
उपार्जन केन्द्रों पर किसानों द्वारा दोबारा छन्ना – पंखा करने के बाद भी नहीं खरीदी जा रही धान
प्रशासन और शासन के प्रति किसानों में पनप रहा आक्रोश
नागरिक आपूर्ति निगम और मिलर की लापरवाही का परिणाम भोग रहे है जिले के किसान
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 13 दिसंबर 2020, प्राप्त हो रही जानकारी के अनुसार इस वर्ष जिले के किसान उपार्जन केंद्रों पर अपनाई जा रही धान खरीदी की प्रक्रिया से हलाकान है जिसके कारण अब तक इन केंद्रों पर धान खरीदी भी बहुत अधिक धीमी है। जिले भर में किसान खरीदी प्रक्रिया में अपनाई जा रही परीक्षण की प्रक्रिया से नाराज़ है। पहले ही कोरोना काल से परेशान किसान अब अपनी धान को शासन की नीति के अनुसार बेचने में बड़ी कठिनाई का सामना कर रहे है।
बताया जाता है कि किसानो द्वारा खरीदी केन्द्र प्रभारी के कहने पर दोबारा छन्ना पंखा किये जाने के बाद भी धान का सेन्पल सर्वेयर और ग्रेडर द्वारा फेल कर दी जा रही है । वे जिस मापदंड से धान की क्वालटी चेक करते है उस हिसाब से किसी भी किसान की धान पास नही हो सकतो । सर्वेयर धान को एक थाली या प्लेट में रखकर एक एक दाना बीनते है और फिर परसेन्ट निकाल कर धान को निर्धारित मापदण्ड के अनुसार रिजेक्ट कर देते है।
जिले भर के किसान अपनी धान को अमानक बता कर उपार्जन केंद्रों द्वारा वापस कर दिए जाने से दोहरी क्षति उठा रहे है। जहां उन्हें सरकार द्वारा तय स मर्थन मूल्य अपनी फसल का नहीं मिल पा रहा है वहीं धान को फिर से छन्ना और पंखा करने के साथ ही फसल वापस ले जाने पर वाहन भाड़ा भी भोगना पड़ रहा है।
नागरिक आपूर्ति निगम, ठेकेदार और मिलर के कारनामों की सजा भोग रहे है किसान
हर वर्ष की बजाय इस वर्ष धान खरीदी में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया जटिल होने की वजह है गत वर्ष प्रदेश के कई जिलों में एफसीआई द्वारा सेंट्रल की जांच टीम ने चावल को अमानक स्तर का पाया था और इसे इंसान के खाने योग्य भी नहीं माना था। जिले में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा धान के संग्रहण में लापरवाही, ट्रांसपोर्टर को धीमी गति से ढुलाई की छूट और मिलरो से टूटा चावल साठगांठ कर लिया जाता रहा है और जब सेंट्रल की टीम कुछ जिलों में अमानक चावल पाए जाने के बाद पुनः सभी जिलों में आने की जानकारी मिली तो जिला प्रबन्धक द्वारा टीम के आने के पहले ही गोदाम में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा मिलरो से प्राप्त चावल के सभी लॉट इसलिए रिजेक्ट कर दिए जिससे केंद्र की टीम जिले में जांच के लिए न आए। और इस रिजेक्शन के पीछे जिले में पैदा होने वाली धान को ही कहीं न कहीं अमानक ठ हराया जाना ज्ञात होता है इस वजह से इस वर्ष धान खरीदी में किसानों को कठिन मापदंडों से गुजरना पड़ रहा है। जबकि जिले में नान और ठेकेदारों की साठगांठ और लापरवाही से सारी गड़बड़िया लंबे समय से चलती रही है, जिसका खामियाजा अब तक आमजन भोगती रही है और उसे टूटा फूटा चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों के माध्यम से वितरित किया जाता रहा है। गत वर्ष जो चावल निगम ने फेल कर दिया उसने अधिकतर चावल उस धान का भी था जो कोरोना काल के समय अन्य जिलों से आई थी। सूत्रों की माने तो जिले के कुछ मिलर नान से मिलने वाली धान को सीधा बाहर भेज देते है और बताया जाता है कि बिहार और इलाहाबाद से घटिया चावल खरीद कर नान में जमा करा दिया जाता है इसकी भी जांच की जाना चाहिए कि जिले में पैदा होने वाली धान और नान के गोदामों में रखा चावल की किस्म एक ही है या नहीं?
इस वर्ष धान खरीदी में अपनाई जा रही प्रक्रिया से फिलहाल किसान बेहद परेशान है और प्रशासन को इस दिशा में कोई हल निकालना चाहिए वास्तविकता की पड़ताल कर उपार्जन केंद्रों को निर्देश देना चाहिए। धान खरीदी की जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है उसके चलते तो जिले का 90% किसान प्रभावित हो सकता है। जिले में किसानों की मुख्य फसल धान है इसी पर किसानों की आर्थिक स्थिति निर्भर है और यदि इस फसल से उसे लाभ के बजाय घाटा उठाना पड़ा तो उसे बड़ी आर्थिक क्षति होगी जिससे उसका उभर पाना संभव नहीं है। उपार्जन केंद्रों के इस रवैए से गल्ला व्यापारी भी किसानों की धान को अमानक बता कर औने पौने दामों में खरीदने की बात कर रहे है।
किसानों में शासन के प्रति उपजता आक्रोश
जिले में धान खरीदी की वर्तमान प्रक्रिया से किसानों में आक्रोश व्याप्त है और किसान लामबंद हो कर इस व्यवस्था का विरोध करने की भी तैयारी कर रहे है। देश में चल रहे किसान आंदोलन और किसानों को उठाना पड़ रही इस आर्थिक क्षति से किसान कहीं न कहीं किसानों की असहज स्थिति और प्रशासन के मौन बने रहने से नाराज़ है वहीं मुख्यमंत्री की घोषणा की किसानों का एक एक दाना खरीदेगी सरकार उस पर लगाए जा रहे छनने से किसान अब सरकार के प्रति भी अपनी नाराज़गी दिखा रहा है और मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर भी किसान असंतोष जाहिर कर रहा है।