“स्वतंत्रता और संविधान का सम्मान”

Listen to this article

संपादक की कलम से –

सपूर्ण विश्व में आज के भारत की एक अलग पहचान है, हमारा संविधान समूचे विश्व में एक मिसाल है। देश के हर नागरिक को समान अधिकार, सभी धर्मो, जातियों, स्त्री,पुरुष के लिए हमारे संविधान में समान मौलिक अधिकार समाहित है। भारतवर्ष के महान संविधान रचयिता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान में विशेष रूप से भारत के प्रत्येक नागरिक को आजादी का एहसास कराया है। जब से देश आजाद हुआ उसके बाद ही देश आर्थिक व तकनीकी रूप से हमारा देश सफलतकी ऊंचाइयों तक पहुंचा है। आज भारत की विश्व में अलग पहचान है और आजाद होने के बाद आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति की है। आज विश्व के सामने “आजाद भारत” की क्षमताओं की मिसाल है देश आज विश्व के अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा है बावजूद व्यापक क्षेत्रफल, बड़ी आबादी, विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों के, देश आंतरिक और बाहरी हर मोर्चे पर चुनौती से संघर्ष करते हुए अपने बूते पर आगे बढ़ता ही रहा है।

देश की उन्नति और संविधान की विभिन्न विशेषताओं के बाद भी एक विशाल राष्ट्र और अपार जन समुदाय तक संविधान में निहित अधिकार और कानूनी व्यवस्थाएं पहुंच पाना एक बड़ी चुनौती रही है। देश की आजादी से आज तक देश में जितनी भी सरकारे रही सभी ने राष्ट्र हित में अपनी सामर्थ्य और नीतियों के आधार पर समय काल और परिस्थिति के अनुरूप बेहतरी के प्रयास किए हैं, भले ही देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सरकार के राजनैतिक दलों की विचारधारा अलग रही हो, विषयों पर मतभेद रहे हो किन्तु सरकारे संविधान को सर्वोपरि मानकर ही कार्य करती रही हैं।

भारत का संविधान भी अपने आप में महान विशेषताएं समेटे हुए समय के साथ साथ एक आजाद हुए गरीब राष्ट्र फिर विकासशील राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा देशऔर 70 वर्ष से भी पहले रचा गया संविधान आज भी राष्ट्र और समाज में सर्वमान्य बना हुआ है। खासकर आज के इस दौर में जब पूरी दुनिया “फीचर्स” में बदलाव के साथ दौड़ रही है, यही हमारे राष्ट्र और संविधान की विशेषता है जो भारतीय सोच, विचारधारा और दूरगामी निर्णय लेने की क्षमताओं को दर्शाता है। कई प्रकार की विविधताओं वाले एक विशाल समुदाय द्वारा आज भी लगभग एक शताब्दी पूर्व जिस संविधान की रचना की गई उसे स्वीकार जा रहा है, यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

इस विशाल राष्ट्र में संविधान, प्रजातंत्र और व्यवस्थाओं को लेकर मतभेद हो सकते हैं वह भी देश में प्रजातांत्रिक मूल्यों की दृढ़ता का प्रतीक है। उन्नत, प्रगतिशील और संबल भारत के लिए आज बस यही बड़ी चुनौती है कि राष्ट्र, संविधान और प्रजातंत्र की व्यवस्थाओं को देश के हर नागरिक तक पहुंचाने की दिशा में अपनी सामर्थ और क्षमताओं के अनुरूप देश का हर व्यक्ति प्रयास करे और अपने राष्ट्र और संविधान का सम्मान अपने जीवन के सर्वोत्तम मूल्यों की तरह करे।

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं सहित,

पंकज शुक्ला
संपादक

Related Articles

Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809 666000