
वृद्ध मां के भरोसे चार दिव्यांग इनकी तो फरियाद सुन लो सरकार-
कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदोरिया ने कहा कि दिव्यांग परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके सभी संभव प्रयास किए जाएंगे
संपादक प्रकाश मिश्रा
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जनपथ टुडे डिण्डौरी 15 अक्टूबर 2025- डिंडोरी में करंजिया विकासखण्ड के पंडरीपानी गांव में सत्तर साल की एक वृद्ध मां अपने चार बेटे और बेटियों का सहारा बनी हुई है । कहते हैं — मां वही होती है जो अंधेरे में भी अपने बच्चों के लिए रोशनी बन जाए…
ये वही मां है, जिसकी गोद में चारों बच्चे जन्म से दिव्यांग हैं।पिता का साया पहले ही छिन गया।बड़े बेटे संतोष की उम्र 40वर्ष, बेटी अनीता 38वर्ष ,बेटी कमलावती 32वर्ष, और बेटा महेश 30वर्ष का है अब ऐसे में इन लाचार और बेबस बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी वृद्ध मां भागवती के कंधों पर ही है ।
वृद्ध मां बताती है कि जन्म से ही चारों भाई बहिन आंख से नही देख सकते। लेकिन मां तो माँ होती है उसकी ममता की आंखें अब तक नम नहीं हुईं… बस थक गई हैं तो सरकारी मदद का इंतजार करते करते, सरकारी मदद के नाम पर अगर इस आदिवासी परिवार को कुछ मिला तो सिर्फ हर महीने 2400 रुपये पेंशन और 20 किलो चावल , जो इनके भरण पोषण के लिए नाकाफी है इतना ही नही आवास योजना के नाम पर इनके साथ सिस्टम ने भी मजाक किया ।पक्का घर तो मिला लेकिन वह भी आधा-अधूरा पड़ा है।
कहने को तो सरकार की बहुत सी योजनाएं हैं, लेकिन इस वृद्ध मां की आंखों में अब भी एक सवाल है “क्या गरीबी में भी इंसानियत की कोई कीमत नही है ……?इनकी माली हालत देख पड़ौसियों की भी आंखे भर आती हैं जब तक वृद्ध मां है तबतक तो सहारा है फिर इनका तो भगवान ही मालिक है। ऐसा नहीं है कि वोट के लिए इनके घर जाने बाले नेताओं की आंखे भी इनकी बदहाली नही देख सकी हो।
हमारी टीम इस दिव्यांग परिवार की सुध लेने जरूर पहुंची है। दिव्यांग भाई बहिन की चाह है कि उनकी कुछ सरकारी मदद हो जाये।
हालाकि कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन ने दिव्यांग भाई बहिनों को सरकारी मदद का भरोसा तो दिया है लेकिन देखना यह है कि कब और कैसे इनको सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।