नगर पंचायत के दरवाजे रात तक ठेकेदारों के लिए रहते है खुले
डिंडोरी – जनपथ टुडे, 09.02.2020
निर्माण कार्यों के भुगतानो को लेकर सक्रियता पर उठते सवाल
डिंडोरी – जिला मुख्यालय की व्यवस्थाओं का निर्वहन करने वाली नगर पंचायत डिंडोरी हमेशा से चर्चा में रही है और इन दिनों तो यहां की कार्यप्रणाली और भी गड़बड़ाती दिख रही है। नगर पंचायत के कामकाज से अब तक तो आमजन ही हैरान परेशान थे पर अब हाल और भी बिगड़ते जा रहे हैं और पार्षद तक अब यहां की कार्यप्रणाली पर उंगली उठा रहै है। परिषद के कार्यों से कोई भी संतुष्ट नजर नहीं आ रहा हैं। ऐसे में नगरवासी कितनी उम्मीद करें यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब ही नहीं हैं।
आम नागरिक भटकने को मजबूर
नगर पंचायत से जुड़ी आम समस्याओं के निदान के लिए लोग यहां केवल भटकते नजर आते हैं, दिन भर कार्यालय की खाली पड़ी कुर्सियों और संबंधितो का नदारत रहना आम सी बात है, लोगों की इस शिकायत का अधिकारी के पास भी एक “ब्रांडेड”जवाब अमले की कमी है! यह एक 25 वर्ष पुराना जवाब है जो नगर का हर व्यक्ति हमेशा सुनकर लौट आता हैं।
नगर पंचायत में स्थाई तौर पर आपको जलकर, संपत्ति कर आदि वसूली जमा करने वाले व्यक्ति उपलब्ध मिलेंगे जिनका काम मात्र करो कि उगाही करना है बाकी का अमला कई चक्कर काटने के बाद आपको आपके निजी सौभाग्य से नगर पंचायत में मिल सकता हैं।
नगर पंचायत पर,अमले पर, व्यवस्थाओं पर यदि देखा जाए तो नियंत्रण किसी का भी नजर नहीं आता है सबके अपने तरीके है काम करने के जिन्हें जनहित की परवाह करने वाला तो कतई नहीं कहा जा सकता हैं।
आम नागरिकों को दर किनार कर देखा जावे तो यहां के अमले से काम करवाने के लिए पार्षदों को तक लड़ते देखा जाता रहा है। पार्षदों को अपनी अपेक्षाओं से संबंधितो तक पहुंचाने के लिए माध्यमों का उपयोग करना पड़ता हैं। कोई अपने काम अध्यक्ष को बताता है तो कोई नगर पालिका अधिकारी को। कई मौकों पर नगर पंचायत के पार्षदों को अपने वार्ड की जनता के काम करवाने लड़ते झगड़ते देखा जाता हैं।
क्या चल रहा है नगर पंचायत में
नगर पंचायत में इन दिनों, झगड़े विवाद, कर्मीयो के अनावश्यक तबादलों पर रोष, पार्षदों की खींचातानी, अध्यक्ष की नाराजगी और नेता प्रतिपक्ष का असंतोष ही प्रमुखता से दिखाई दे रहा है। जनहित की योजनाओं और सुविधाओं को प्राथमिकता से उपलब्ध करवाने वाला कुछ भी नहीं हो रहा है केंद्र सरकार की महती आवास योजना महीनों से अपने अंतिम चरण तक पहुंच कर ठप्प पड़ी है करोड़ों रुपए की लागत से बाईपास के औराई मार्ग पर बन रही आवास योजना अब तक अधूरी है लागत का 90 फीसदी धन खर्च होने के बाद भी अभी एक भी हितग्राही को आवास आवंटित करने की स्थिति में नगर पंचायत नहीं हैं।इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी लोगों को फिलहाल आवास उपलब्ध करवाना संभव नहीं है इससे उम्दा नमूना नगर पंचायत की अक्षमता का क्या हो सकता हैं। सीवर लाइन का काम करने वाला ठेकेदार नगर की अधिकांश सड़के उखाड़ कर अपना पैसा वसूल के चलते बना अब दूसरे ठेकेदार से काम की शुरुआत करवाए जाने की चर्चा हैं। 6 करोड़ की लागत की नल जल योजना की राशि समाप्त हो गई काम निपट गया ठेकेदार भी जा चुका है। पर शहर के किसी व्यक्ति को एक बूंद पानी भी इस महत्वकांक्षी योजना से प्राप्त नहीं हो सका आखिर क्या काम हुआ ये सिर्फ सवाल है? करोड़ों रुपयों की लागत से सड़क के किनारों पर बनाए गए नालों से पानी की निकासी संभव नहीं हो पा रही है जो नगर पंचायत की कार्य योजनाओं और दूरगामी सोच का नमूना है, वर्षों से बने पड़े मीट मार्केट में अंडे मांस के व्यापारियों को नहीं भेज पा रही है नगर पंचायत । शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं तक पर लगाम नहीं कस पा रही नगर पंचायत अब सवाल यह उठता है कि नगर पंचायत में काम होता क्या हैं?
नगर पंचायत की लोक निर्माण शाखा भर पूर्णतः सक्रिय नजर आती है और ठेकेदार अपने भुगतान को लेकर सक्रिय रहते हैं और इनकी सेवा में देर रात को भी नगर पंचायत के दरवाजे खुले नजर आते है, सच तो यह है कि लोक निर्माण विभाग के ठेकेदारों के भुगतान की प्रक्रिया कार्यालीन समय के बाद देर शाम ही शुरू होती है, इसकी वजह क्या हो सकती है? ये समझा जा सकता है, सूत्र बताते हैं कुछ रोज पहले देर शाम को नगर पंचायत सिर्फ इसलिए खुली रही क्योंकि चंद ठेकेदारों का भुगतान होना था और शाहपुरा जाकर लेखापाल के हस्ताक्षर करवा कर भुगतान किया जाना था इसलिए कार्यालय में विभाग का अमला देर रात होने तक डटा नजर आया, इसमें शाखा में पदस्थ महिला कर्मचारियों की मौजूदगी भी आवश्यक थी। लोगों में चर्चा है कि इतनी सक्रियता कभी आम लोगों की सुविधाओं और जनसमस्याओं के लिए तो नगर पंचायत का अमला नहीं दिखाता तब ऐसी कौन सी आफत आ रही थी की ठेकेदारों का भुगतान रात में ही किया जाना जरूरी था? ऐसा किसी दबाव में हो रहा था या कार्य निपटाने के अद्वितीय संकल्प का प्रतीक बनने जा रही है नगर पंचायत इसको लेकर चर्चा व्याप्त हैं।
नगर पंचायत की इस तरह की कार्यप्रणाली पर परिषद में नेता प्रतिपक्ष श्री रीतेश जैन का कहना है कि आमजन की अपेक्षा हो रही है और ठेकेदारों के भुगतान की प्रक्रिया को देर शाम करने की वजह जनप्रतिनिधियों से भी गोपनीयता रखना है और ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बिना किसी बाधा के मनमाना खेल खेला जा सके।
आमजनों के हितों के कार्यों में नगर पंचायत द्वारा बरती जा रही उपेक्षा, विभागीय कार्यों और योजनाओं की नियमानुसार जनप्रतिनिधियों को सूचनाएं उपलब्ध न कराए जाने से नाराज परिषद के नेता प्रतिपक्ष री जैन ने नगर पंचायत में रात को होने वाले इस तरह के कार्यों पर कड़ी आपत्ति भी जताई हैं। नगर पंचायत की सक्रियता और जनता को राहत दिलाने पर सवाल खड़े ही है।