
केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा आशा एवं पर्यवेक्षकों के शोषण का विरोध
राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आशा एवं पर्यवेक्षकों ने सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 3 फरवरी 2022, (प्रकाश मिश्रा) – केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा आशा एवं पर्यवेक्षकों के अमानवीय शोषण के विरोध में सीटू से सम्बद्धित अखिल भारतीय आशा वर्कर्स समन्वय समिति के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आशा उषा एवं आशा पर्यवेक्षकों ने आज प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन में आशाओं ने भारतीय श्रम सम्मेलन के 45वें जिले में एवं 46 वें सत्र के अनुमोदन को लागू कर आशा एवं पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित करने, न्यूनतम वेतन देने, न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये करने, कम से कम 10,000 मासिक पेंशन सहित सम्माजिक सुरक्षा लाभ दिये जाने की भी मांग की।
एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर सरकार को अपनी मांगों का स्मरण कराने के साथ आशा एवं पर्यवेक्षकों को वर्तमान में दिये जा रहे 1000 रुपये के जोखिम भत्ता (कोविड 19 प्रोत्साहन राशि) को बढ़ाकर रु.10000 प्रति माह करने, इसके भुगतान की अवधि बढ़ाने, केन्द्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत हिस्सा आवटित करने, आशा एवं पर्यवेक्षकों का प्रोत्सहन राशि, निश्चित प्रोत्साहन राशि, कोविड वैक्सीनेशन राशि सहित सभी बकाया राशियों का भुगतान करने, सरकारी अस्पतालों जैसे बुनियादी सेवाओं सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग एवं सेवाओं का निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने, डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एन.डी.एच.एम.) को वापस लेने, 50 लाख रुपये का बीमा कवर की समय सीमा को आगे बढ़ाने, पेंशन, एक मुश्त राशि एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ लागू किये बिना आशा एवं पर्यवेक्षकों की सेवा निवृत्त न करने चार श्रम संहिताओं को वापस लेने, श्रम कानूनों का लाभ आशा एवं पर्यवेक्षकों को देने आयकर के दायरे के बाहर के सभी परिवारों को निःशुल्क राशन एवं 7500 रुपये प्रति माह देने, ताकि आम लोगों में बीमारियों के संक्रमण को रोकने की क्षमता विकसित हो सकें एवं कुपोषण से आम लोगों को बचाने के साथ मातृ मृत्यु दर को कम करने में सफलता कमल सकें। आंदोलन की मांगों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को सार्वभौमिक व्यवस्था और पर्याप्त वित्तीयआवंटन के साथ सरकार का स्थाई स्वास्थ्य कार्यक्रम बनाये जाने की भी मांग की है।
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में बताया गया कि मिशन संचालक के द्वारा 24 जून 2021 को आशाओं को 10,000 रुपये एवं पर्यवेक्षकों को 15,000 रुपये वेतन देने का प्रस्ताव राज्य सरकार को देने का निर्णय दिया था। स्वास्थ्य मंत्री ने भी मुख्यमंत्री की ओर से जल्दी खुशखबरी देने का आश्वासन दिया था लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक वेतन वृद्धि के सम्बन्ध में कोई आदेश जारी नहीं किया। अन्य राज्य सरकारें आशाओं को अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन देकर राहत पहुंचा रही है, वहीं मध्य प्रदेश की अधिकांश आशायें 2000 रुपये के अल्प वेतन में परिवार चलाने के लिये विवश है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं एवं अभियानों को जमीनी स्तर पर आम जनता के बीच लागू करने का महत्वपूर्ण काम करने वाली आशा एवं आशा पर्यवेक्षक जो सरकारी विभाग में सरकारी अधिकारियों के अधीन, देखरेख और मार्गदर्शन में सरकारी योजना को लागू करने का काम कर रहीं है, लेकिन सरकार आशाओं को कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम वेतन एवं पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा ताभ से वंचित कर अमानवीय शोषण कर रहा है। आज जिला मुख्यालय में बड़ी संख्या में एकत्रित आशा एवं पर्यवेक्षकों ने रैली निकाल कर प्रदर्शन करते हुये कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा।