
किसान आंदोलन चरम पर सरकार के हाथ पांव फूले
जनपद टुडे, नई दिल्ली, 27 नवंबर 2020, केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान बिल के विरोध में पंजाब और हरियाणा से उपजा किसान आंदोलन धीरे धीरे उत्तर प्रदेश और बिहार की सरहदों से सुलगता हुआ देशव्यापी होता जा रहा है। सरकार इस बढ़ते हुए आंदोलन की उग्रता से बेचैन है, सरकार के हाथ पांव फूल रहे हैं। किसान आंदोलन को दबाने की केंद्रीय सरकार के सभी तौर तरीके असफल साबित हो रहे हैं और किसान दिल्ली जाने पर अड़े हुए हैं। आंदोलनकारी किसानों का स्पष्ट कहना है सरकार चाहे जितने जुल्म कर ले जितनी भी दमन की कार्यवाही कर ले हम दिल्ली जाकर रहेंगे और अपना प्रदर्शन करके विरोध जताकर ही मानेंगे। सरकार की तरफ से हो रही दो तरफा कार्यवाही भी निरंतर चालू है सरकार कभी वार्ता का रास्ता चुनती है तो कभी दमन का मगर किसान आंदोलन को दबाने में असफल होती जा रही है और कानून – व्यवस्था की स्थिति विकराल होती जा रही है।
आंदोलनकारी आवाज उठाओ गरीबी मिटाओ, किसान को कर्ज और आत्महत्या से बचाओ के नारों के साथ मोर्चे पर डटे हुए हैं। किसानों की मुख्य मांगे निम्न है :-
1- किसान का कर्ज माफ करो।
2- किसान की फसलों के दाम 2020 तक अधिकतम मूल्य से ₹200 प्रति कुंटल बढ़ाओ।
3- किसान की फसलों के दाम फिक्स करो ( साल भर न घटे न बढ़े)
4- महंगाई भत्ता में हर वस्तु की तरह किसान की फसलों के दाम भी हर साल प्रति किलो 1 रुपए बढ़ाओ।
5- किसान की फसल की खरीद सरकार करें और पैसा किसान को नगद मिले।
6- खेत में धान की पराली जलाने की रोक जो सरकार और कोर्ट ने लगाई है उसका समाधान भी किसान को सरकार दे।
किसान आंदोलन के आवाह्न पर देश भर के किसान एकजुट हो रहे है और किसानों द्वारा उठाई जा रही मांगो को समर्थन मिल रहा है।