खरीदी केंद्र में क्वालिटी के नाम पर नहीं खरीदी जा रही धान, किसान परेशान

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ग्रेडरो की मनमानी से किसान परेशान

जनपथ टुडे, डिण्डोरी 12 दिसम्बर 2020, बजाग, किसानों के सामने इस वर्ष अपनी धान की फसल बेचने का संकट खड़ा हो गया है। इसकी वजह है इस वर्ष धान खरीदी में हद से ज्यादा कड़ाई की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डिंडोरी में बैठे ग्रेडरो के द्वारा उच्च से उच्च किस्म की धान को भी रिजेक्ट किया जा रहा है। जिसकी वजह से धान खरीदी केंद्र के प्रभारी भी धान खरीदने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे किसान भी अपनी धान बेचने नही आ रहे हैं। किसानों की माने तो डिंडोरी जिले में किसानों को प्रति एकड़ 9 क्विंटल का पंजीयन दिया जाता है। जबकि अन्य जिलों में 20 से 22 क्विंटल का पंजीयन दिया जाता है। वजह यह भी है की जिले की धान निम्न श्रेणी की मानी जाती है। नई फसल में भी थोड़ी बहुत काले छींटे होते हैं।

ज्ञात हो कि डिंडोरी सहित कई अन्य जिले हैं जो कि असिंचित इलाके की श्रेणी में आते हैं। असिंचित का मतलब यह कि सिंचाई के साधन उपलब्ध न होना यह फसल पूरी तरह से बारिश पर ही निर्भर रहती है।

6 किसानों से मात्र 110 क्विंटल खरीदी गई धान

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के बजाग धान खरीदी केंद्र में 15 नवंबर से धान की खरीदी शुरू हो गई थी और अभी तक कुल 6 किसानों से 110 क्विंटल धान खरीदी गई है। जो कि लक्ष्य से बहुत कम है। हर वर्ष इतनी अवधि में कम से कम 5000 क्विंटल की खरीदी हो जाती थी। विगत दिनों में कई किसानों की फसल बिना खरीदे ही लौटा दी गई। क्योंकि उनकी फसल वर्तमान में तय किए गए मापदंडों के अनुरूप नहीं पाई गई ।

मुख्यमंत्री के निर्देशों का नहीं हो रहा पालन

ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के एक-एक दाने को खरीदने के निर्देश दिए गए हैं और साफ शब्दों में कहा गया है कि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी न हो बावजूद इसके किसान अपनी फसल बेचने को मोहताज हो रहे हैं।

बजाग क्षेत्र में किसान नई नीति और धान खरीदी के तरीकों से आक्रोशित है। वहीं शासन के खरीदी केंद्रों द्वारा धान नहीं खरीदे जाने से गल्ला व्यापारी भी किसानों की धान का कम कीमत पर सौदा कर रहे है वहीं कई अन्य माफिया भी किसानों की मज़बूरी का फायदा उठाकर कम कीमत पर धान की खरीदी कर रहे है। माफिया और दलाल किसानों के बीच भ्रम फैला रहे है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। प्रशासन को इस दिशा में शासन के निर्देशों और गुणवत्ता से संबंधित वास्तविक जानकारी सार्वजनिक कर खरीदी केंद्रों को भी स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए कि किसानों को अनावश्यक परेशान नहीं किया जावे।

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