
भीषण ठंड और बरसात में प्लास्टिक की झोपड़ी में रहने मजबूर अनाथ महिला
देव सिंह भारती
अधिकारियों को नहीं किसी की परवाह
जनपथ टुडे, अमरपुर, डिंडौरी, 20 जनवरी 2022, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और आमजन को शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाने प्रदेश में लागू की गई पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। भ्रष्टाचार में डूबे ग्रामीण विकास विभाग के सैकड़ों अधिकारी कर्मचारी सिर्फ शासन की योजनाओं की राशि में बंदरबांट में व्यस्त दिखाई देते है न किसी को गरीब और बेसहारा लोगों की परवाह है और न शासन प्रशासन के आदेश निर्देशों और योजनाओं के ठीक ढंग से संचालन को लेकर ये चिंतित नजर आते है।
पिछले 25 – 30 वर्षों से पंचायतों के माध्यम से आवास योजनाओं का संचालन किया जा रहा है फिर भी जरूरतमंद लोग अब भी इससे महरूम है बाबजूद इसके कि विकासखंड स्तर पर गरीबों के लिए आवास योजना पर हर वर्ष कई करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे है। आदिवासी बाहुल्य अमरपुर विकासखंड में आवास योजना पूरी तरह से दबंगों और माफियाओं के हवाले नज़र आती है। ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिवों को जरूरतमंद और बेसहारा हितग्राही दिखाई ही नहीं देते। ग्रामीणों क्षेत्रों में अशिक्षा और गरीबी के कारण लोग योजना का लाभ नहीं ले पाते और जिम्मेदार पंचायत कर्मी जानबूझ कर लापरवाह बने बैठे है।आवास योजना में जुड़े अधिकारी, कर्मचारी मलाई खा रहे है कागजी खानापूर्ति कर प्रशासन अपनी पीठ थपथपाने में मशगूल है और हितग्राही बस अपने नसीब को कोसने मजबूर है।
कुछ ऐसा ही मामला जनपद पंचायत अमरपुर क्षेत्रातंर्गत ग्राम पंचायत खैरदा के ग्राम बरगा में चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक बुजुर्ग आदिवासी महिला ललिया बाई पति केहर सिंह गोंड, उम्र 65 वर्ष, पिछले 4 वर्षों से एक पेड़ के नीचे प्लास्टिक की झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं। जिसे अभी तक किसी भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल पाया हैं। यहां महिला की उम्र गौरतलब है 65 वर्ष की आयु गुजारने के बाद भी उसे शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया तो अब क्या उम्मीद की जावे जिले की प्रशासनिक व्यवस्था के निकम्मेपन के सामने!
इस बेसहारा को पंचायत से कोई सहयोग नहीं मिला, स्वयंसेवी संस्था टी आर आई एफ के कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ कपड़े और राशन की व्यवस्था की जाती हैं। जिससे उस महिला को जीवन यापन में सहयोग मिल पाता हैं। जो इस बुजुर्ग के लिए बड़ी राहत की बात हैं। बताया जाता है कि इसकी एक पुत्री भी हैं जो अपने नाते रिश्तेदारों के यहां रहती हैं। ग्रामीणों से उसे जो मिल जाता हैं उसे वह पकाकर खा लेती हैं। अब तक इस महिला का नाम मतदाता सूची तक में दर्ज नहीं हैं, न ही आधार कार्ड बना हैं और न ही राशन कार्ड बना हैं। जिससे उसे सस्ती दर पर राशन भी नहीं मिल पा रहा हैं। पास में ही उस महिला की भाई फूल सिंह का घर हैं। ग्राम पंचायत सचिव से पूछे जाने पर उसे इसकी जानकारी ही नहीं होना बताया गया। जिससे ए एस कुशराम मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा सचिव को फिलहाल आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। जिससे इस महिला की भीषण शीतलहर में कुछ व्यवस्था हो सके। पंचायत के जिम्मेदारों के विरूद्ध इस तरह के जरूरतमंद लोगों की अपेक्षा के लिए कार्यवाही की जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ देने में कोताही न बरती जावे।