शासकीय अमले के अप डाउन से ब्लॉक स्तर पर कामकाज ठप्प, शासन को लग रहा चूना

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देवसिंह भारती :-

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 7 सितम्बर 2020, अमरपुर, एक ओर जहाॅ राज्य व केन्द्र सरकारे आम जनता सहित क्षेत्र के किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए अनेक प्रकार की जनकल्याणकारी योजनाएं चलाकर उनका भला करने की सोच रखे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर देखा जाता हैं कि अनेक योजनाओं अधिकारियों व कर्मचारियो के कारण असफल होती नजर आ रही हैं।

ब्लॉक स्तर पर पदस्थ अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी देर से कार्यालय पहुंचते है और जल्दी वापस जाने के चलते न अपने काम में पूरा समय दे पाते है और न आमजन को योजनाओं की जानकारी देते हैं। जिसकी वजह है ब्लॉक स्तर के अधिकांश कार्यालयों के अमले में अप डाउन संस्कृति। जिला मुख्यालय सहित अन्य जगहों से अप डाउन करते हुए समय बेसमय अपने कार्यालय पहुॅचता है ये शासकीय अमला और आम जनता अधिकारियों की बाट जोहते जोहते योजनाओं की समय सीमा निकल जाने तक चक्कर काटती रहती हैं।अनेक शासकीय कार्यालयों में अप डाउन की संस्कृति कई वर्षो से चली आ रही हैं।

 

इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई ठोस कार्यवाही न होने के चलते ये अपनी मनमानी से कार्य करते हैं जब मन करें आ जाते हैं जब मन करें तब चले जाते हैं।अमरपुर में प्रमुख रुप से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद, विकासखण्ड़ शिक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, कृषि विस्तार अधिकारी, राजस्व विभाग में पटवारी, जनपद पंचायत के उपयंत्रीयों सहित लगभग दर्जन भर बाबू ब्लॉक मुख्यालय में नहीं रहते सालों से अप डॉउन करते है, जो सभी को मालूम है और इस कारण क्षेत्रीय आमजन व किसानों को आये दिन छोटे छोटे कार्यो के लिए परेशन होना पड़ता हैं। दिखावे के लिए इन लोगो के द्वारा ब्लाक मुख्यालय किराए का कमरा लेकर मुख्यालय स्थापित कर लिया गया हैं, मगर वह मात्र दिखावे के लिए है।

 

शासन के वाहन और डीजल का खुला दुरुपयोग

जिले के अमरपुर, बजाग, करंजिया, समनापुर, मेहंदवानी सहित शहपुरा तक में बहुत से अधिकारी और कर्मचारी अप डॉ उन करते है जिनकी संख्या देखी जावे तो काफी है और अधिकारी तो अपने इस निजी आवागमन पर शासकीय वाहन और डीजल का उपयोग कर रहे है, जिसपर शासन का प्रतिमाह कई लाख रुपयों का खर्च आता है, जिसे रोकना जिला प्रशासन का कार्य है जो लोग ब्लॉक स्तर पर पदस्थ है कितु वहां रह नहीं रहे उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाना चाहिए इस संदर्भ में निर्देश तो कई बार जारी हो चुके है पर उनका मजाक ही उड़ता देखा गया है। जहां अमले कि इस प्रवृत्ति से आमजन और शासकीय योजनाए प्रभावित हो रही है वहीं शासन को शासकीय वाहनों के दुरुपयोग से लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है और वर्षों से यह एक परम्परा बन चुकी है जिसे रोका जाना बहुत जरूरी है।

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