
शराबीयो की जेब टटोलती सरकार
नई आबकारी नीति में 20 से 25 फीसदी बढ़ेगी कीमत
दुकानें रिन्यू नहीं करेगी सरकार
टेंडर खुलने के बाद फिर से बोली बढ़ाने का मौका मिलेगा ठेकेदारों को
भोपाल, जनपथ टुडे 6.2.2020, मध्यप्रदेश सरकार आर्थिक तंगी का रोना रोने के साथ इससे उबरने के उपाय भी खोज रही हैं और अब उसकी नजर प्रदेश के सुराप्रेमियो पर है । नई आबकारी नीति में सरकार अगले माह प्रदेश भर की शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया को नए ढंग से करेगी शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाएगा वहा से अनुमति के बाद प्रस्ताव केबिनेट में अनुमोदन हेतु भेजा जायेगा |
आम बजट में मध्यप्रदेश का कोटा कम किए जाने के बाद सरकार की आर्थिक दिक्कतें और बढ़ गई हैं। प्रदेश सरकार पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रही थी। अब सरकार ने आय बढ़ाने शराब की दुकानों को जरिया बनाया है। कहा जा रहा है कि केंद्र की तरफ से राहत न मिलने के कारण सरकार अपने पास उपलब्ध संसाधनों से अधिक से अधिक राजस्व जुटाने के प्रयास कर रही है। यही वजह है कि आबकारी विभाग से अधिकतम राजस्व जुटाने के लिए नई आबकारी नीति में शराब दुकानों की नीलामी की प्रक्रिया में संशोधन किया गया है। इससे पहले तक पिछले साल के अपसेट प्राइस से 15 प्रतिशत राशि बढ़ाकर शराब दुकान रिन्यू कर दी जाती थीं। अधिकतर शराब ठेकेदार 15 प्रतिशत ज्यादा राशि देकर दुकानें रिन्यू करा लेते थे। इससे सरकार के राजस्व में अधिकतम 15 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी हो पाती थी। लेकिन अब अपसेट प्राइस में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने और उसके बाद बोली लगाए जाने की प्रक्रिया से सरकार के राजस्व में अच्छी खासी बढ़ोतरी के आसार हैं।
नीलामी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव
राज्य सरकार इस साल नई आबकारी नीति में शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसका मकसद राजस्व में बढ़ोतरी करना है। इस साल शराब ठेकेदार शराब दुकानों को रिन्यू नहीं करा पाएंगे। इस बार शराब दुकानों की नीलामी के लिए ई-टेंडर निकाले जाएंगे। टेंडर खोलने के बाद एक बार फिर निविदाकर्ताओं को नीलामी की राशि बढ़ाने का मौका दिया जाएगा। इसके बाद शराब ठेकों की नीलामी शुरू की जाएगी और सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को शराब की दुकान आवंटित कर दी जाएगी। पिछले साल के मुकाबले इस बार शराब दुकानों की अपसेट प्राइस 20 से 25 प्रतिशत ज्यादा रखी जाएगी।
बढ़ेगा 4 हजार करोड़ राजस्व
शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में बदलाव से सरकार को 4 हजार करोड़ अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। प्रदेश में शराब की करीब 3600 दुकानें हैं। इनमें 1060 विदेशी शराब दुकानें और करीब 2544 देसी शराब दुकानें हैं। वाणिज्यिक कर विभाग के प्रस्ताव को मंत्री बृजेन्द्र सिंह ने अनुमोदन कर दिया है। अब प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाएगा। वित्त विभाग की अनुमति के बाद मुख्यसचिव के माध्यम से प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। वर्तमान में देश में मप्र में शराब सबसे महंगी है। सरकार इससे पहले प्रदेश में उपदुकानें खोलने का फैसला कर चुकी है। उप दुकान खोलने के लिए शराब दुकान संचालक को सालाना शराब ठेके के अतिरिक्त राशि देना होगी। शहरी क्षेत्र में 5 किलोमीटर की परिधि में शराब की दुकान नहीं होने पर, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 10 किलोमीटर की परिधि में शराब दुकान नहीं होने पर उप दुकान खोलने की मंजूरी दी जाएगी। शराब दुकान के लाइसेंस शुल्क के आधार पर उप दुकानों के अतिरिक्त शुल्क का स्लैब तैयार किया गया है।
प्रदेश में लागू होने जा रही इस नीति से सरकार को लाभ होगा किन्तु अधिक कीमत पर ठेका लेने वाले ठेकेदार कैसे ना कैसे इसकी पूर्ति क्रेताओं से ही करेगे । जिसके चलते शराब महंगी हो सकती हैं।