सबके हैं राम

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“राम नवमी पर विशेष”

 

जोग लग्न ग्रह वार तिथि,सकल भयें अनुकूल
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल

“राम भारतीय संस्कृति, दर्शन, शौर्य, त्याग सभी के एक मात्र सगुण प्रतीक हैं. तत्वतः वेद के अमूर्त आदर्श की मूर्ति का नाम है राम. चलते फिरते सगुण उपनिषद का नाम है राम. संसार में जो भी वंदनीय है, करणीय है, अनुकरणीय है, उसका नाम है राम.
राम एक व्यक्ति नहीं
व्यव्यस्था है –

द्वैताद्वैतवाद सी सत्य और अहिंसक परितोष सी व्याप्त

राम जाति वर्ग से परे हैं, नर हों या वानर, मानव हों या दानव सभी से उनका करीबी रिश्ता है ,अगड़े पिछड़े सब उनके करीब हैं, निषादराज हों या सुग्रीव, शबरी हों या जटायु सभी को साथ ले चलने वाले वे देव हैं ,भरत के लिए आदर्श भाई, हनुमान के लिए स्वामी, प्रजा के लिए नीतिकुशल न्यायप्रिय राजा हैं, परिवार नाम की संस्था में उन्होंने नए संस्कार जोड़े, पति पत्नी के प्रेम की नई परिभाषा दी। ऐसे वक्त जब खुद उनके पिता ने तीन विवाह किए थे, लेकिन राम ने अपनी दृष्टि सिर्फ एक महिला तक सीमित रखी, उस निगाह से किसी दूसरी महिला को कभी देखा नहीं ।

वर्तमान संदर्भों में भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों का जनमानस पर गहरा प्रभाव है, त्रेतायुग में भगवान श्रीराम से श्रेष्ठ कोई देवता नहीं, उनसे उत्तम कोई व्रत नहीं, कोई श्रेष्ठ योग नहीं, कोई उत्कृष्ट अनुष्ठान नहीं, उनके महान चरित्र की उच्च वृत्तियाँ जनमानस को शांति और आनंद उपलब्ध कराती हैं, संपूर्ण भारतीय समाज के जरिए एक समान आदर्श के रूप में भगवान श्रीराम को उत्तर से लेकर दक्षिण तक संपूर्ण जनमानस ने स्वीकार किया है ,उनका तेजस्वी एवं पराक्रमी स्वरूप भारत की एकता का प्रत्यक्ष चित्र उपस्थित करता है।

असीम ताकत अहंकार को जन्म देती है, लेकिन अपार शक्ति के बावजूद राम संयमित हैं, वे सामाजिक हैं, लोकतांत्रिक हैं, वे मानवीय करुणा जानते हैं, वे मानते हैं- परहित सरिस धर्म नहीं भाई,

दरअसल राम देश की एकता के प्रतीक हैं, महात्मा गांधी ने राम के जरिए हिन्दुस्तान के सामने एक मर्यादित तस्वीर रखी, गांधी उस राम राज्य के हिमायती थे, जहां लोकहित सर्वोपरि हो,  भगवान  राम का जीवन आम आदमी का जीवन है, आम आदमी की मुश्किल उनकी मुश्किल है, वे हर उस समस्या का शिकार हुए जिन समस्याओं से आज का इंसान जूझ रहा है, बाकि देवता हर क्षण चमत्कार करते हैं, लेकिन जब राम की पत्नी का अपहरण हुआ तो उसे वापस पाने के लिए उन्होंने कोई चमत्कार नहीं किया अपितु रणनीति बनाई, लंका जाने के लिए उनकी सेना ने कोई चमत्कार नहीं किया बल्कि एक-एक पत्थर जोड़कर पुल बनाया, यह उनकी कुशल प्रबन्धक क्षमता को दिखाती है। जब राम अयोध्या से चले तो साथ में सीता और लक्ष्मण थे, जब लौटे तो पूरी सेना के साथ, एक साम्राज्य को नष्ट कर और एक साम्राज्य का निर्माण करके।

राम अगम हैं संसार के कण-कण में विराजते हैं, सगुण भी हैं निर्गुण भी, तभी कबीर कहते हैं “निर्गुण राम जपहुं रे भाई।”

राम के चरित्र में पग-पग पर मर्यादा, त्याग, प्रेम और लोकव्यवहार के दर्शन होते हैं ,राम ने साक्षात परमात्मा होकर भी मानव जाति को मानवता का संदेश दिया, उनका पवित्र चरित्र लोकतंत्र का प्रहरी, उत्प्रेरक और निर्माता भी है, इसीलिए तो भगवान राम के आदर्शों का जनमानस पर इतना गहरा प्रभाव है और युगों-युगों तक रहेगा। राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं सब स्वस्थ्य रहें,सफल रहे,प्रसन्न रहें,,, मंगल कामनाओं सहित बहुत बहुत बधाई,,,,,

: इरफान मालिक

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