
MP से राज्यसभा जा रहे एल. मुरूगन के मां-बाप तमिलनाडु के गांव में आज भी दिहाड़ी मजदूर
बेटा केंद्रीय मंत्री बनना तो मा ने कहा हम फावड़ा चला कर ही खुश है
जनपथ टुडे, भोपाल, 22 सितंबर 2021, प्रदेश की राज्यसभा के लिए 4 अक्टूबर को चुनाव है। बीजेपी की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने मंगलवार को पर्चा दाखिल किया है कांग्रेस ने कोई उमीदवार चुनाव में नहीं उतारा है, जिससे एल मुरुगन का निर्विरोध निर्वाचित होना तय है। केंद्र सरकार में मत्स्य पालन, पशुपालन और सूचना तथा प्रोद्योगिकी मंत्रालय सम्हाल रहे मुरुगन को केंद्र सरकार में राज्यमंत्री के दर्जा प्राप्त है किन्तु वहीं उनसे जुड़ा दूसरा पहलू बेहद दिलचस्प है।
जब कोई व्यक्ति मंत्री पद पर होता है तो उसके परिवार के रहन सहन और स्टेटस में बड़ा बदलाव आता है, किन्तु मुरुगन के माता और पिता आज भी तमिल नाडु के नमक्कल जिले के कुनुर गांव में खेतों पर काम करते है। बताया जाता है कि वे अब भी दिहाड़ी मजदूर है।
मुरुगन की मां वरूदम्मल बेटे की सफलता का श्रेय खुद नहीं लेना चाहती
मुरुगन के मंत्री बनने पर उनकी मां ने कहा था, हमने अपने बेटे का भविष्य बनाने के लिए कुछ नहीं किया उसने जो जगह पाई है उसी की मेहनत है, हमें उस पर गर्व है। मुरुगन के माता पिता ने मजदूरी कर और उधार लेकर उन्हें पढ़ाया और हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया किन्तु खुद जहां थे वहीं खुद को खुश रखे हुए है। बेटे के मंत्री बनने की जानकारी उन्हें पड़ोसियों से मिली।
तमिलनाडु में मुरुगन भाजपा के नामी नेता है
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश के वे एक चर्चित व्यक्ति थे। उनके प्रयासों से दो दशक के बाद बीजेपी तमिलनाडु में 4 सीट जीती थी। 15 वर्षों से वकालत कर रहे मुरुगन कानून में पोस्ट ग्रेजुशन किय हुए है। उन्होंने मानवाधिकार कानूनों में डाक्ट्रेट की है।प्रदेश बीजेपी प्रमुख बनने के पहले वे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष थे।
दलित नेता के तौर पर सक्रिय मुरुगन
तमिलनाडु की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मुरुगन परिश्रमी, अत्यधिक सक्रिय और ऊर्जावान युवा नेता है। 20 साल से अधिक समय से जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करते रहे मुरुगन बीजेपी में शामिल होने के पहले विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे। उन्हें उनके संगठनात्मक कौशल के लिए जाना जाता है।
आज के इस दौर में जहा राजनेताओं का जीवन चकाचौंध से भरा दिखाई देता है। तब इतने साधारण परिवार से आय हुए व्यक्ति का केन्द्रीय मंत्री पद तक पहुंचना असंभव सा लगता है। किन्तु जानकारों की माने तो एल. मुरुगन के माता पिता बेटे के मंत्री बनने के बाद भी अपने फावड़े के साथ दिहाड़ी करने में ही खुश है जो आज की राजनीति में दिखाई देने वाला अलग तरह का उदाहरण है।