राजनीति बिना – खूंटा_गांठ !!!

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बिल्कुल सीधी सपाट और सच्ची घटना है हाँ थोड़ी सी पुरानी है…

गाँव में प्रजापत टोले में एक नया नया ब्याह हो बहु आयी…….. सुंदर नवयौवना थी…, तो सबसे पहले गाँव की औरतों में चर्चा का विषय बनी के जरारवाली बहू बड़ी सुघर आयी है…. गाँव ऊपर…

गांव के नए लौंडे सुबह जल्दी जाग राह तकते के जरारवाली_ भौजाई लोटा ले निकले और रास्ते में कुछ न तो गोरी कमर ही देख लें….।

अब ये नई बहू गांव में आये साल बीत गया उसके बाद भी बहुतेरी बहुएं आयी सुंदर भी आयी। लेकिन कमाल के चर्चा में जरारवाली ही रही……. बस विषय अब सुंदरता न था… विषय उसकी यारबाज़ी का हो गया चर्चा का………

खबरें और चर्चाएं गर्म रहती के अब फलाने से सेटिंग अब ढिमके से लगी….. एकाध मायके का व्यवहारी भी चक्कर मार जाता….. ऐसे चक्कर मारूओं में से दो-चार को गांव के लौंडे घेर के धुने भी के ससुरे हम क्या मर गए हैं जो तू आएगा……. ।

चर्चा बदनामी हुई तो उसके ससुर ने सख्ती बरती….. लठ्ठ कुटाई भी हुई…. उसने मायके चिठ्ठी पत्री की तो मायके वाले भी आ जुटे..
दोनो पक्षों में खूब विवाद हुआ…..
बात पंचायत तक आ गयी….
गाँव के बड़े-बूढ़े, चौधरी, नम्मरदार जुटे।

मायका पक्ष आरोप लगाता के ये लड़की को दुखी रख रहे हैं, दहेज़ को लेकर मारपीट कर रहे हैं, साईकल मांग रहे हैं…
उधर लड़के वाले आरोप लगा रहे इनकी लड़की दुष्ट है काम न करना चाहती, लड़के से न बोलती, सास को गरियाती…..
कुलजमा असली बात पर कोई न आता के दिक्कत काहे से…… दिक्कत तो इससे थी के बहू यारबाज़ थी….

पर पंच तो सच जानते थे….. सो उन्ने बहू ही सीधे पंचायत में बुला कर खड़ी कर ली…
एक समझदार बुजुर्ग ने उससे बात करनी समझाना शुरु किया… उन्ने सीधी कही “देख हमें सब पता है… पूरा गाँव जानता है तेरी हरकतें….. अब सीधी बता…. तेरे पहले जो भी चला हो अब तू बंधन की हो गयी ब्याह हो लिया तेरा पति है, ससुराल है…… अपनी और इनकी काहे बदनामी करवाती है…. जिससे तेरे माँ बाप ने तुझे बांध दिया अब वहां बंध के रह…. इधर उधर भागना बंद कर”

बहू चुप खड़ी थी बीच पंचायत में, पंचायत भी मौन थी…. बुजुर्ग ने फिर उससे पूछा “बोल अब रहेगी ढंग से….. अपने मर्द से ही बंध के”

बहू ने आगे बढ़ उन बुजुर्ग के पैर छुए और बोली “दद्दा में तो बंध के रहूं…… पर खूंटा तो हो…… पंचायत मेरे आदमी को भी बुला पूछे बांधने लायक है”।

पंचायत सन्न हुई जवाब से….. लौंडे के बाप को लताड़ा के जब तेरा लोंडा कामयाब न था तूने दूसरे की छोरी की जिंदगी काहे खराब की…
खैर जरारवाली की आगे की कहानी का यहां कोई मतलब नहीं लेकिन जरारवाली की मनोस्थिति से आजकल उत्तरप्रदेश में सपा के,राष्ट्रीय लोकदल के वोटर और केंद्र मे कांग्रेस के वोटर गुजर रहे है। दोनो इलेक्टोरल छिनरई के दौर से गुजर रहे है

इनका पार्टी नेतृत्व खूंटा विहीन….. , नाकामयाब…..

अब मोदी भाजपा विरोध की चुल्ल है पर क्या करें? जिस पार्टी की अर्धांगिनी बने हैं उनका नेतृत्व कुछ कर नहीं पता तो चलो टिकैत के लिए ही ताली पीट लेते हैं…बेचारे कभी AAP के नाम पर निहुरते हैं कभी ओवैसी के आगे घोड़ी बनते है

गलती इनकी नहीं….मज़बूरी है… खूंटा हइये नहीं…!

जब खूँटा ही नही है ,तो बँधेंगे कहाँ ?????

:- रतन प्रकाश मौर्या
(व्यंग्यकार) की कलम से

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