तरह 24 से 25% तक ब्याज पर महिलाओं को लोन उपलब्ध कराया जाता है। इन संस्थाओं द्वारा बताया जाता है कि उन्हें अनुमति प्राप्त है जबकि व्यावहारिक रूप में 20 से 25% तक की ब्याज दर पर छोटे समूह को ऋण उपलब्ध कराने की अनुमति रिजर्व बैंक द्वारा नहीं दी जा सकती है। इस संदर्भ में हमारे द्वारा पूर्व में सेंट्रल बैंक के अधिकारियों से भी चर्चा की गई उनके द्वारा भी किसी तरह का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया न ही जिले में कार्यरत इन संस्थाओं की पड़ताल की गई। जिले में वित्तीय कारोबार कर रही इन कम्पनियों की जिला प्रशासन से न कोई अनुमति है न इनकी कही कोई जानकारी पंजीबद्ध है।

जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा चिटफंड कंपनियों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उसी तरह इन कंपनियों की वैधानिकता तथा इनके द्वारा किए जा रही कारोबार की जांच कराने के साथ जिले में इन कम्पनियों किए जा रहे लंबे चौड़े कारोबार की जानकारी भी खंगाली जानी चाहिए। समय रहते इनका परीक्षण एक बार अवश्य करवा लिया जाना चाहिए अन्यथा भविष्य में ये संस्थाएं भी जिले की गरीब जनता और अशिक्षित महिलाओं को लूटने वाली साबित हो सकती हैं।

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