माइक्रो फाइनेंस कंपनिया कर रही लूट प्रशासन से कार्यवाही की अपेक्षा

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डिन्डोरी – जनपथ टुडे, 12.02.2020

प्रदेश के मुखिया कमलनाथ ने कल साफ तौर पर प्रदेश भर में फैला रहे माइक्रो फाइनेंस माफियाओं के सक्रिय होने के पहले सख्त कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए हैं तथा शिकायतों पर एफ.आई.आर. दर्ज करवाने कहां हैं। प्रशासन की, जिले भर में फैल रहे इस संक्रमण पर कठोर कार्यवाही अत्यंत आवश्यक हैं।

आदिवासियों का कर रही शोषण कंपनियां

जिले में दर्जनों माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के दफ्तर खुले हैं जहां जिले भर के ग्रामीण अंचलों में फैले इन कंपनियों के दलाल महिलाओं को ढोकर लाते है और फिर उनसे तमाम दस्तावेजों में अंगूठा या हस्ताक्षर करवा लिए जाते हैं। प्राय: अशिक्षित या फिर कम पढ़े लिखे लोगों को ना तो इन कागजों पर लिखी शर्तों की जानकारी होती है ना ही उन्हें यह पढ़ने दिया जाता हैं। इसके अलावा इन लोगों से हस्ताक्षर किए हुए चेक, आधार कार्ड आदि दस्तावेज ये कंपनियां अपने पास रखवा लेती हैं।

क्या करती है माइक्रो फाइनेंस कंपनियां

माइक्रो फाइनेंस कंपनी महिलाओं के समूह बनाकर उन्हें छोटे-छोटे ऋण देती है जो कि समूह के किसी सदस्य द्वारा न चुकाए जाने पर समूह के अन्य सदस्यों से वसूल किए जाते हैं। इन फाइनेंस कंपनियों द्वारा दिया जाने वाला ऋण किस्तों में एक माह बाद से ही मासिक,पाक्षिक अन्यथा सप्ताहिक किस्तों में वसूला जाने लगता है जो साल भर या डेढ़ साल के भीतर ब्याज सहित वसूल लिया जाता है पर इस पर ब्याज पूरे समय का जुड़ा होता है। ब्याज की दरें भी ये कंपनियां 16% से 24% तक वसूल रही हैं जिसकी अनुमति रिजर्व बैंक के नियमों के चलते संभव नहीं है। 24% की ब्याज दर बाजार में साहूकारों द्वारा प्रचलित दर है पर इन कंपनियों पर कहीं से कोई नियंत्रण नहीं है और यह पहले ही माह से वसूली के बाद भी अधिकतम सीमा का ब्याज वसूल रही हैं।

प्रशासन का नहीं है नियंत्रण

जिला मुख्यालय की गली गली में संक्रमण की तरह फल-फूल रही इन कंपनियों की कोई जानकारी पुलिस विभाग, अग्रणी बैंक अथवा राजस्व अमले के पास उपलब्ध नहीं है न तो कंपनियों के द्वारा किसी महत्वपूर्ण शासकीय एजेंसी को जानकारी दी जाती है न ही प्रशासन अथवा वित्तीय संस्था से अनुमति ली जाती है अधिकांश कंपनियों के पास गुमा श्ता पंजीयन तक नहीं हैं।

कुल मिलाकर भोले भाले अशिक्षित अथवा कम पढ़े लिखे ग्रामीणों को उनकी आर्थिक जरूरतों के चलते झांसा देकर ये कंपनियां अघोषित तौर पर रूप बदलकर खुलेआम साहूकारी कर रही हैं और मोटा ब्याज उगाह रही हैं और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है। इन कंपनियों का पूरा का पूरा अमला उत्तरप्रदेश और बिहार का है ।इनके द्वारा किए जा रहे गोरखधंधे कि किसी को भनक न लगे इसके चलते ये कंपनियां स्थानीय बेरोजगारों को भी काम पर नहीं रखती।

प्रशासन से कार्यवाही की अपेक्षा

जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री की मंशा पर ध्यान देते हुए जिले में कार्यरत माइक्रो फाइनेंस कंपनीयो की जांच करवाकर इनके पंजीयन, अनुमति और ब्याज दर, वसूली के तौर तरीकों की जांच शीघ्र करवानी आवश्यक हैं, इन पर समय रहते जांच और कार्यवाही नहीं की जाती तो आने वाले समय में ये कम्पनियां भी चिट फंड कंपनियों की ही तरह लोगों की मेहनत की कमाई पर डाका डाल चुकी होगी।

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