
मुआवजा की राशि पाने दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं “बांध के विस्थापित किसान”
भूमि स्वामी होने से संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए भेजें गए हैं नोटिस
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 3 जनवरी 2022, जिले के अंतर्गत डूंगरिया अंडई में निर्मित होने जा रहे बांध के विस्थापित मुआवजा की राशि पाने के लिए तहसील से लेकर जिले तक अधिकारियों और दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। दरअसल समनापुर विकासखंड के अंतर्गत मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत बांध का निर्माण होना है। जिसकी प्रक्रिया विगत वर्षों से जारी है। बीते समय में बांध के निर्माण को लेकर डूब क्षेत्र के प्रभावित किसानों के साथ-साथ अनेकों सामाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने बांध निर्माण का विरोध किया था। उस समय प्रशासन बांध निर्माण में गति लाने के लिए जद्दोजहद में लगा हुआ था।
वही प्रभावित किसानों से महीनों पहले सहमति पत्र लेने के बाद भी मुआवजा की राशि अभी तक किसानों के खाते में नहीं आ पाई है। जिसके चलते किसान खासे परेशान हैं किसानों की मानें तो उनकी भूमि उनके हाथ से जा चुकी है, जो अब मध्य प्रदेश शासन के खाते में दर्ज हो चुकी है किंतु उसका मुआवजा उन्हें अभी तक नहीं दिया गया है। विस्थापित किसानों को भूमि स्वामी होने तथा सत्यापन के लिए अन्य दस्तावेजों को जमा करने के लिए समनापुर तहसीलदार द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं। जिसमें उन्हें जिला मुख्यालय में आकर उल्लेखित दस्तावेजों को जमा करने के लिए दो दिवस का समय दिया गया है।
किसान नोटिस को लेकर कभी कलेक्टर कार्यालय कभी भू अर्जन शाखा का तो कभी जल संसाधन विभाग के अधिकारी और बाबू के चक्कर लगा रहे हैं। किंतु उन्हें कोई निश्चित ठिकाना दस्तावेजों को जमा करने के लिए नहीं बताया जा रहा है। सोमवार को भी दर्जनों की संख्या में किसान जिला मुख्यालय पहुंचे जहां उन्हें अपने दस्तावेजों को जमा करने के लिए चक्कर लगाते देखा गया। सरकार बांध के निर्माण के लिए प्रभावित किसानों को मनाने में जुटी हुई है वही दफ्तरसाही किसानों को उनके हक से वंचित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
भू अर्जन शाखा द्वारा जल संसाधन विभाग से जारी पर्ची मांगी जाती है वहीं भटकते किसानों ने लेन देन की बात भी कही है। किसानों का कहना है कि एक ही गांव के कई लोगों को पहले ही मुआवजे की राशि मिल चुकी है और शेष लोग कई महीनों से चक्कर काट रहे है। एक ओर प्रशासन बांध का विरोध करने वालों से परेशान है दूसरी ओर जो लोग सहमति दे चुके है और मुआवजा राशि लेना चाहते है उन्हें अव्यवस्थाओ के चलते चक्कर काटना पड़ रहा है।
जल संसाधन विभाग के समनापुर कार्यालय में लटका ताला
उक्त परियोजना जल संसाधन विभाग के उप खंड समनापुर अन्तर्गत आती है किन्तु उक्त कार्यालय में लंबे समय से ताला लटक रहा है। जिसके चलते किसानों को जिला मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ते है जहां जल संसाधन विभाग का अमला खोजने से मिलता है। समनापुर कार्यालय हेतु अमला उपलब्ध नहीं होने की दलील विभाग के अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। जो गले नहीं उतरती करोड़ों रुपयों की लागत से बनने वाले बांध की देखरेख हेतु जब विभाग के पास अमला ही उपलब्ध नहीं है तो आखिर इतनी बड़ी परियोजना किसके बूते पूरी की जाएगी?