
गोगपा ने बैंगा आदिवासियों की जमीनें खरीदी में गड़बड़ियों की जांच कराए जाने सौंपा ज्ञापन
बॉक्साइट खनन हेतु पिपरिया माल के बैंगाओ की जमीनें दलालों द्वारा फर्जीवाड़ा कर खरीदने का मामला
दलालों पर कसा जाए शिकंजा
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 23 अप्रैल 2025,जिले के बजाग विकासखंड के बैगा बहुल ग्राम पिपरिया माल के अधिकांश लोगों की जमीनें दलालों के माध्यम से खनन माफिया द्वारा खरीदे जाने का मामला तब उजागर हुआ जब ग्राम सभा के माध्यम से पंचायत में विशेष आमसभा बुलाकर गांव में खदान पर रोक लगाए जाने का निर्णय लेते हुए जमीन खरीदी में दलालों द्वारा धोखाधड़ी कर औने पौने दामों पर जमीनें खरीदे जाने की शिकायत तहसीलदार बजाज से की। मामले की वास्तविकता जानने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम अपने कार्यकर्ताओं के साथ ग्राम पिपरिया पहुंचे तब ग्रामीणों ने दलालों द्वारा छलपूर्वक औने पौने दामों पर उनकी जमीनों को खरीद लिए जाने और इन परिवारों के सामने खड़े भरण पोषण के संकट को बताते हुए। जमीनों के सौदों की जांच करवाकर उनकी जमीनें वापस दिलवाने की मांग रखी। जिस पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को प्रेषित करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर न्यायपूर्ण कार्यवाही किए जाने का अनुरोध किया है।
प्रेषित ज्ञापन में लिखा गया है कि ग्राम पिपरिया माल के सभी टोलों के बैगा आदिवासियों की अधिकांश जमीनें बाहुबली भू माफियाओं द्वारा दलालों के माध्यम से हड़प ली गई है। गांव के भोले भाले, कम पढ़ें लिखे बैगा आदिवासियों को बहला फुसलाकर, बलपूर्वक, धोखे से दलालों द्वारा लगभग 750 एकड़ जमीन औने पौने दामों पर बिकवा दी गई है। जमीन बेचने वाले अधिकांश लोगों को यह तक नहीं पता कि उनकी जमीन किसने खरीदी है। वे सिर्फ जमीन बिकवाने वाले दलालों को जानते है जो इस मामले में लगातार गांव के लोगों के संपर्क में रहे। अतः इन जमीनों की सभी रजिस्ट्रियों की जांच करवाकर गलत ढंग से हुई रजिस्ट्रियों को रद्द करवाया जाए। ग्रामीणों का आरोप है कि मृतक व्यक्तियों, शामिल खातों की जमीनों को बिना सहमति के जबरन खरीद लिया गया है। विक्रेताओं के फर्जी अंगूठे, दस्तखत और फोटो लगाकर भी कई रजिस्ट्रीयां करवाए जाने के आरोप भी ग्रामीणों ने लगाए है। कुछ लोगों ने बिना पैसे दिए जमीन खरीदने तो वही कुछ जमीन खरीदने के नाम पर पूरी की रजिस्ट्री करवा लिए जाने के भी आरोप दलालों पर लगाए है।
बैगा आदिवासियों की जमीनों की रजिस्ट्री दलालों द्वारा जिन बाहरी जिले के आदिवासियों के नाम पर करवाई गई है। ज्ञापन में उनकी जांच करवाए जाने की मांग की गई है। चूंकि इनके मूलग्राम में इनके नाम थोड़ी बहुत कृषि भूमि दर्ज है जो शामिल खाते की पैतृक संपति है। इनमें से दो लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपना पक्का मकान बनवाया है। इसमें से एक व्यक्ति के परिवार की राशन पात्रता पर्ची जारी होने की जानकारी सामने आ रही है वही उसके परिवार द्वारा मनरेगा में मजदूरी की जा रही है और उनके बैंक खातों में मजदूरी की राशि का भुगतान हो रहा है। ऐसे में जिले के पिपरिया माल में कटनी निवासी रघुराज सिंह के नाम पर 212 खसरों की 148.95 हेक्टेयर, राकेश सिंह द्वारा 44 खसरों की 32.34 हे., नत्थूलाल के द्वारा 91 खसरों की 70.72 हे. और प्रहलाद द्वारा 4 खसरों की 32.34 हे. भूमि कुल 286.42 हे. भूमि खरीदा जाना संदिग्ध प्रतीत होता है अतः इन सभी रजिस्ट्रियों और इन व्यक्तियों के बैंक खातों, आर्थिक स्थिति की भी जांच करवाई जाए।
इस ग्राम के बैगा आदिवासी मुख्यत: अपनी कृषि पर ही निर्भर है इनकी लगभग 80% भूमि खनन माफियाओं ने दलालों के माध्यम से खरीद ली है जिससे इनके सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है। अतः गलत ढंग से खरीदी गई जमीनें इन्हें वापस दिलवाई जाए। बैगा आदिवासी प्रायः वनग्रामों में निवास करते है और उनका भरन पोषण इन जमीनों और वन उपज के माध्यम से होता है। अपनी रूढ़ि परंपराओंं के साथ रहने वाले बैगा आदिवासी पलायन को भी नहीं स्वीकारते है अतः इनकी जमीनें माफियाओं द्वारा खरीद लिए जाने से इनके सामने बड़ा खड़ा हो गया है अतः जिला प्रशासन इनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए बैगा जनजाति के हित में उचित कार्यवाही करे।