सहायक आयुक्त ने निलंबित शिक्षक को एक दिन में ही कर दिया बहाल ???

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 14 जनवरी 2021, जिले में अवस्थाएं तो बेमिसाल है ही, साथ ही साथ व्यवस्थाओं के नाम पर भी अजब गजब मिसाल देखने मिलती हैं। इसका ताजा उदाहरण जनपद पंचायत बजाग के गाड़ासरई संकुल केंद्र के ग्राम पाटन के प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक श्री सुरेंद्र बछलहा के निलंबन और एक ही दिन में उनकी बहाली का आदेश के जारी होना।

गौरतलब है कि ग्राम पाटन में पदस्थ प्राथमिक शाला के सहायक शिक्षक द्वारा कीड़े लगा हुआ घटिया चावल बच्चों को मध्यान भोजन के रूप में वितरित किए जाने की शिकायत, साथ ही उनके स्कूल न आने जैसी बहुत सी शिकायतें ग्रामीणों द्वारा की गई शिक्षक की लापरवाही और मनमानी का विरोध इतना अधिक था की ग्रामीणों द्वारा स्कूल में तालाबंदी तक कर दी गई और आनन फानन में सहायक आयुक्त डिंडोरी द्वारा एक चार सदस्यो की संयुक्त जांच कमेटी बनाकर ग्राम पाटन भेजी और जांच उपरांत जांच कमेटी द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रतिवेदन के आधार पर प्राथमिक शाला पाटन के सहायक शिक्षक सुरेंद्र बछलहा को सहायक आयुक्त द्वारा 5 जनवरी 2021 को निलंबित कर दिया गया।

सहायक आयुक्त आदिवासी विकास डिंडोरी द्वारा प्राथमिक शाला पाटन विकासखंड बजाग, जिला डिंडोरी में पदस्थ शिक्षक के निलंबन आदेश दिनांक 5.1. 2021 में स्पष्ट किया गया था कि ग्रामवासियों की शिकायत पर संयुक्त जांच विकास खंड शिक्षा अधिकारी, विकासखंड स्त्रोत समन्वयक, संकुल प्राचार्य, जन शिक्षक द्वारा प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर सुरेंद्र बछलहा सहायक शिक्षक प्राथमिक शाला पाटन के द्वारा कार्यों में अनियमितता बरती गई है। अतः प्रथम दृष्टया शासकीय सेवक का उक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 1,2,3 का उल्लंघन है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण (नियंत्रण एवं अपील) नियम 10 के अधीन तत्काल प्रभाव से सुरेंद्र बछलहा सहायक शिक्षक को निलंबित किया जाता है। किंतु सहायक आयुक्त आदिवासी विकास का निलंबन आदेश एक दिन भी नहीं टिक पाया ताज्जुब की बात यह है कि 6 जनवरी 2021 को सहायक आयुक्त द्वारा ही जिस सहायक शिक्षक सुरेंद्र बछलहा प्राथमिक शाला पाटन, विकास खंड बजाग, जिला डिंडोरी को शासकीय कार्य में अनियमितता के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया था, प्राप्त जांच प्रतिवेदन पर पुनर्विचार करते हुए सहायक शिक्षक प्राथमिक शाला पाटन को बालक प्राथमिक शाला विकास खंड बजाग में पदस्थ कर दिया जाता है। तथा निलंबन अवधि का निराकरण विभागीय जांच के पश्चात किया जाएगा।

सहायक आयुक्त द्वारा चार सदस्यो के संयुक्त जांच दल के जांच प्रतिवेदन के आधार पर उक्त शिक्षक को निलबित किया जाता है और अगले ही दिन 24 घंटे के भीतर उनके आवेदन निवेदन के बिना ही विभाग के चार महत्वपूर्ण अधिकारियों की जांच और प्रतिवेदन को दर किनार कर सहायक शिक्षक को बच्छर गांव पदस्थ कर दिया जाता है।

सहायक आयुक्त के द्वारा जांच प्रतिवेदन के आधार पर तत्काल उक्त शिक्षक का निलबन किया जाना और दूसरे ही दिन आदेश के विरूद्ध सहायक आयुक्त द्वारा ही उन्हें पदस्थ कर दिया जाना, न केवल जिले भर में चर्चा का विषय बना हुआ है बल्कि शासकीय कार्यालयों में भी शिक्षा विभाग की इस अजब गजब कार्यप्रणाली पर चुटकियां ली जा रही है। हालाकि फिलहाल इतनी जल्दी में लिए गए इस निर्णय के पीछे के अज्ञात कारणों को भी तलाशा जा रहा है, इसकी वजह को लेकर भी अनुमान लगाए जा रहे है कोई इसके पीछे राजनैतिक दबाव बता रहा है तो कोई कुछ और बहुत ही ठोस कारण बता रहा है जिसका सहायक आयुक्त कार्यालय में सबसे अधिक बोलबाला बताया जाता है। वजह जो भी हो पर इस कार्यवाही को कोई भी सहज ही हजम नहीं कर पा रहा है जाहिर तौर पर किसी को भी यह सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं समझ आ रही है।

इस बीच प्रभारी सहायक आयुक्त अमर सिंह उइके ( जिला संयोजक) का तबादला आदेश विभाग द्वारा जारी करते हुए उनको कार्यालय आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था भोपाल पदस्थ कर दिया गया है। जाते जाते साहब एक नजीर जरूर छोड़े जा रहे है जिस पर चर्चा गरम है।

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