शासकीय निर्देशो की धज्जियां उड़ाती ग्राम पंचायत ठाडपथरा

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कर्तव्यहीन सचिव ने नहीं लगाई ग्राम सभा

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 23 मार्च 2021, बैगा बहुल पिछड़े क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों की मनमानी के चलते शासकीय नियम और निर्देश भी दम तोड़ते दिखाई दे रहे है। जहां पिछड़े, अशिक्षित भोले भाले बैगा जनजाति लोग निवासरत है उन्हें ग्राम पंचायतों द्वारा योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक देने की बजाय सचिव और सरपंच द्वारा मनमानी की जा रही है। जिससे जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों के विकास कार्य पूरी तरह प्रभावित है और जमकर इन क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते रहे है।

ठाडपथरा के ग्रामीणों के अनुसार लगभग एक महीना हो गया और पंचायत सचिव ग्राम पंचायत भवन नहीं आया है। जबकि शासन द्वारा सरपंच व सचिव को सप्ताह के निर्धारित दिनों में पंचायत भवन में पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याओं का निदान करने के निर्देश शासन द्वारा जारी किए गए है।

करजिंया विकासखंड अंतर्गत वनग्राम ठाडपथर में ग्रामपंचायत में ताला लगा मिला पंचायत एवं ग्रामीण विकास मध्य प्रदेश भोपाल द्वारा दिनांक 5 -12 -2020 को पत्र जारी हुआ था जिसमें उल्लेख है कि ग्राम पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक ग्राम पंचायत मुख्यालय में सप्ताह में 2 दिवस अनिवार्यत उपस्थित रहे जिससे ग्रामवासीयो को ग्राम सभा के द्वारा शासन की योजनाओं का आसानी से लाभ मिल सके। इस आदेश को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक ग्राम पंचायत के सचिव तथा रोजगार सहायक प्रत्येक सोमवार व गुरुवार को अपने मुख्यालय की ग्राम पंचायत भवन में अनिवार्य बैठक व कार्य संपादित करेंगे। लेकिन ग्राम पंचायत ठाडपथरा में शासन के निर्देश का पालन देखने को नहीं मिला। पिछड़े क्षेत्रों में सचिव, रोजगार सहायक नियमों को जमकर धता दिखा रहे है। इस संबंध में ग्रामीणों से बात करने पर उनके द्वारा बताया गया कि आज ग्रामसभा लगना था लेकिन सरपंच सचिव ने ग्राम वासियों को सूचना नहीं दी।

ग्रामीणों ने बताया कि सचिव महीनों से कार्यालय नहीं आया है। जिससे ग्रामवासियों को शासन की योजनाओ से वंचित होना पड़ रहा है।

जनपद के अधिकारी बचाव करते दिखाई दिए

सचिव के ग्राम पंचायत में उपस्थित नहीं होने के सवाल पर सीईओ जनपद पंचायत करंजिया हमारे प्रतिनिधि से पूछते है कि सचिव और रोजगार सहायक के पंचायत नहीं पहुंचने से कौन सा कार्य प्रभावित हुआ है? शासन के निर्देशों का पालन तब कैसे संभव है जब जिम्मेदार अधिकारी ही नियमों को न मानने वाले सचिव के पक्ष में खड़े दिखाई दे?

गौरतलब है कि विगत वर्ष कोरोना काल में भी इस ग्राम के लोगों के लिए मजदूरी देने कोई निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया था। जिसपर खबर सार्वजनिक होने के बाद जिला प्रशासन द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को यहां पहुंचाकर मेढ़ बंधान के कार्य स्वीकृत करवाए थे। ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव की कार्यप्रणाली के चलते शासकीय योजनाओं का लाभ लेने से भी ग्राम के पात्र हितग्राही वंचित रह जाते है।

किन्तु ग्रामीणजन की परवाह न तो जनपद के अधिकारियों को है न ग्राम पंचायत के सचिव को। शासन के निर्देशों को चुनौती देने वाले इन जिम्मेदार लोगों पर जिले के वरिष्ठ आधिकारी क्या कार्यवाही करते है इसका सभी को इंतजार है।

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