पी. एच. ई. में टेंडर घोटाला ???

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पी. एच. ई. अधिकारियों के चहेते पालतू ठेकेदारों की चर्चा आम है

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 20 सितंबर 2020, जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) में इन दिनों टेंडर घोटाले की चर्चा आम है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो इन दिनों यह विभाग भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का केंद्र बना हुआ है और शासन की नीति के विपरीत मनमाने ढंग से निर्धारित प्रक्रिया को धता बताते हुए विभाग में पदस्थ अपने चहेते उस ठेकेदार को उपकृत करने की कोशिश में नियमों में तक बदलाव किया जा रहा है ताकि ठेका उसी संदिग्ध व्यक्ति को मिले जिसको ले कर अधिकारियों और ठेकेदार के बीच साठगांठ की चर्चा जिले भर में होती है। 

योजनाओं और  विभागीय कार्यों में खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत दिनों विभाग के द्वारा कुछ निविदाओं का प्रकाशन हुआ था जिसके अंतर्गत जिले भर में सभी विकास खंडों पर जल जीवन मिशन योजना एवं हैंडपंप संधारण योजना के अंतर्गत निविदाकारों से कार्य कराया जाना था। जिसके लिए शासन द्वारा पूर्व से ही मापदंड निर्धारित है जिसके अनुसार कार्य को किया जाना था। किंतु विभाग में पदस्थ अधिकारी की शह पर पहले एक आहर्ताहीन कर्मचारी को निविदा प्रभारी बनाया गया जबकि पूर्व में इसी कर्मचारी को भारी शिकायतों के चलते प्रभारी के पद से मुक्त किया जा चुका है। पुनः इस कर्मी को मोहरा बनाकर दलालों और उच्च अधिकारियों की सांठगांठ से शेष निविदाकारों को पंजीकृत निविदाओं को स्वच्छ एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से वंचित कर प्रकाशित निविदाओं में अनावश्यक शर्ते और मानकों को बिना किसी अधिकारिता के जोड़ कर सारे कार्य अपने स्थानीय चहेते ठेकेदार की झोली में षड़यंत्र पूर्वक डाल दिए जाने की कोशिश जारी है। इस पूरे कार्य में प्रभारी निविदा कर्मचारी की भूमिका बहुत संदिग्ध बताई जा रही है क्योंकि जिस ठेकेदार को कार्य मिला है उसकी और इस कर्मचारी जिसे खास तौर पर निविदा का कार्य सौंपा गया था कि जुगलजोड़ी जग जाहिर है। और पूर्व में भी सांठगांठ करके भ्रष्टाचार करने की शिकायतें मिलती रही है।

एक निविदाकार ने बताया कि विभाग में शासन की नीति के अनुसार दो करोड़ तक के कार्यों के लिए टेक्निकल बिड की आवश्यकता नहीं होती है। और नियमानुसार प्रक्रिया पूर्वक टेक्निकल बिड करने के बाद वित्तीय बोली खोली जाती है ऐसी स्थिति में टेक्निकल बिड में श्रृमिक उपलब्धता की शर्तें अनावश्यक रूप से लगाकर निविदाएं निरस्त कर दी गई है। जबकि इन योजनाओं में कोबिड -19 के विशेष प्रावधान के चलते ग्राम के स्थानीय और प्रवासी मजदूरों को भी कार्य दिया जाना है। यह व्यवस्था है कि जिस ग्राम में कार्य होना है या योजना को लागू करना है उसी ग्राम के श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए और जब तक निविदाकार को कार्य स्वीकृत नहीं होगा उसके पहले  गांव के श्रमिकों का पंजीयन कैसे संभव है? अनावश्यक रूप से जोड़ी गई इस शर्तों के कारण शेष निविदाकारों की बिड नहीं खोली गई सिर्फ अपने चहेते की वित्तीय बोली खोलकर उसे नवाजे जाने के आरोप अन्य ठेकेदारों द्वारा विभाग पर लगाए जा रहे है। बताया जाता है कि निविदा की प्रक्रिया और जोड़े गए मनमाने नियमों से विभाग के ही कुछ लोग सहमत नहीं है। विभाग की इस कार्यशैली का विरोध, वंचित निविदाकार  भी कर रहे हैं और इस संबंध में शिकायत प्रमुख सचिव, प्रमुख अभियंता, अधीक्षण यंत्री को पत्रों के माध्यम से दर्ज करा रहे है और पूरी प्रक्रिया को पुनः कराए जाने का अनुरोध कर रहे हैं।

