मैं ईदगाह हूँ

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– इरफान अ मलिक

आज़ अल्लाह की तरफ़ से रोजों के इनाम का दिन है मुबारक महीने की इबादत और तिलावत से आज़ रब अपने बंदों को ईनाम से नवाजता है मैं उसके नेमतों की गवाह होती हूं मगर आज़ यहां बवा के सबब चहल-पहल नहीं है खामोशी हैं और मैं तन्हा हूं मैं ईदगाह हूँ, हां मैं ईदगाह हूं मुसलमानों की इबादतगाह और उनकी ख़ुशियों की गवाह । रमज़ान का चाँद दिखाई देते ही मै भी मुसलमानों की राह देखने लगती और माह भर राह देखती । रमज़ानुल मुबारक के पाक महीने मकी इबादतों से पाक होकर शुक्राना अदा करने और अल्लाह का अता किया नज़राना लेने ये फ़रज़ंदान ए तौहीद मेरे आँगन मे जमा होते तो मेरे आँगन मे भी बहार आ जाती। सफ़ेद दाढ़ी वाले बुज़ुर्ग आते तो मै भी उनका एहतराम करती, ईमानी वलवला,जोश और इबादतों का शौक़ लिए जवान आते तो मै उन पर फ़ख़्र करती, मासूम बच्चे रंग बिरंगी टोपियां ओढ़े जैसे ही मेरे आँगन मे दाख़िल होते तो मै शफ़क़त का समंदर उन पर उड़ेल देती । रंगीन चूड़ियों से सजी नन्ही कलाइयों और मेंहदी लगी हथेलियों से मेरी क़ौम की बेटियाँ अपनी दुपटिया संभालती तो मै उनके लिए दुआ करती । मै इन सबके इस्तिक़बाल के लिए ख़ुद को सजाती और फिर तय वक़्त पर तकबीर की सदायें गूंजती तो मै भी ख़ामोश हो जाती, हज़ारों पाक जबीं एक साथ मेरे दामन पर झुकती तो मै भी अपना दामन इनके सज्दों के लिए वसीअ कर देती।

अपनी नमाज़ें अदा करके, दुआयें मांग कर अपने रब को राज़ी करके बख़्शे बख़्शाये जब मुसलमानों का ये हुजूम वापस होता मै उन्हे वहाँ तक निहारती जहाँ तक मेरी नज़र जाती ।

फिर से वो दिन आया मैने साल भर जिसका इंतज़ार किया लेकिन सुना है इस बार कोई बीमारी है जिसके चलते पाबंदियां हैं और इस साल साल कोई मेरे आंगन न आयेगा, न बुज़ुर्ग, न जवान, न बच्चे न बच्चियां । इस साल अल्लाहु अकबर की सदाएं न गूंजेंगी, मेरा दामन सज्दों से महरूम रहेगा तो क्या वहाँ ईद होगी जहाँ से वो सब आते थे ? क्या वो मेरे बिना ईद मना लेंगे ? वो कैसी ईद होगी ? मै भी तो उनके बिना ईद नही मनाऊंगी। क्या उन्हे मेरे इंतज़ार का ख़्याल आयेगा ? क्या उन्हें मेरी याद आयेगी ? क्या उन्हें मेरे सूने आंगन का ख़्याल आयेगा ? ज़रूर ख़्याल आयेगा, ज़रूर उनके दिल मेरे बिना तड़पेंगे लेकिन वो सब्र करेंगे, मै भी सब्र कर लूंगी और बारगाहे इलाही मे दुआ करूंगी कि इस बार न सही तो 70 दिन वो ज़रूर मेरे गुलशन को महकाने आयेंगे और ज़्यादा आबो ताब के साथ आयेंगे, मै उनका और ज़ोरदार इस्तिक़बाल करुंगी । मुझे यक़ीन है कि हम सबका रब हमारी ये पुकार ज़रूर सुनेगा

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