पंचायत चुनाव पर मंडराता संकट

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जनपथ टुडे, 24 दिसंबर 2021, पंकज शुक्ला

सुप्रीम कोर्ट के बाद कोरोना का संकट

प्रदेश में निर्वाचन आयोग द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनावों का कार्यक्रम घोषित किया जा चुका है, किन्तु राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तय कार्यक्रम में बाधाएं आ रही है और अब तक निर्वाचन आयोग को पंचायत चुनाव को लेकर कई उलटफेर भी करने पड़े है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाए जाने के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा ओबीसी के लिए आरक्षित स्थानों पर रोक लगा कर शेष स्थानों पर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव की घोषणा कर दी थी। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने मतगणना और परिणामों की घोषणा को लेकर कार्यक्रम में बदलाव करते हुए एक आदेश जारी किया। जिसके अनुसार 23 दिसंबर को शेष स्थानों हेतु नाम निर्देशन पत्रो के अनुसार चुनाव चिन्हों का आवंटन भी कर दिया गया है।

कल विधान सभा में भाजपा द्वारा ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव न करवाने का संकल्प लिया गया वहीं सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मसले को लेकर पुनर्विचार याचिका लगाते हुए अर्जेंट हियरिंग की मांग की थी, जिस पर सरकार को राहत मिलने की उम्मीद थी, पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 3 जनवरी को किए जाने की बात कह कर इस पर भी पानी फेर दिया। तब राज्य सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर बताया कि हमने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगा दी है अतः ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य सीट मानते हुए फिलहाल आरक्षण नहीं किया जावे। सरकार के अनुरोध के चलते अभी इन सीटों पर चुनाव स्थगित ही रहेगा।

गुरुवार की देर शाम मुख्यमंत्री ने प्रदेश के नाम संदेश जारी करते हुए पूरे प्रदेश में “नाइट कर्फ्यू” की घोषणा कर दी है। प्रदेश में निर्वाचन आयोग द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आया संकट और राज्य सरकार की याचिका पर अर्जेंट हियरिंग न करने से असमंजस की स्थितियों से गुजर रहे पंचातय चुनावों पर अब ओमीक्रोंन का भी खतरा मंडराता देखा जा सकता है। हालांकि अब तक सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह निश्चिंत थी और 13 दिसंबर से 23 दिसंबर तक की पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में कहीं भी कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन होता नहीं देखा गया, मास्क और सोशल डिस्टेंसइंग को लेकर भी प्रदेश भर में प्रशासन सख्त नहीं रहा। नाम निर्देशन पत्र जमा होने से लेकर चिन्ह आवंटित किए जाने तक कहीं भी भीड़ पर नियंत्रण के प्रयास नहीं किए गए। किन्तु गुरुवार को अचानक नाईट कर्फ्यू लागू किए जाने से लगता है , कोरोना की तीसरी लहर की संभावना भी पंचायत चुनावों पर संकट बन सकती है। प्रदेश में पंचायत चुनाव रद्द होने की अफवाहें भी तेज है और चर्चा पंचायत चुनाव रद्द किए जाने की है।

फिलहाल अधिकृत तौर पर ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर शेष सीटों पर पंचायत चुनाव पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होंगे। ओबीसी सीटों पर क्या निर्णय होना है यह प्रदेश सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद तय करेगा। लगातार प्रदेश के पंचायत चुनावों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और फिलहाल 3 जनवरी के बाद ओबीसी सीटों पर आरक्षण पर कोई हल निकलता संभव है। किन्तु राज्य सरकार का गुरुवार को लिया गया संकल्प भी इसके आड़े आ सकता है और कोरोना का कहर भी।

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