
नशा मुक्ति और वृद्धजन सेवा में जिला न्यायाधीश की करुणामयी पहल
जनपथ टुडे डिंडोरी 06 सितंबर।
“बच्चों को नशे से बचाना और वृद्धों को संबल देना ही सच्ची सेवा है” – जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान
इंदौर, 6 सितम्बर।
समाज में बढ़ती नशे की लत और वृद्धाश्रमों की संख्या ने सामाजिक ताने-बाने को झकझोर कर रख दिया है। इन जटिल समस्याओं के समाधान हेतु देपालपुर के जिला न्यायाधीश, माननीय श्री हिदायत उल्ला खान ने करुणा और संवेदनशीलता से परिपूर्ण सराहनीय पहल की है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगाती है।
इस सामाजिक पहल के अंतर्गत न्यायाधीश श्री खान इंदौर के अंकुर रिहैब सेंटर (एल.आई.जी.) स्थित ओ.डी.आई.सी. केंद्र पहुँचे। यह केंद्र विशेष रूप से बच्चों को नशे की लत से बचाने, पुनर्वास हेतु परामर्श तथा शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने का कार्य करता है। इस अवसर पर समाजसेवी डॉक्टर इशहाक खान भी उनके साथ उपस्थित रहे।
केंद्र के प्रभारी दीपक राजपूत ने बताया कि अब तक 220 से अधिक बच्चे एवं उनके परिजन इस केंद्र से लाभान्वित हो चुके हैं। न्यायाधीश श्री खान ने केंद्र की कार्यप्रणाली की जानकारी ली और टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर गहरी चिंता व्यक्त की।
इसी क्रम में जिला न्यायाधीश श्री खान गोल्ड क्वाइन संस्था द्वारा एम.आई.जी., इंदौर में संचालित महिला वृद्धाश्रम भी पहुँचे। वहाँ उन्होंने आश्रम की संचालिका ‘दादी जी’ सहित सभी वृद्धजनों से आत्मीय संवाद किया, उनका आशीर्वाद लिया और स्वल्पाहार प्रदान किया।
न्यायाधीश श्री खान ने वृद्धजनों के जीवन अनुभवों को ससम्मान सुना और उनके साहस व जीवन शक्ति को नमन किया। उनके आत्मीय व्यवहार और सहानुभूति ने वृद्धजनों के चेहरों पर मुस्कान ला दी।
इस अवसर पर उन्होंने कहा,
“वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या अत्यंत चिंताजनक है। एकल परिवारों की प्रवृत्ति और सामाजिक उपेक्षा ने वृद्धों को अकेलापन और असुरक्षा की ओर ढकेला है। समाज को इस दिशा में जागरूक होकर जिम्मेदारी निभाने की आवश्यकता है।”
उन्होंने समाजसेवियों और स्वयंसेवी संगठनों से आह्वान किया कि वे नशा मुक्ति और वृद्धजन कल्याण जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में और अधिक सक्रिय भूमिका निभाएँ।
द्वारा की गई यह पहल न केवल सामाजिक चेतना का प्रतीक है, बल्कि एक संवेदनशील न्यायिक व्यक्तित्व के मानवीय पक्ष को भी उजागर करती है। न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान द्वारा उठाए गए यह कदम निश्चित ही समाज के अंधकार में आशा की नई किरण बनकर सामने आए हैं।