
डिंडोरी/ अब भी घोड़ा गाड़ी की तरह उपयोग कर रहे है लोग
जनपथ टुडे, डिंडोरी 13 जून 2020, प्रगति और विकास आज हर तरफ दिखाई देता है। भौतिकता की चकाचौंध में दुनियां भटक रही है। समाज ने प्राकृतिक संसाधनों, पशुधन का उपयोग कम कर दिया है।आज बाजार में आवागमन के लिए, परिवहन के लिए हजारों ब्रांड के छोटे बड़े वाहनों का उपयोग होता है। पर ये सब साधन महंगे है जो लोगों की जेब पर भारी पड़ते है पर इसकी सुध लेने की फुरसत नहीं है किसी को।
आधुनिकता की दौड़ में कभी कभी ही कुछ ऐसा नजर आता है, जो आत्मनिर्भरता और भौतिक साधनों का पुरातन विकल्प नजर आता है। ऐसा ही एक दृश्य गाड़ासरई बस स्टैंड के करीब चौरसिया मेडिकल स्टोर पर दिखाई दिया,
एक बुजुर्ग व्यक्ति दवाई लेने अपने वाहन घोड़े से पहुंचे और उन्होंने पूरे नियंत्रण से अपना घोड़ा दुकान के सामने पार्क किया जिसपर आनाज के बोरे भी लदे थे। इत्मीनान से दवा लेकर फिर उन्होंने अपना घोड़ा जिसे वे गाड़ी की तरह आज भी उपयोग कर रहे है उसे गल्ले कि दुकान की तरफ बढ़ा दिया।
जानकारी के अनुसार आज भी अपने घोड़े को गाड़ी बतौर उपयोग करने वाले व्यक्ति सुकलपुरा ग्राम के साहू जी है जो गल्ले और किराने का व्यापार करते है आसपास के गांव में जाकर सामान की बिक्री भी करते है और वहां से गल्ला ला कर गाड़ासरई के व्यापारियों को बेचते है।
इस घोड़े को वाहन की तरह उपयोग करने के कई लाभ है, एक तो किसी पर निर्भर नहीं है, अपने समय और सुविधा के अनुसार कभी भी कहीं भी कम खर्च में आ जा सकते है। दूसरा दुर्घटनाओं से बचाव भी है। पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए पशुधन का उपयोग किया जाता है उनकी ये सवारी दुर्गम रास्तों नदी नालों से भी निकल जाती है। व्यावसायिक और निजी दिनों मोड़ में इसे उपयोग किए जाने के साथ ही इसके लिए हर स्थान पर ईधन उपलब्ध है। इस तरह के तमाम फायदों के साथ बस कुछ कम गति से चलने वाली घोड़ा गाड़ी का उपयोग ग्रामीणों को आत्मनिर्भरता का सबक जरूर देता है।