
छात्रों को परोसा जा रहा बेस्वाद और घटिया भोजन, स्टेशनरी और खेल सामग्री भी नदारद
- आदिवासी छात्रावासों में नही है कोई व्यवस्था
विद्यार्थियों ने अधीक्षक बदलने की लगाई गुहार
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 20 अगस्त 2022, जिले में आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित आदिवासी छात्रावास बदहाली का शिकार हैं।अधिकारियों और अधीक्षकों की मनमानी के चलते छात्रावासों में शासन द्वारा तय मापदंडों का पालन नही किया जा रहा है।लिहाजा आरक्षित वर्ग के बच्चों के हॉस्टल में जमकर अनिमित्ताओ को अंजाम दिया जाता है। मरम्मत और सौंदर्यीकरण के नाम पर गड़बड़ी करने के साथ छात्रावासों में बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं के साथ भी खिलबाड़ किया जा रहा है। ऐसा ही मामला शनिवार को प्रकाश में आया है।जिसकी शिकायत लेकर छात्र कलेक्ट्रेट पहुंचे और लिखित तौर पर बतलाया कि विकासखंड बजाग में संचालित एक्सीलेंस बालक छात्रावास में
अधीक्षक मंगल सिंह धुर्वे द्वारा कोई भी सुविधा उपलब्ध नही कराई जा रही है। छात्रों का आरोप है कि अधीक्षक मीनू के मुताबिक आहार / भोजन की व्यवस्था नही कराते हैं। सुबह शाम उनको नास्ता भी नही दिया जाता है। भोजन में केवल चावल, दाल और आलू की सब्जी परोसी जाती है। छात्रों ने बतलाया कि दाल और सब्जी में पानी ज्यादा होता है और वह पूरी तरह बेस्वाद होती है।उन्होंने बतलाया कि उनके छात्रावास में पानी और सफाई की भी व्यवस्था नही रहती है। अधीक्षक बच्चों को स्टेशनरी और खेलकूद की सामग्री भी मुहैया नही कराते हैं। इस बाबद मांग करने पर अधीक्षक मंगल मरावी छात्रों के साथ बदसलूकी भी करते हैं। जानकारी के मुताबिक 100 सीटर की क्षमता वाले इस हॉस्टल में फिलहाल 6वीं से 12 वीं तक के 70 छात्र रहते हैं। सरकारी सुविधाओं से बंचित छात्रों ने अधीक्षक को बदलने की मांग प्रशासन से की है।
इस दौरान छात्र हरीश चन्द्र सैयाम, देवन्द्र कुमार, सतीश कुमार, जमुना प्रसाद धुर्वे, विनय कुमार, जीवन, विजेन्द्र, बीरेन्द कुमार, शिवम, सागर, पुरुषोत्तम सिंह मौजूद रहे।
छात्रावासों में गड़बड़ियों का आलम
गौरतलब है कि जिले में छात्रावास कमाई का जरिया बन चुके है जिन्हे हथियाने के लिए शिक्षक काफी जोड़तोड़ करते है। जहां छात्रों के लिए आने वाले आबंटन में भारी गोलमाल के आरोप है। अधिकतर सुविधाएं और राशि अधीक्षकों द्वारा हड़प ली जाती है। सूत्र बताते है कि इसका बंदरबांट नीचे से ऊपर तक होता है, जिसके चलते अधिकारियों द्वारा भी समय समय पर छात्रावासो का निरीक्षण तक नहीं किया जाता है और छात्र छात्राएं शासन द्वारा सुविधाओ से बंचित रह जाते है। छात्रावास अधीक्षक को नियमानुसार रात्रि में छात्रावास में रहना चाहिए किन्तु अधिकतर छात्रावास अधीक्षक गायब रहते है। नियमानुसार सामग्री और सुविधाओं से बंचित छात्रावास जिले भर में देखे जा सकते है। यहां तक कि जिला मुख्यालय के ही छात्रावासो की स्थिति अच्छी नहीं है किन्तु अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त अधीक्षकों को शिकवा शिकायत और निरीक्षण/ जांच का कोई भय नहीं है। जिला प्रशासन को सभी छात्रावासो का औचक निरीक्षण कर स्थितियों का मुआयना करवाकर छात्रहित में कार्यवाही की जानी चाहिए।