जल संसाधन विभाग की लापरवाही से शाहपुर के किसान हुए बेहाल

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सूखी पड़ी नहरें नहीं हो पाई रबी की फसल बुवाई

जनपथ टुडे, डिंडौरी, 1दिसम्बर 2020, डिंडौरी जिला मुख्यालय से महज 14 कि.मी. दूर शाहपुर के आसपास के कृषक जलसंसाधन विभाग की लापरवाह कार्य प्रणाली के परिणाम संकट झेल रहे है। बताया जाता है कि रबी की फसलों की बोवनी माह अक्टूबर नवंबर में हो जाती है लेकिन अब तक गोरखपुर, जलाशय एवं बरछा जलाशय की नहरों की सफाई नहीं होने के चलते नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया, नहर दुरुस्त न होने से किसानों को के खेतों तक पानी नहीं पहुंचा जिससे ज्यादातर किसानों के खेतो में अभी तक तक बुआई नहीं हो सकी है, वहीं जिन किसानों ने फसल की बोवनी कर दी वे भगवान भरोसे बैठे अपनी किस्मत को कोस रहे है । ग्राम शाहपुर , पौड़ी टोला, पंडा टोला, रकरिया रैयत, बालपुर माल ,बालपुर रैयत, सहित आसपास के किसानों ने बताया कि इनके द्वारा जलसंसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद दो माह से भी अधिक समय बीतने के बाद भी विभाग के जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद से नहीं जागा और न नहरों की मरम्मत कराई गई न साफ सफाई।

जिन अन्नदाताओं ने अपने खेतों में कर्ज लेकर रबी फसल की बोवनी कर दी है पानी की कमी के चलते उपज होने को रही ऐसे में इनके परिवार तथा स्वंय के सामने जीवन यापन करने का संकट खड़ा हुआ है।

जिसकी कहानी हरयाली की जगह सूखे वीरान पड़े किसानों के खेत अपनी ही जुबानी बयां कर रहे है किसानों ने यह भी आरोप लगाया है कि पूर्व में गोरखपुर जलाशय के अध्यक्ष रहे सतीश जायसवाल एवं जलसंसाधन विभाग के जिम्मेदारों ने नहरों के रख रखाव के लिये आने वाली राशि का जमकर दुरुपयोग किया। क्योंकि निर्माण के बाद से इनके द्वारा नहरों में साफसफाई सहित कभी मरम्मत का कार्य नहीं कराया गया जहाँ एक ओर केंद्र सरकार के साथ प्रदेश सरकार अन्नदाता किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चला रही है वहीं जिले के जिम्मेदार आला अधिकारी शासन की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे है।

 

प्रशासन से कार्यवाही की उम्मीद में किसान

पिछले एक पखवाड़े से स्थानीय मीडिया जिले भर में सिंचाई विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही और परेशान किसानों का मामला उठा रहा है किन्तु अब तक जिला प्रशासन ने भी कोई कार्यवाही सिंचाई विभाग के जिम्मेदारों के खिलाफ नहीं की है न ही जिले की नहरों का अब तक सुधार होते दिखाई दे रहा है, अब भी किसानों के हित में यदि प्रशासन सख्त कदम उठाता है तो जिले के बहुत से किसानों की फसलें अब भी कुछ हद तक बचाई जा सकती है।

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