
अखिल गोडवाना गोंडी धर्म, संस्कृति, साहित्य सम्मेलन 12 से 14 जनवरी तक अमरकंटक में
जन-पथ टुडे, डिंडोरी, 11 जनवरी 23, मध्य प्रदेश के अमरकंटक में गौंडवाना क्षेत्र की सांस्कृतिक, साहित्यक विरासत का गौरवशाली 21वां वर्ष कपिला संगम, फड़ापेन ठाना, गोंडवाना मेला मैदान, में दिनांक 12, 13, एवं 14 जनवरी 2023 को आयोजित होने जा रहा है। तत्संबंध में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री श्री हरेंद्र सिंह मार्को ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि तिसगाव / तिरुमाल आप सभी गोंडवाना वासियों को आमंत्रित करते हुये अत्यंत हर्ष हो रहा है। किवा फडापेन शक्ति सेवा धाम कपिला संगम पेन ताना गौडवाना सेवा न्यास अमूरकोट (अमरकंटक) के द्वारा लगातार विगत 21 वर्षों से फड़ापेन अखंड ज्योति प्रज्जवलित की धर्म, संस्कृति एवं साहित्य की विश्व विस्तार के लिये रचनात्मक कार्य करते हुये प्रगति की ओर अग्रसर है।
गोडवाना सेवा न्यास अरकोट (अमरकंटक) के संस्थापक पेन वासी दादा हीरा सिंह मरकाम ने पास विकासक गोंडी धर्म, गोंडी संस्कृति एवं साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान बना कर ऐतिहासिक कार्य कर गये जो युग युगांतर तक स्मरणीय रहेगा। इतिहास में गोडवाना के वैभवशाली सम्राज्य का अनेक वर्णन मिलता है। गांववासी ही नहीं, इस धरती के प्रथम शासक वर्ग भी है रानी दुर्गावती मरावी, राजा सुंदर रघुनाथ शाह, अमर शहीद वीर नारायण आदि वे राजा थे, महाराजा थे, उनकी वीरता की मिशाल विश्व पटल पर आलेखित है। हम उन तमाम के साहित्यकार गोंडवाना इतिहासकारों एवं मयाना के लेखकों के आभारी है जिन्होंने अपने अथक त्याग परिश्रम व अध्ययन से गोंडवाना के ऐतिहासिक धरोहरों को इतिहास में आखित कर गोंडवाना विरासत के विशाल वैभवशाली साम्राज्य व संस्कृति से परिचत कराया। गोंडवाना का अतीत साक्षी है कि अमरकोट (अमरकंटक) गाना सभ्यता का प्राचीन धरोहर है, सेनादला गागरा से आदि की उत्पत्ति हुई यहां गोंडवाना का बेला विस्तार हुआ, जहां पर महाराजा कर्ण सिंह मरावी एवं महारानी मैनावती मरावी कर्मठ (मंदिर) जिसका राज्य चिन्ह हाथी के उपर शेरवाना के वैभवशाली साम्राज्य को आज भी गौरवान्वित कर रहा है। जहां संगठन महाशक्ति है वहां सत्ता व समृद्धि सामाजिक, स्वाभिमान, आत्मबल, पुरुषार्थ विवेक जागृत होता है और समाज का सृजन होता है। गयाना संस्कृति अमेय संस्कृति है और विश्व के विभिन्न संस्कृतियों की जननी है तथा अगस्य है। समाज शास्त्री अभी भी इसकी उपरी सतह पर उलारी हुई है। ऐसी प्रवृत्तिधर्म – संस्कृति का संवर्धन एवं संरक्षण से ही गोंडवाना समर्थवान नियान, सुसंस्कृतिवान बन सकता है। आर्थिक आत्मनिर्भरता जो किसी भी समाज के विकास का आधार है उसकी बुनियाद पर ही स्वाथ्य, शिक्षा, संस्कृति, विकास, सुरक्षा एवं सत्ता जैसी भव्य महल खड़े हो सकता है। इस पर भी यह न्यास निरंतर कार्यशील है। हम पूर्ण आश्वस्त है कि यह न्यास गोंडवाना समय विकास आंदोलनाला ऐतिहासिक धरोहर का ताना, सरमा, गोटुल को संरक्षण करवाना का अमर इतिहास विश्व पटल पर आखि न्यास] अमूरकोट (अमरकंटक) गाना को प्राचीन ऐतिहासिक महत्व को बरकरार रखने तथा गाँव के लोगों में नई चेतना पैदा कर जन समुदायको आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक संस्कृतिक एवं राजनैतिक रूप से सामान बनाने के लिये निरंतर कार्य कर रही है।
अतः अखिल गोंडवाना गोंडी धर्म, संस्कृति, साहित्य सम्मेलन के माध्यम से समस्त गाना भू-भाग के मात्र मातृ पितृ शक्तियों युवक तियो प्रमुख वर्गों, शासकीय सेवारत अधिकारी, कर्मचारीगण, निजी संस्थाओं, कंपनियों, फैक्ट्रियों में सेवारत अधिकारी कर्मचारीवृन्द, शिक्षित बेरोजगार भाईयों, बहनों, छात्र छात्राओं, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेतृत्व करने वाले गोंडवाना के लोग गाना साहित्यकारों, कलाकारों, पंचा पुजारियों, अन्नदाता किसान भाईयों, इतिहासविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कानून विदों आप सभी को इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित किया जाता है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में परिवार इस महासम्मेलन में भाग लेकर इस महान कार्य को एवं ऐतिहासिक बनायें ।