
“अमृत सरोवर” दुर्दशा का शिकार निर्माण ,मनमानी तकनीक से हो रहे घटिया निर्माण
केंद्र और राज्य सरकार की अभिनव योजना को अधिकारी लगा रहे पलीता
घटिया निर्माण कार्यों पर प्रशासन मौन??
ग्रामीण कर रहे विरोध
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 6 जून 2022, प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा अमृत सरोवर योजना अन्तर्गत हर जिले में विशेष संरचनाओं का निर्माण करवाए जाने की अभिनव पहल की जा रही है। ताकि इस योजना अन्तर्गत गांवों में अमृत रूपी जल का संवर्धन किया जा सके, जिसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र की जनता को मिले। योजना के तहत जिले में भी तेजी से निर्माण कार्य करवाए जा रहे है और केंद्र व राज्य शासन के द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूर्ण करने की होड़ में निर्माण कार्यों की उपयोगिता, गुणवत्ता और आमजन, जन प्रतिनिधियों की बिना सहमति के अंधाधुंध गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। जिसमे जमकर खुला भ्रष्टाचार होता दिखाई दे रहा है और इनकी शिकायत सुनने वाला कोई नहीं और सरकार की यह पहली योजना है शायद जिसमें दोषियों पर कार्यवाही किए जाने का कोई प्रवाधन नहीं है। इन अघोषित व्यवस्थाओं के चलते निर्माण एजेंसी तकनीकी स्वीकृति और एस्टीमेट को किनारे रखकर मनमाना और गुणवत्ताहीन काम अंजाम दे रही है।
मड़ियारास चेक डेम में “अद्भुद इंजीनियरिंग” का नमूना, ग्रामीण कर रहे है विरोध
अमृत सरोवर योजना के कार्यों की गुणवत्ता और तकनीक को चुनौती दिए जाने के नमूने देखना हो तो बहुत दूर जाने की भी जरूरत नहीं है। डिंडोरी विकासखंड जहा जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की फौज सरकार ने व्यवस्थाओं की निगरानी के लिए रख छोड़ी है यहां से महज 15 किमी की दूरी पर गोमती नदी पर 45.00 लाख रुपए की लागत से निर्माणाधीन चैक डैम पर काम चल रहा है जहां इंजीनियरिंग के पैमानों को खुली चुनौती दी जा रही है।
उक्त चैक डैम का निर्माण कार्य में कुछ दिनों पहले तक तो बिना सटरिंग लगाए ही कांक्रीट मेड़नुमा डाली जा रही थी, प्लथ लेबल से डेढ़ दो फुट की ऊंचाई तक इसी तरह कांक्रीट किए जाने के बाद जब डैम में लोहा न डाले जाने की बात उजागर होने लगी तब सब इंजीनियर की देख रेख में, लगभग एक फुट की दूरी पर दिखावे के लिए लोहे का जाल तोड़ मोड़ कर ऊपर से लगवा कर कांक्रीट में दबाने की कोशिश की जा रही है।
जो न तो स्ट्रक्चर की मजबूती के लिए उपयोगी है और न ही तकनीकी निर्देशों के अनुसार। ग्रामीणों की माने तो कांक्रीट में बड़े बड़े पत्थर भरे गए है जो फिलहाल की स्थिति में ऊपर से ही दिखाई दे रहे है। इस तरह की अद्भुद तकनीक और अजूबे निर्माण कार्य को लेकर सब इंजीनियर बी एस तिलगाम से करने पर वह कुछ भी कहने तैयार नहीं है। उनका कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों से बात करे। कार्य का एस्टीमेट, लोहे का ड्राइंग डिजाइन मांगे जाने पर ये कार्यालय से लेने की बात कह देते है। 45 लाख रुपए की लागत से निर्माणधीन इस निर्माण कार्य स्थल पर न तो कोई तकनीकी जानकर मौजूद है और न निर्माण कार्य के तकनीकी दस्तावेज। मनमानी और मौखिक निर्देशों के आधार पर सिर्फ काम चल रहा है। तकनीकी निर्देशों के मजाक बन रहा है।
ग्रामीण कर रहे है विरोध
उक्त कार्य की उपयोगिता और गुणवत्ता को लेकर विरोध कर रहे है। इसे अनुपयोगी बता रहे, इसके आस पास पहले मौजूद डेम के बाद इसे अनुपयोगी करार देते हुए ग्रामीण घटिया कार्य बता कर इसे रोकने और भुगतान न किए जाने की मांग कर रहे है। पर प्रशासन के आगे आमजन की कोई सुनवाई होना संभव नहीं है।
अधिकारियों के पास भी नहीं कोई जवाब :
साइड में काम करवा रहे सब इंजीनियर अपने इस अजूबे और घटिया निर्माण पर कोई जवाब देने की स्थिति में नहीं है, सिर्फ बहानेबाजी कर रहे है। वहीं एसडीओ, आर ई एस गीता आर्मो का कहना है कि लोहा प्लथ लेबल से ही बांधा गया है। जब उन्हें सबंधित कार्य की फोटो ग्राफ भेज कर इस बात का जवाब चाहा की गलत ढंग से किए जा रहे इस निर्माण कार्य के दोषियों के विरूद्ध आप क्या कार्यवाही करेगी? इसका जवाब प्रयास करने पर भी हने नहीं मिल पाया। जाहिर है कि जिले भर ने आर ई एस के माध्यम से किए जा रहे गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों, अन उपयोगी और निर्जन स्थलों पर कार्यों को निपटाकर शासन की राशि को हिल्ले लगाने की जो प्रक्रिया चल रही है उसका कोई जवाब अब विभाग के अधिकारियों को नहीं सूझ रहा है।
और भी अजूबे :-

इसी तरह माधोपुर ग्राम पंचायत के खाल्हे भवरखंडी में गोजर नदी पर 47 लाख रुपए की लागत से बन रहे चेक डेम निर्माण में घटिया कार्य उजागर हो चुका है जिसमें लोहा लगाया ही नहीं गया। घानाघाट में कुतरेल नाले पर 52 लाख रुपए की लागत से बन रहे निर्माण कार्य में पत्थर भरे जा रहे है और लोहा पूरी तरह गायब कर दिया गया है। सुन्हादादर में 46 लाख रुपए की लागत से बन रहे स्टाप डेम से लोहा गायब है। सब इंजीनियर निर्माण कार्यों का प्राक्कलन और लोहे का डिजाइन उपलब्ध कराने के नाम पर बहानेबाजी कर रहे है।
सुन्हादादर
“अमृत सरोवर योजना” अन्तर्गत जिला मुख्यालय के करीब ही निर्माणों की गुणवत्ता और उपयोगिता सवालों के घेरे में है, तब अन्य विकासखंडों में कार्यों की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। निर्माण कार्य करवा रहा अमला किसी भी बात का जवाब नहीं दे पा रहा। सीएम के सख्त निर्देश के बाद चर्चा है की प्रशासन ने निगरानी हेतु दल गठित कर दिए है, तब भी यदि घटिया तरीके से निर्माण चल रहे है और प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है, तब आमजन के मन में शक और सवाल पैदा होते है की आखिर योजना अन्तर्गत चल रहे निर्माण कार्यों में मनमानी, गुणवत्ता से खिलवाड़ और भ्रष्टाचार किसके संरक्षण ने चल रहा है।
