50 साल में नहीं हो पाई पेयजल व्यवस्था : नदी का गंदला पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

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बसनिया के संजोला टोला में न कुआ है न हैंडपंप

ईई, पीएचई को समस्या की जानकारी तक नहीं

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 15 जून 2023, हर घर जल, नल जल योजना, जल जीवन मिशन जैसी कई योजनाओं की सरकारी जानकारियां सुनकर भले लोगों का लगता हो कि पूरा देश तरबतर हो चुका है पर ग्रामीण अंचलों की वास्तविक स्थिति इसके ठीक उलट है। लोग बूंद बूंद पानी को मोहताज है। तीन किमी. दूर जाकर सूखी हुई नदी का गंदा पानी पीने को मजबूर है। ऊपर से जिम्मेदार विभाग के अधिकारी कहते है पता करवाता हूं। यह स्थिति उस ग्राम की है जो जिला मुख्यालय से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित है और वहां अब तक न कोई शासकीय कुआ है न ही हैंडपंप। फिर भी लोग ठंड और बरसात में कैसे भी गुजारा कर ही लेते है पर भीषण गर्मी के चलते जब नदी भी पूरी तरह से सुख चुकी है तब ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के दरवाजे पर दस्तक देना जरूरी समझा।

ग्राम पंचायत बसनिया के संझोला टोला के ग्रामीणों ने 13 जून को जिला कलेक्टर डिंडोरी को आवेदन देकर भीषण जल संकट से जूझ रहे ग्रामवासियों की समस्या का निदान करने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में न तो कोई शासकीय कुआ है और न ही हैंड पम्प, बाकी के मौसम में तो कैसे भी गुजारा कर लेते है पर गर्मियों में उन्हें तीन किलोमीटर दूर कुटरा नदी से पीने का पानी लाना पड़ता है। गर्मी के चलते अब यह नदी भी सूख चुकी है और ग्रामीण नदी में भरा हुआ गंदा पानी पीने को मजबूर है। ग्रामीणों का कहना है कि 50 वर्षो से आज तक पेयजल सुविधा के नाम पर न तो गांव में कुआ है और न हेण्डपंप। नदी का स्त्रोत बन्द होने से पशु-पक्षी प्यास में प्राण त्याग रहे हैं। गांव में जल संकट की गंभीर समस्या बनी हुई है। सभी ग्रामीण एवं मवेशी एक स्थान से नदी का गन्दा पानी पीने को मजबूर है। जिससे लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे है।

प्रशासन की अनदेखी और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की घोर लापरवाही का नमूना है जिला मुख्यालय के करीबी इस ग्राम में आजादी के 70 साल बाद भी पेयजल की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जिले भर में पेयजल आपूर्ति के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों की योजना बनाकर सरकार को प्रस्ताव भेजने वाले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री और संबंधित ग्राम के एसडीओ शिवम् सिन्हा, समस्या पर जवाब देते है कि दिखवा लेते है, क्या समस्या है और जरूरी हुआ तो जल परिवहन की अनुशंसा कर दी जाएगी। हैरत की बात है कि 50 से अधिक वर्षों से जिस ग्राम में पेयजल की कोई व्यवस्था विभाग ने नहीं की है और जल विहीन ग्राम की जानकारी तक जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों को नहीं है। जून के अंत में ऐसे ग्राम में पेयजल परिवहन की अनुसंशा किए जाने की बात करने वाले अधिकारी को अपने विभाग के क्षेत्रीय अमले से ऐसे गांवों की जानकारी तक उपलब्ध नहीं कराई जाती जहा भीषण जल संकट है और गांव में कोई जल स्रोत नहीं है? तब समस्या के निदान की कोई संभावना भी दिखाई नहीं देती। जिले में जल आपूर्ति के नाम पर अरबों रुपए खर्च कर चुके पीएचई विभाग की गंभीर लापरवाही है कि वह ऐसे गांव में आज तक एक नलकूप या कुएं का खनन नहीं करवा पाया और न उसके पास कोई जानकारी उपलब्ध है, जिससे आगे समस्या का हल निकाला जा सके। ग्रामीणों की माने तो संझोला टोला पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है पर अभी गर्मियों में वाहनों का आवागमन संभव है। ऐसे में यदि पीएचई विभाग चाहे तो बरसात प्रारंभ होने के पहले ग्राम में नलकूप खनन का कार्य करवाया जा सकता है, किन्तु न तो विभाग के पास वर्षों से भीषण जलसंकट झेल रहे इस ग्राम की कोई जानकारी है और न ही कोई योजना प्रस्तावित है जिससे फिलहाल गांव में पेयजल की कोई व्यवस्था होने की संभावना नजर नहीं आती।

जनप्रतिनिधियों को नहीं ग्रामीणों की सुध

भीषण जल संकट झेल रहे ग्रामीणों की जहां जिम्मेदार शासकीय विभाग और पेयजल व्यवस्था की निगरानी बैठकों का आयोजन करने वाले जिला प्रशासन को कोई परवाह नहीं है वहीं जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने भी समस्या के निदान हेतु कोई प्रयास नहीं किया। 15 वर्षों से क्षेत्र के कांग्रेस विधायक से ग्रामीणों ने दर्जनों बार संकट के निदान की मांग की पर उनके द्वारा भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। विधायक को संझोला टोला की समस्या की जानकारी तो है पर इसके निदान को लेकर उनके पास कोई जवाब नहीं है और वे जानकारी पीएचई के अधिकारियों से लेने की बात कहते है। ग्राम पंचायत बसनिया के मूल निवासी भाजपा से लगातार पिछले दो बार से विधानसभा प्रत्याशी रहे है और भाजपा के वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी है तब भी ग्रामीणों को अपनी समस्या के लिए जिला प्रशासन के चक्कर काटने पड़ रहे है तब भी समस्या का कोई हल नहीं दिखाई दे रहा है।

लापरवाह अमले के चलते प्रशासन का दावा नहीं हुआ पूरा

जिला प्रशासन जिले में जल आपूर्ति को लेकर बहुत पहले अपनी मंशा जता चुका था, और उनका दावा था कि इस वर्ष गर्मियों के पूर्व सम्पूर्ण जिले में पेयजल की व्यवस्था कर ली जाएगी और किसी भी ग्राम में जल परिवहन नहीं किया जाएगा। किन्तु नकारा विभागीय अमले के आगे प्रशासन का दावा खोखला साबित हो रहा है और गर्मी समाप्त होने को है पर गांव के लोगों को अब तक पेयजल किसी भी तरह से उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। स्थिति तो यहां तक है कि जल संकट झेल रहे गांव की जानकारी तक पीएचई के अधिकारी को नहीं है तब समस्या के निदान का सवाल ही नहीं है।

आदिवासी अंचल में विकास के वायदे करने वाली सरकारें भले ही बड़े बड़े दावे करती आ रही है। पर ग्रामीण अंचल के लोग आज भी मूल जरूरतों के लिए भटकने को मजबूर है और इनकी गंभीर समस्याओं को लेकर स्थानीय प्रशासन कोई विशेष प्रयास नहीं कर रहा है।

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