लोकतंत्र में नहीं दबा सकते असंतोष की आवाज राजस्थान केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा
जनपथ टुडे,23 जुलाई नई दिल्ली, राजस्थान सरकार के सामने मौजूदा संकट से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ने असंतोष को लेकर टिप्पणी की सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति ए के मिश्रा न्यायमूर्ति बी आर गवई तथा न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने अशोक गहलोत नीत राजस्थान सरकार तथा सचिन पायलट के द्वारा दायर की गई परस्पर विरोधी याचिकाओं पर सुनवाई की। जिसके दौरान शुरुआत में ही राज्य विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी की पैरवी कर रहे अधिवक्ता कपिल सिब्बल तथा न्यायमूर्ति ए के मिश्रा के बीच असंतोष को लेकर चर्चा हुई। कपिल सिब्बल ने सचिन पायलट कैंप के विधायकों को स्पीकर द्वारा दिए गए अयोग्यता नोटिस के विवरण को पढ़ा। कार्यवाही के दौरान न्यायमूर्ति ए के मिश्रा ने राजस्थान मामले का जिक्र नहीं करते हुए कहा “हम राजस्थान के मामले में नहीं कह रहे हैं लेकिन मान लीजिए एक नेता लोगों का विश्वास गंवा चुका है, पार्टी में रहते हुए उन्हें अयोग्य करार दिया जा सकता है। इस तरह तो यह हथियार बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा पाए लोकतंत्र में असहमत हुआ जा सकता।
न्यायमूर्ति ए के मिश्रा दरअसल कपिल सिब्बल के उत्तर का जवाब दे रहे थे जिसमें वह स्पीकर द्वारा पार्टी की बैठक में शिरकत नहीं करने पर विधायकों को नोटिस जारी किए जाने को सही ठहरा रहे थे। कपिल सिब्बल ने कहा हाई कोर्ट ऐसे समय में दूसरे कैंप को किसी भी तरह की सुरक्षा देने का आदेश नहीं दे सकती जिस वक्त स्पीकर मामले पर फैसला कर रहे हो उस समय कोई भी अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती। जिस पर न्यायाधीश ने कहा विधायक जनता द्वारा निर्वाचित हुए हैं क्या वो असंतोष जाहिर नहीं कर सकते?उन्हें स्पष्टीकरण देना होगाउन्होंने कहा था इस पर फैसला स्पीकर करना है किसी कोर्ट को नहीं राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया जब उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आहूत पार्टी विधायकों को बैठक में शिरकत नहीं की विधायकों ने कोर्ट में तर्क दिया था कि उनका पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है के नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं, मात्र इस आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता यह अलोकतांत्रिक है ।।