माहे रमजान का आगाज़ इबादतों तिलावतों से गुलजार हुई मस्जिदें
इरफान मलिक:-
जन-पथ टुडे डिंडोरी — तमाम मुस्लिम धर्मावलंबियों का पवित्र माह रमजान मुबारक के महीने का आज आगाज हो गया इस्लाम में आस्था रखने वालों के लिए यह माह बेहद महत्वपूर्ण होता है और मुसलमान इस पूरे माह रोजे रखकर इबादत और तिलावत में गुजारते हैं तरावीह की विशेष नमाज अदा करते हैं और अपने लिए समाज के लिए और पूरे देश के लिए खुशहाली और उसके लिए अमन की दुआएं मांगते हैं। इस्लाम के मुताबिक पवित्र माहे रमजान को लेकर पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो सल्लम ने फरमाया की रमजान की शुरुआत में रहमत है बीच में मगफिरत है और इस के आखिर में जहन्नम की आग से निजात है।
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इस महीने में ज्यादा से ज्यादा जानकर गरीबों की मदद करनी चाहिए हर एक इंसान से प्यार और नरमी का व्यवहार करना चाहिए। रमजान का चांद नजर आते ही तमाम मुस्लिमीन ने एक दूसरे को मुबारकबाद पेश की इस मौके पर जामा मस्जिद डिंडोरी के इमाम खतीब जनाब मुफ़्ती निसार अहमद मिसवाही साहब ने अपने पैगाम में मुबारकबाद देते हुए कहा कि पूरे मुल्क में जिस तरह कोरोनावायरस से लोग परेशान हैं वो बहुत तकलीफ़ देह हम सब दुआ करते हैं। अल्लाह पाक इस महीने की माह की इबादत ओ तिलावत के सदके में हमारे मुल्क को और तमाम आलमे इंसानियत को इस बबा (महामारी) से निजात फरमाए और करोना वायरस का खात्मा करें और इसके लिए जरूरी है हम सब भी गाइडलाइन का सख्ती से अमल करें।
माहे रमजान की मुबारकबाद पेश करते हुए उन्होंने कहां कि रमजान बहुत ही अफजल महीना है इसमें रब बेशुमार बरकते और रहमते ही नाजिल नहीं फरमाता बल्कि हमारे गुनाहों की माफी भी कुबूल करता है और जहन्नम की आग से बचने का मौका फराहम करता है इस महीने में कुराने पाक नाजिल हुआ इस मुबारक माह में अल्लाह की रहमतें खुलकर अपने बंदों पर बरसती हैं रमजानुल मुबारक के पाक महीने को तीन असरों में बांटा गया है। पहले असरे में अल्लाह ताआला की रहमत नेक बंदों पर बरसती है। तीनों अशरे दस-दस दिन के होते हैं। अल्लाह ताला रमजान के पहले असरे में रहमत नाजिल करता है और दूसरे असरे के दस दिनों में अल्लाह अपने नेक बंदों पर मगफिरत नाजिल करता है। तीसरे असरे में दस दिनों में अल्लाह अपने नेक बंदों को दोजख से आजादी देता है। इस महीने में रोजा रखने की बरकत से अल्लाह ताआला आदमी के हर अच्छे अमल पर उसका सवाब सात सौ गुना तक बढ़ा देते हैं। रमजान के महीने में अल्लाह की रहमत बंदों पर बरसती है। रमजान के महीने में जन्नत और रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और शैतान को बेड़ियों में जकड़ दिया जाता है। पूरे रमजान के दौरान पूरे रमजान के दौरान रोजगार पांचों वक्त की नमाज और तरावीह की नमाज बाजमात अदा करने की कोशिश करते हैं इस मुबारक महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत और तिलावत की जाती है और हर बुरे कर्म से बचा जाता है रमजान के आखिरी दिनों में कुछ मुस्लिम मस्जिद के कोने में एतकाफ में बैठते हैं और इबादत तिलावत करते हैं ईद की चांद रात को ही एक एतकाफ की नियत से बाहर आते हैं और सब के लिए दुआ करते हैं इसी तरह पूरे रमजान में मुस्लिम घरों से और दूसरे समुदाय के लोगों की ओर से मस्जिदों में इफ्तारी भेजी जाती है रोजा इफ्तार कराया जाता है ताकि कोई भी परदेशी या जरूरतमंद रोजदार बंदा सुकून के साथ रोजा इफ्तार कर सके।।