खुले मैदान पर लगातार हो रहे, कृष्ण मृग आवारा कुत्तों का शिकार

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कारोपानी से रामप्रकाश मिश्रा :-

आखिर कैसे होगी काले हिरणों की सुरक्षा

विलुप्त प्रजाति के काले हिरण अभ्यारण में भी नहीं है सुरक्षित

 

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 23 जुलाई 2021, विलुप्त प्रजाति के काले हिरणों को संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने डिंडोरी जिले के बजाग विकासखंड के ग्राम कारोपानी में कृष्ण मृगों के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाया है। जो वन विभाग के समनापुर रेंज में आता है। बता दें कि कारोपानी में बड़ी संख्या में कृष्णमृग पाए जाते हैं, पूरे प्रदेश में यह पहला ऐसा स्थान है जहां बहुतायत संख्या में काले हिरण विचरण करते हैं।

वर्तमान समय में दो सैकड़े से भी अधिक काले हिरणों की मौजूदगी यहां बताई जाती है। किंतु संरक्षित क्षेत्र घोषित होने के बाद भी कृष्णमृग सुरक्षित नहीं है। लगातार कृष्णमृग की मौतों का बढ़ता आंकड़ा संरक्षित क्षेत्र की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करता है ।

अभी विगत कुछ दिन पहले ही कृष्ण मृग की मौत हुई थी और आज फिर एक विशालकाय काला हिरण आतंकी आवारा कुत्तों का शिकार हो गया।

ग्रामीणों की मानें तो कृष्ण मृग क्षेत्र विशाल है और यहां पर जो कर्मचारी सुरक्षा में लगे हुए हैं वह नाकाफी हैं। मैदान में सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था भी नहीं है जिसके कारण विचरण करते हुए हिरण शिकार हो जाते हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी
जिम्मेदार

काले हिरण की मौत की सूचना के बाद फारेस्ट विभाग के जिम्मेदार अधिकारी समनापुर व्रत के रेंजर एवं डिंडोरी वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी मौके पर पहुंचे जहां उन्होंने मृत काले हिरण का पोस्टमार्टम करवाया।

अधिकारियों ने संरक्षित क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था के सवाल पर कहा कि यह क्षेत्र फॉरेस्ट के अधिकार में नहीं है राजस्व एवं निजी भूमि है जहां पर वन विभाग किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था तैयार करने में सक्षम नहीं है। काले हिरणों की लगातार मौत और उनकी सुरक्षा के सवाल पर मौके पर मौजूद अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचते नजर आए उन्होंने कहा कि हम कैमरे में कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं है।

हालांकि अधिकारी भी मानते हैं कि सुरक्षा के इंतजाम पर्याप्त नहीं है। बेझिझक बिना किसी रोक-टोक के कोई भी व्यक्ति किसी भी समय यहां आते जाते रहते हैं। एंट्री बैरियर मेन गेट में सुरक्षा न होने के कारण असामाजिक तत्वों का आना जाना भी लगातार होता रहता है। कृष्ण मृगों को इस तरह खुले विचरण करते हुए देखने की उत्सुकता लेकर आने वाले पर्यटकों के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। घास मैदान की कमी पहले से ही देखी जा रही है खतरनाक आवारा कुत्तों के झुँडों को हटाने के लिए भी टीम के गठन की मांग लगातार ग्रामीणों के द्वारा की जा रही है ।

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