महिला समूह के नाम पर लाखों की लागत से स्थापित कागजी उद्योग में लग रही जंग

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लक्ष्य की पूर्ति और कमीशनखोरी की भेट चढ़ गई करोड़ों की राशि

लगभग बोगस यूनिट और कागजी खानापूर्ति की जा रही है

जिला प्रशासन द्वारा करवाई जाना चाहिए निष्पक्ष जांच, दोषियों पर ही कार्यवाही

 

जनपथ टुडे, डिंडौरी, 13 दिसंबर 2020, अमरपुर, शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत महिला स्व सहायता समूहों का गठन कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करते हुए छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों की स्थापना की गई हैं। इन समूहों के गठन के पीछे का उद्देश्य और इन समूहों की वास्तविक स्थिति में बड़ा अंतर है। अब की स्थिति में इन महिला समूहो के ऊपर सिर्फ बैंक ऋण मढ़ दिया गया हैं और इकाई सिर्फ कागजों में ही संचालित नजर आ रही हैं।

जिले के समूहों की स्थिति को उजागर करता है जनपद मुख्यालय अमरपुर का रानी दुर्गावती महिला संघ विगत 2 वर्ष पूर्व एक मसाला प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई जो महज कागजों तक ही सीमित हैं बताया जाता है कि यहां धनिया, हल्दी एवं मिर्ची क्रय कर भंडारण किया गया था जो शायद सिर्फ बिल लगाकर राशि आहरण करने के लिए किया गया है। यहां कुछ मात्रा में सामग्री क्रय की जाने की बात कही जा रही हैं। बताते है कि इकाई के शुभारंभ की दिनांक से ही मसाला प्रसंस्करण केंद्र में ताला बंद हैं। ताला तब खोला गया जब ग्राम पंचायत द्वारा वर्षो से अपूर्ण सामुदायिक भवन पूर्ण करने के साथ उक्त भवन में सीमेंट रखने के लिए इसे खोला गया तब यह बात उजागर हुई कि इस केंद्र में रखा धनिया, मिर्ची एवं हल्दी सड़ रहा हैं और स्थापित मशीनों में जंग लग रही हैं।

शायद यह मसाला प्रसंस्करण इकाई की स्थापना कुछ संबंधित जिम्मेदारों की कमीशन के लिए ही स्थापित किया गया हैं। जब जनपद मुख्यालय के कुटीर उद्योग की यह दशा हैं तो ग्रामीण क्षेत्र में संचालित समूह की इकाई किस स्थिति में होगी। इन समूहों और इकाइयों के हाल शासकीय कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे रहा हैं।

यदि इन इकाइयों की जांच करवाई जावे तो जिले भर में इन समूहों के नाम पर खर्च करोड़ों की राशि और कर्ज फलस्वरूप इन बंद इकाइयों से साफ जाहिर है कि इनके नाम पर जम कर बंदरबाट किया गया है। फर्जीवाड़ा कर कुछ संस्थाएं और उनका अमला सिर्फ अपनी नौकरियां बचा रहा है और समूहों के नाम पर करोड़ों रुपए की उत्पादक इकाइयां और इनकी प्रगति के दस्तावेज झूठ का पुलिंदा मात्र है और आगे भी यही प्रक्रिया निरंकुश चलती रहेगी। इनसे होने वाले लाभ के नाम पर कुछ नौकरशाहों कि जब भर रही है समूह का आज तक जिले में कोई भी सदस्य सामान्य मजदूरी से अधिक नहीं कमा पा रहा है ये अलग बात है कि इनकी जांच पड़ताल करने वाले महंगे महंगे वाहनों में घूम रहे है और ऐसी संस्थाओं के अमले पर शासन की मोटी रकम खर्च की जा रही है।

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