बिना दुकान करोड़ों का कारोबार कर रही फर्जी फर्मे
डिंडोरी – जनपद टुडे, 14.02.2020
ग्राम पंचायतों में बड़े स्तर की गड़बड़ी
कार्यवाही ना होने से माफियाओं के हौसले बुलंद
डिंडोरी – जिले की ग्राम पंचायतों में सामग्री सप्लाई हेतु फर्जी बिलों, फर्जी फर्मो का खुलकर उपयोग किया जा रहा है हर पंचायत में लाखों रुपए के बिल ऐसी फर्मो और व्यक्तियों के लगाकर भुगतान कर दिया गया है जो वास्तव में न तो कारोबारी है न उनकी फर्म या दुकान का कोई अस्तित्व है लोहा, सीमेंट,गिट्टी, रेत,शौचालय की सामग्री के नाम पर ऐसे हजारों बिलों का ग्राम पंचायतों ने करोड़ों रुपए का भुगतान विगत 5 वर्षों में कर दिया है जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है केवल कागज पर चलने वाली इन फर्मों के बिल भर हैं उसमें भी तमाम ऐसी फ्रमो के न तो जी.एस.टी नंबर है न ही टिन नंबर और पंचायतों की मिलीभगत और जनपद के अधिकारियों की अनदेखी से चल रहा है सरकारी धन का बंदरबाट|
मनमानी कीमत पर लगते हैं सामग्री के बिल
ऐसे फर्जी बिलों के माध्यम से मनमानी कीमत पर सामग्री के बिल लगाकर ऐसी फर्म और पंचायत के कर्ताधर्ता मिलकर शासकीय राशि का बंदरबांट कर लेते है। जिले की अधिकांश पंचायतों में सीमेंट के बिल 300 प्रति बोरी, रेत 4000 से ₹6000 रुपए प्रति ट्राली और लोहे के बिल ₹5000 से लेकर ₹7000 प्रति क्विंटल तक देखे जा सकते हैं। जबकि पंचायत के कार्यों में प्राय: जिन ब्रांडो की सीमेंट इस्तेमाल की जाती है उन सस्ती सीमेंट की बाजार में प्रचलित दर ₹250 बोरी अधिकतम है, इसी तरह रेत 2500 रुपए से लेकर 3500 रूपए प्रति ट्राली तक उपलब्ध है और लोहे की कीमत में भी 1000 से ₹2000 का फर्क है।
मनमानी सामग्री के बिल लगते हैं।
पंचायतों में स्वीकृत कार्य की राशि के बराबर के ऐसे बिल लगाकर राशि का भुगतान कर दिए जाने के अनेकों मामले जिले की पंचायतों में दर्ज है जहां 40 से 50% तक भुगतान सीमेंट का या रेत का 20 से 30% रेत का या अन्य सामग्री का कर दिया जाता है।भुगतान में मजदूरी और अलग-अलग सामग्री कितनी उपयोग होना है और उसका कितना भुगतान किया जाना है इसकी जांच कार्यों का मूल्यांकन करने वाला तकनीकी अमला उपयंत्री करता है न ही जनपद लेखा शाखा या अधिकारियों का इस पर कोई नियंत्रण है।
कौन कौन शामिल है फर्जीवाड़े में
इस तरह के हो रहे फर्जीवाड़े की ग्राम पंचायतों को तो भली-भांति जानकारी होती ही है प्राय: अपने लोगों को उपकृत करने और पंचायत की राशि मैं भ्रष्टाचार की जानकारी किसी को ना हो इसके चलते सरपंच,सचिव के परिजनों, करीबियों या परिचितों के नाम पर प्रिंटेड या कंप्यूटराइज बिल पंचायत में लगाकर भुगतान हो रहा है इसी तरह प्रभावशाली जनप्रतिनिधियों, जनपद के अधिकारी, कर्मचारियों के परिचितों के नाम शिक्षक, कंप्यूटर ऑपरेटरों की कई दर्जन फर्मे जिले भर में सक्रिय है जो सरकारी धन पर खुलकर डाका डाल रही और जिला पंचायत की कार्यवाही शून्य है। इस तरह की शिकायतों पर भी जिला पंचायत सक्रिय होता हैं न कोई कार्यवाही करता हैं। गौरतलब है कुछ जनपद कर्मियों, शिक्षकों के साथ साथ एक एस डी ओ स्तर के अधिकारी के बेटे की कागजी फर्म अपने बड़े टर्नओवर और कामकाज के तरीकों को लेकर चर्चा में है इन बन्द दुकानों के कारोबार को खगाला जाना अभी बाकी है।
बड़ा घोटाला सरकारी खजाने पर मार
इस तरह के प्रकरणों में जिले भर में सरकारी खजाने पर मार पड़ रही है जहां सामग्री की कीमत के नाम पर अधिक राशि का भुगतान कर शासकीय धन हड़पा जा रहा है वही यह फॉर्मे टैक्स की भी बड़ी चोरी कर रही हैं।जाहिर तौर पर जिनकी दुकान नहीं है और बिलों का भुगतान हो रहा है ये फर्मे बनाई ही केवल घोटाले के लिए है कारोबार इनका क्या होगा |