मीटिंग में जाने के लिए समय से पहले बंद कर दिए स्कूल- अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला

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मनमाने आदेश से शिक्षा व्यवस्था ठप: 3 बजे ही बंद हुए स्कूल, मीटिंग में पहुंचे शिक्षक

उपसंपादक मोहम्मद साहिब

जनपथ टुडे डिंडोरी 12 अक्टुबर- डिंडोरी जिले के बजाग विकासखंड के अंतर्गत आने वाले संकुल केंद्र चांडा में शनिवार को आयोजित एक मीटिंग ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और प्रभारी संकुल प्राचार्य के आदेश पर रखी गई इस बैठक के चलते क्षेत्र के दर्जनों शासकीय विद्यालय दोपहर 3 बजे ही बंद कर दिए गए, जिससे सैकड़ों विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हुई।

दरअसल, शुक्रवार रात को व्हाट्सएप ग्रुप में एक पैराग्राफ टाइप संदेश के माध्यम से सूचना दी गई कि शनिवार शाम 4 बजे से संकुल केंद्र चांडा में एक महत्वपूर्ण बैठक रखी गई है। इसमें सभी प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकंडरी विद्यालयों के नियमित एवं अतिथि शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई थी। चूंकि आदेश देर रात आया और मीटिंग का समय विद्यालय की कार्यावधि के भीतर था, इसलिए शिक्षकों के सामने मीटिंग में समय पर पहुंचने के लिए विद्यालय समयपूर्व बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

क्षेत्र के कई विद्यालय 10 से 20 किलोमीटर दूर स्थित हैं, जिनके रास्ते जंगलों और उबड़-खाबड़ क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं। फिटारी, कुदवाडी, खपरीपानी, खमहेरा, मिढली, धुरकुटा, कांदावानी, लमोठा, शीतलपानी, ताला, भुरसी, तरच, तातार और चांडा जैसे ग्रामों के विद्यालयों के शिक्षकों को मीटिंग में पहुंचने के लिए समय की कमी के कारण दोपहर 3 बजे ही बच्चों की छुट्टी करनी पड़ी

शासकीय विद्यालयों का निर्धारित समय सुबह से शाम 4 बजे तक होता है। ऐसे में 4 बजे मीटिंग रखे जाने का निर्णय न केवल अव्यावहारिक माना जा रहा है बल्कि इसे शिक्षा व्यवस्था के अनुशासन के साथ खिलवाड़ भी समझा जा रहा है। इस मामले में क्षेत्र के शिक्षक वर्ग में नाराजगी और असंतोष का माहौल है। कई शिक्षकों ने कहा कि “हमसे यह उम्मीद करना कि हम 4 बजे स्कूल बंद करें और उसी समय 15 किलोमीटर दूर मीटिंग में पहुंच जाएं, पूरी तरह अव्यावहारिक है।”

 

जब इस संबंध में प्रभारी संकुल प्राचार्य अखिलेश प्रजापति से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मीटिंग विकासखंड शिक्षा अधिकारी के आदेश पर रखी गई थी और विद्यालयों के बंद होने की जानकारी उन्हें नहीं है। वहीं विकासखंड शिक्षा अधिकारी तीरथ परस्ते ने कहा कि मीटिंग विद्यालय समयावधि के बाद रखी गई थी। दोनों अधिकारियों के बयानों में स्पष्ट विरोधाभास झलकता है, क्योंकि यदि मीटिंग विद्यालय समय के बाद रखी गई थी तो विद्यालय 3 बजे क्यों बंद हुए, यह बड़ा प्रश्न है।

यह पूरा मामला शिक्षा विभाग में समन्वय की कमी और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। बिना औपचारिक आदेश के सिर्फ व्हाट्सएप संदेश के आधार पर मीटिंग बुलाना न केवल शासन के नियमों का उल्लंघन है बल्कि विद्यार्थियों की शिक्षा के साथ प्रत्यक्ष खिलवाड़ भी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि समाचार प्रकाशित होने के बाद विभागीय अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं — क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी या यह मामला भी केवल कागजी जांच तक सीमित रह जाएगा।

संवाददाता अमित साहू

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