जिले के राइस मिलरो के चावल को रिजेक्ट बता कर मंडला और बालाघाट से पुराना और घटिया चावल बाटने के प्रयास में निगम

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दो सोसायटियों से वापस निगवानी गोदाम आया घटिया चावल

दर्जनों सोसायटी में पहुंच चुका घटिया चावल


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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 21 मार्च 2021, आदिवासी जिले के गरीब उपभोक्ताओं को शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से गुणवत्ताहीन और इल्ली लगा चावल वितरित किए जाने का मामला उजागर हुआ है जिसमें बाहर के जिले से आए घटिया चावल को नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों द्वारा बिना जांच पड़ताल के न केवल लिया गया बल्कि जनता को वितरित किए जाने हेतु उचित मूल्य की दुकानों तक भेज भी दिया गया। जनता के विरोध के बाद रयपुरा और केवलारी की दुकानों से घटिया चावल वापस गोदाम में जमा करने की पुष्टि निगवानी गोदाम में तैनात गुणवत्ता निरीक्षक ने की है। वहीं उनके द्वारा मंडला और बालाघाट से आए चावल को गुणवत्ताहीन और घटिया स्वीकार भी किया गया है। विभाग द्वारा ऐसे पांच स्टेग को अलग रखवा कर इसके वितरण पर रोक लगाए जाने की भी बात मानी है।

 


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किन्तु गोदाम में जांच के बाद भी घटिया चावल कैसे रखा गया और इसको वितरित क्यों कर दिया गया इसका जवाब नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों के पास नहीं है। बहाने दर्जनों है जिनके आधार पर ये अपने आप को बेकसूर साबित करने की कोशिश फिर करेगे।


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स्थानीय राइस मिलरो को तंग किया जा रहा है

स्थानीय राइस मिलर्स का चावल रिजेक्ट घोषित कर बाहर के जिलों से चावल मंगवाने के पीछे क्या राज है? इसका खुलासा होना बाकी है। किन्तु सवाल यह है कि जब विभाग के अधिकारी स्थानीय मिलर्स से चावल जांच करके लेते है तब बाहर के जिलों से आया 7500 किवंटल घटिया चावल शासकीय गोदाम में कैसे स्वीकार कर लिया गया और फिर आगे भी लापरवाही करते हुए यह माल दुकानों तक जैसे भेज दिया गया? गोदाम से दुकान और फिर गोदाम तक का भाड़ा कौन वहन करेगा? जाहिर तौर पर ये बोझ भी शासन पर ही डाला जावेगा।

किस पर होगी कार्यवाही?

गोदाम में घटिया चावल के पांच स्टेग को अलग रख कर इसके वितरण पर रोक जरूर लगा दी गई है जो अधिकारियों की लापरवाही उजागर करती है। किन्तु इस पर कार्यवाही क्या होगी? विभाग और प्रशासन द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही करेगा या नहीं?

केंद्र के जांच दल ने मंडला – बालाघाट के गोदामों में पाए गए चावल को ‘ इंसान के खाने योग्य नहीं ‘ बताया था


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गौरतलब है कि विगत वर्ष मंडला और बालाघाट जिले के गोदामों में रखे चावल को दिल्ली से आई जांच टीम ने इंसान के खाने योग्य नहीं कहा था। डिंडोरी जिले में इन्हीं जिलों से चावल मंगवाकर बिना जांच पड़ताल के आदिवासी जिले के लोगों को वितरित किया जा रहा है। जो चावल इन जिलों से आया है जानकारों के मुताबिक इल्ली और जाले लगा चावल पुराना है। इसकी जांच होनी चाहिए कि डिंडोरी जिले में लाए गए चावल किस वर्ष के है और ये इंसान के खाने लायक है भी या नहीं।

इन्हीं जिलों से बिना जांच के आया चावल बगैर जांच पड़ताल किए सोसायटीओं तक भेज भी दिया गया हल्ला होने के बाद दो दुकानों से माल वापस आया जबकि सूत्र बताते हैं कि दर्जनों दुकानों में चावल खपा दिया गया।

राइस मिलर्स ने भी लगाया आरोप

जिले के राइस मिलर संघ के पदाधिकारियों ने गोदाम पहुंचकर गुणवत्ता निरीक्षक पर सवाल उठाते हुए विरोध जताया है। संघ के पदाधिकारी अविनाश गौतम, रमेश राज्यपाल ने स्थानीय मिलर को अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर परेशान किए जाने और अच्छे चावल को भी खराब बताए जाने तथा मंडला बालाघाट घटिया चावल जिले में बाटे जाने का आरोप लगाया है और अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए उच्च स्तर पर इस मामले की शिकायत की गई है।

 

नागरिक आपूर्ति निगम की मनमानी वर्षों से जारी है। घटिया सामग्री, बिना तौले कम वजन की सामग्री सोसायटियों को दी जाती है। गोदाम और विभाग में पूरी तरह से मनमानी और अनियमितताओं का साम्राज्य है जो प्रशासन की अनदेखी और सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने से फैलता जा रहा है जिसका खामियाजा आदिवासी जिले के गरीबी जन को भोगना पड़ता है।

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