
कलेक्टर श्रीमती नेहा मारव्या ने जनसुनवाई में सुनी लोगों की समस्याएं ओर अधिकारियों को दिए निर्देश
मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जनसुनवाई में प्राप्त हुए 72 आवेदन
कलेक्टर श्रीमती नेहा मारव्या ने आज मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जनसुनवाई आयोजित कर लोगों की समस्याएं सुनी। आवेदकों द्वारा विभिन्न समस्याओं से संबंधित 72 आवेदन प्रस्तुत किये गए जिनका त्वरित निराकरण किया। जिन आवेदन पत्रों का निराकरण नहीं हो पाया उनके लिए आवेदकों को समय सीमा दी गई। आज जनसुनवाई में अपर कलेक्टर श्री सुनील शुक्ला सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। आयोजित जनसुनवाई में धवाडोंगरी के ग्रामीणों ने आवेदन प्रस्तुत कर बताया कि तुलसीघाट तक ग्रेवल रोड निर्माण कार्य में विलंब होने के कारण आवागमन में परेशानी हो रही है। उन्होंने अधूरे पड़े ग्रेवल रोड निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा कराने की मांग की। कलेक्टर श्रीमती मारव्या ने उक्त आवेदन पर कार्यवाही करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किये और ग्रेवल रोड का निर्माण शीघ्र पूरा कराने को कहा। इसी प्रकार से नगर परिषद डिंडौरी निवासी आवेदक टी.पी. गुप्ता ने बताया कि उनके घर के सामने बारिश के पानी के भराव से गंदगी एवं मच्छरों की समस्या बनी रहती है। नगरपालिका द्वारा नाला निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है। उन्होंने निवेदन किया कि नाले का कार्य शीघ्र पूर्ण कराया जाए। ग्राम शर्मापुर निवासी लीला बाई ने इस हेतु आवेदन प्रस्तुत किया कि उनकी भूमि राजमार्ग निर्माण हेतु अधिग्रहित की गई है, परंतु अब तक मुआवजा राशि प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने आग्रह किया कि शीघ्र उचित मुआवजा दिलाया जाए। कलेक्टर श्रीमती मारव्या ने जनसुनवाई में प्राप्त सभी आवेदनों पर त्वरित कार्यवाही हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। ग्राम पंचायतों में आयोजित हुई जनसुनवाई
कलेक्टर श्रीमती नेहा मारव्या के निर्देशानुसार जिले के सभी ग्राम पंचायतों में भी आज जनसुनवाई आयोजित की गई। ग्राम पंचायतों की जनसुनवाई 15 अप्रैल से प्रारंभ किया गया है। जिसमें विभिन्न विभागों से संबंधी आवेदन प्राप्त हुए, प्राप्त आवेदन का निराकरण किया गया, जिन आवेदनों का तत्काल निराकरण संभव नहीं था, उसके लिए आवेदकों को समय-सीमा दे दी गई है। ग्राम पंचायतों में जनसुनवाई आयोजित होने से आवेदकों को दूर-दराज क्षेत्रों से जिला मुख्यालय नहीं आना पड़ता, इससे उनके समय और खर्च दोनों की बचत होती है। पंचायतों में प्राप्त आवेदनों को आवश्यकता अनुसार कार्यवाही हेतु उच्च स्तर पर भी भेजा जाता है।