
बेबस परिजन बच्चे का शव थैले में रखकर यात्रा करने को हुए मजबूर
मिराज खान :-
शर्मशार करने वाली घटना
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 15 जून 2023, सुनने में बहुत अजीब लग सकता है पर यह सच घटना है, जो गुरुवार को देर शाम डिंडोरी के बस स्टैंड में दिखाई दिया। डिंडोरी बस स्टैंड में यह सुनकर सब हैरत में पड़ गए कि एक युवक थैले में बच्चे का शव लेकर घूम रहा है। जानकारी लगते ही मीडिया सक्रिय हो गया, तब मानवता को शर्मसार करने वाली इस पूरी घटना का खुलासा हुआ।परिजनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 13 जून को सहजपुरी निवासी सुनील धुर्वे की पत्नी जमनी बाई ने जिला चिकित्सालय में नवजात को जन्म दिया। बच्चा कमजोर था और उसका उपचार जिला चिकित्सालय डिंडोरी में संभव न होने के चलते बच्चे को मेडिकल कालेज जबलपुर रिफर कर दिया गया, जहां नवजात की मौत हो गई। नवजात की मौत के बाद उन्हें बच्चे का शव वापस डिंडोरी तक लाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने कोई साधन मुहैया नहीं करवाया। आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी दंपत्ति निजी वाहन की व्यवस्था करने में सक्षम था। बेबस परिजन बस से डिंडोरी आने को मजबूर थे और सार्वजनिक वाहन से शव को लेकर आना संभव नहीं था। तब बेबस परिजनों ने नवजात बच्चे के शव को थैले में छिपा कर रख लिया ताकि बस संचालक और सहयात्रियों को इसकी जानकारी न लगे और वे बस से डिंडोरी पहुंच सके।
थैले में बच्चे का शव लेकर परिजनों के डिंडोरी पहुंचने की खबर लगते ही बस स्टैंड पर काफी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। नव दंपति की बेबसी और मानवता को झकझोर देने वाली इस घटना से लोग प्रदेश की सरकारी व्यवस्थाओं को कोसते रहे।
गौरतलब है कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में नाम मात्र के लिए दिखावे के इंतजाम सरकार द्वारा किए गए है। जिला चिकित्सालय में कुपोषित और कमजोर बच्चों के उपचार हेतु वर्षों से एनआरसी का संचालन हो रहा है जिसकी व्यवस्थाओं और देखरेख पर बड़ी मात्रा में धन व्यय होता है। तब भी यहां कमजोर बच्चों की देखरेख और उपचार संभव नहीं हो पाता है। जिसके चलते गरीब और आदिवासी जिलेवासियों को इस तरह की बेबसी का सामना करना पड़ता है। जिला प्रशासन को शर्मसार करने वाली इस घटना के बाद कम से कम जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं की समीक्षा तो करनी ही चाहिए जिससे अस्पताल की मौजूदा व्यवस्थाओ को भविष्य में सुधारा जा सके।