 

निविदा प्रक्रिया की जांच कराए जिला प्रशासन

जिन मेंटेनेंस के कार्यों की निविदा निकाली गई है, विगत समय से जो ठेकेदार कार्य कर रहा था उसका अनुबंध कोबिड के नाम पर बढ़ाया गया। उसके बाद २ करोड़ रुपए की कम लागत के कार्यों में शासन के निर्देशों के अनुसार तकनीकी विट की जरूरत न होते हुए उसे क्यों जोड़ा गया। निविदा की इस प्रक्रिया में अन्य लिपिक को प्रभार किस कारण से सौंपा गया इसकी जांच जिला प्रशासन को करवानी चाहिए।

 

जिले में पानी की तरह पैसा बहा कर भी आमजन बूंद बूंद पानी को मोहताज

कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के चलते विभाग में पेयजल व्यवस्था के नाम पर अपने चहेते ठेकेदार के माध्यम से काम करा कर करोड़ों रुपए के भुगतान कर दिए जाते है और फिर भी उन ग्रामों में लोग बूंद बूंद पानी को तरसते है। विगत दिनों ऐसे दर्जनों मामले जनपथ टुडे के माध्यम से उजागर किए और हर मामले में विभाग के ईई ने जानकारी नहीं होने, पता करवाने की बात ही कहीं जबकि विभाग का अमला एसडीओ, उपयत्री से लेकर मैदानी अमला हर क्षेत्र में तैनात है और उन पर शासन करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। अपने चहेते ठेकेदार से काम करवाने के बाद जब उन क्षेत्रों की समीक्षा और शिकायत होती है तो विभाग के अधिकारी ठेकेदार के पक्ष में जिला प्रशासन को जल आपूर्ति नहीं होने की वजह बता देते है और ठेकेदार का बचाव साठगांठ के चलते किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि पीएचई विभाग पिछले दो-तीन वर्षों से भ्रष्टाचार की शिकायतों से जूझ रहा है और मेंटेनेंस के नाम पर प्रत्येक माह लाखों रुपया का आहरण किया जाता है जबकि कार्य के नाम पर महज़ कागज़ के पेट भरे जा रहे हैं, जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है।

विगत पांच वर्षों पूर्व डाली गई नल जल योजना अब तक अपूर्ण है, और विभाग कुंभकरण की नींद में सो रहा है जबकि कुछ दिन पहले जल जीवन योजना का शुभारंभ हुआ है जिसके तहत घर-घर जल पहुंचाना लक्ष्य इस योजना को भी विभाग पलीता लगाने में तुला प्रत्येक वर्ष इस तरह के कार्यों में लाखों रुपए का भ्रष्टाचार होता है ऐसी जन शिकायतें मिली है। जनहित में प्रशासन से अपेक्षा है की इस विषय पर गंभीरता पूर्वक जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही कराई जाए और विभाग व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जावे।

जनपथ टुडे, लोगों को पेयजल मुहैया करवाने के नाम पर जिले में खर्च किए गए करोड़ों रुपए और बन्द पड़ी योजनाओं और लगातार भुगतान के बाद भी ठेकेदार द्वारा हैंडपंपों का सुधार नहीं किए जाने ग्रामीणों की शिकायत का निवारण करने के बजाय बहानेबाजी करने के मामलों को अब लगातार मुहिम बना कर खुलासा करेगा।

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