
विभाग की लापरवाही से खराब हो रही करोड़ों रुपयों की धान
देव सिंह भारती
चांदपुर ओपन केब में व्याप्त लापरवाही
जनपथ टुडे, डिंडौरी, अमरपुर, 1 जुलाई 2021, शासन द्वारा किसानों से खरीदी गई धान की भंडारण की उचित व्यवस्था न होने के कारण जनपद मुख्यालय से 11 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम चांदपुर में ओपन कैब में रखा गया हैं। जिसे तिरपाल से ढाका तो गया हैं परंतु शुरुआती बरसात ने ही वेयर हाउस की व्यवस्थाओ की पोल खोल कर रख दी गई हैं।
चौकीदार द्वारा दी गई जानकारी अनुसार 78 चबूतरों पर धान को कैब में स्टाक किया गया। पूरे स्टाक में बारिश का पानी भर जाने के कारण बोरों में रखी धान सड़ रही हैं। जिससे बदबू भी आने लगी हैं साथ ही बोरों से बाहर पौधे निकलते दिखाई दे रहे हैं। जिनका खेतों में रोपा लगाया जा सकता हैं। जबकि कैब में विभाग द्वारा धान के रखरखाव में भारी भरकम राशि व्यय की जाती है। शासन द्वारा सम्पूर्ण व्यवस्थाओं के लिए बजट दिया जाता है। ओपन कैब में 4 चौकीदार सुरक्षा व देखरेख के लिए पदस्थ बताए जाते हैं। फिर भी किसानों की कड़ी मशक्कत से उपजाऊ गई धान और शासन द्वारा खरीदी गई खाद्य सामग्री की यह स्थिति देखकर किसानों का तो दिल पसीज जाता हैं। जबकि स्थल में नए त्रिपाल रखे हुए हैं जिनका उपयोग भी नहीं किया गया हैं। जिससे यह महसूस होता हैं कि विभाग अपने कर्तव्य के प्रति जानबूझकर निष्क्रिय एवं लापरवाह बना हुआ हैं।
जबकि विभाग किसानों से खरीदी के वक्त धन की गुणवत्ता पर किसानों को इस कदर परेशान किया जाता हैं कि किसानों को अनेकों बार धरना प्रदर्शन तक करना पड़ जाता हैं और अब उसी धान की क्या दुर्दशा हो रही हैं? जिसे कोई देखने वाला ही नहीं हैं।
संबंधित विभाग की लापरवाही का यह जीता जागता उदाहरण हैं, जहां करोड़ों रुपए की धान सड़ चुकी हैं और अभी तक किसी का ध्यान तक इस ओर नहीं हैं। एक ओपन कैब की स्थिति यह है तो जिले के बाकी स्थानों की स्थिति भी बेहतर होगी यह नहीं समझा जा सकता। वहीं आगे आने वाली बरसात में जिले के नकारा अधिकारियों की लापरवाही से कितनी क्षति शासन को पहुंचेगी अनुमान लगाना मुश्किल है। जिला प्रशासन को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाना चाहिए।
घटिया रख रखाव के कारण प्रतिवर्ष धान की गुणवत्ता खराब होने के बाद सबसे अधिक संकट राइस मिलर के सामने होता है। जब यह घटिया धान अधिक मात्रा में टूटती है और नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी ब्रोकन अधिक होने के चलते उनके चावल को रिजेक्ट कर देता है। जिसके चलते मिलर्स को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है वहीं करोड़ों रुपए की क्षति शासन को भी हो रही है पर जिले में जिम्मेदार आंखे बंद किए है।