भाजपा जिला संगठन और केंद्रीय मंत्री के खिलाफ खुला मोर्चा : पंचायत चुनाव का घमासान

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प्रदेश संगठन की कार्यवाही तय करेगी कौन कितने पानी में?

जिला अध्यक्ष को हटाया जाएगा?

जनपथ टुडे, डिंडोरी, जिला पंचायत चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार के बाद भाजपा की अंतर्कलह अब खुलकर सामने आ चुकी है और आरोप प्रत्यारोप की चर्चाएं प्रदेश स्तर पर पहुंच चुकी है। भाजपा जिला संगठन और नेताओं की शिकायतों को लेकर ख़बरें प्रदेश स्तर पर सुर्खियों में है। हालाकि अब तक प्रदेश संगठन ने किसी तरह की कार्यवाही के संकेत नहीं दिए है। पर शोर तो मचा है और कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही है। जिसमें लोग जिला अध्यक्ष नरेंद्र राजपूत, नगर परिषद अध्यक्ष पंकज तेकाम, महामंत्री अवध राज आदि को हटाए जाने की संभावना बता रहे है वहीं कुछ लोगों का मानना है कि जिला संगठन जिला पंचायत अध्यक्ष की हार की संभावना व्यक्त करता रहा है और पूरी जानकारी पहले से ही समय समय पर प्रदेश संगठन को देता रहा है। जिसके चलते वह पूरे मामले में जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है और किसी बड़ी कार्यवाही के आसार कम ही है।

जिला पंचायत अध्यक्ष पद की उम्मीदवार पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे की पत्नी श्रीमती ज्योति प्रकाश धुर्वे जिला पंचायत चुनाव में हार के बाद से पार्टी विरोधी कार्य और भीतरघात करने का आरोप पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर लगा रही है। जिसमें भाजपा जिला अध्यक्ष, महामंत्री, नगर परिषद अध्यक्ष सहित और भी कई बड़े नेता और पार्टी कार्यकर्ता शामिल है। इसके बाद उन्होंने अपनी हार के लिए जिम्मेदार कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ शिकायत करने दल बल के साथ भोपाल की ओर कूच भी कर दी। जहां उन्होंने हार के लिए जिम्मेदार पार्टी के लोगों की शिकायत प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा से की, प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रीमती धुर्वे के साथ पहुंचे कार्यकर्ताओं की मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं हो सकी उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष के सामने पूरा घटनाक्रम तथा आरोप बताए और भितरघातियों पर कार्यवाही की मांग करते हुए स्तीफे की भी पेशकश की गई। भोपाल के अख़बारों की सुर्खियां बताती है कि अब उन्होंने अपनी शिकायत का दायरा बढ़ा दिया है और वे जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपनी हार का ज़िम्मेदार केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को भी ठहरा रही है, वहीं सांसद का बयान जो सामने आया है वह भी खुली गुटबाजी का संकेत देता है उन्होंने लगाए गए आरोप का जवाब देते हुए कहा है कि “वो अपने कर्मो से हार गए।” जिसके बाद भाजपा के भीतर खाने में चल रही कलह उजागर हो रही है वहीं पार्टी कार्यकर्ता भी दो खेमे में बटे दिखाई दे रहे।
भोपाल शिकायत करने गए तमाम कार्यकर्ताओं में जहां कुछ पार्टी छोड़ चुके कार्यकर्ता शामिल थे वहीं कुछ मण्डल स्तर के ऐसे भी चेहरे शामिल बताए जाते है जो अब तक जिलाध्यक्ष के करीबी माने जाते थे। जिससे लग रहा है कि पार्टी में मचे शोर का असर ज़रूर पार्टी की छवि पर पड़ेगा और इस समय कोई सर्वमान्य नेता या वरिष्ठ कार्यकर्ता यहां सक्रिय नहीं है जो कार्यकर्ताओं में व्याप्त असंतोष पर नियंत्रण कर सके समन्वय बना सके। वहीं दोनों खेमे आगे भी एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई अवसर छोड़ेगे ऐसा नहीं लगता। इस पूरे विवाद का असर आगामी विधानसभा चुनाव पर जरूर होगा यहां यह भी बताना जरूरी है कि जिले की दोनों विधानसभा सीट पर पहले से कांग्रेस का कब्ज़ा है और आगे भी स्थितियां नहीं लग रही है कि भाजपा इस गुप्तरोग के चलते यहां से उभर पाएगी। भितरघात और गुटबाजी फिलहाल किसी भी कीमत पर रुकती नहीं दिख रही है बल्कि आगे अभी कुछ और घटनाक्रम और तमाशे देखने मिले तो कोई बड़ी बात नहीं है। अध्यक्ष पद के चुनाव के पहले से ही ज्योति धुर्वे के तेवर को लेकर चर्चा रही है और आडियो वीडियो वायरल होते रहे है। आगे आगे देखिए होता है क्या पर भाजपा के भीतर अनुशासन और संगठन की एकजुटता फिलहाल चर्चा में है जो भविष्य में भाजपा के लिए बड़े नुकसान की वजह हो सकती है जिसके परिणाम बहुत जल्दी होने जा रहे डिंडोरी और शहपुरा में होने जा रहे नगरीय निकाय के चुनावों में भी दिखाई दें सकते है। प्रदेश स्तर पर भितरघातियों की हुई शिकायत के बाद प्रदेश संगठन इन आरोपों को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या कार्यवाही करता है? इससे पार्टी के अलग अलग खेमों की बजनदारी भी साबित होगी और यह भी साफ हो जाएगा कि पार्टी किसको सही मानती है और किसको गलत।

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