वर्षों पुराने चौरादादर रेस्ट हाउस की स्थिति जर्जर, सुधार किए जाने की मांग

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(गोपालपुर से रूपेश सारीवान)

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 29 जून 2021, वन परिक्षेत्र करजिंया अन्तर्गत चौरादादर मंडल में बने रेस्ट हाउस की स्थिति जर्जर हो चुकी है। वन विभाग द्वारा इसका वर्षों से उपयोग नहीं होने और रखरखाव के आभाव में प्रकृति के बीच निर्मित यह भवन कभी भी गिर सकता है। भविष्य में ऐसे अद्भुद और प्रकृति से भरपूर क्षेत्र में रेस्ट हाउस का निर्माण किया जाना शायद संभव न हो।

जहा दुनिया भर में कृत्रिम रूप से वातावरण निर्मित कर एको सेंटर बना कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है। सरकार भी पर्यटन की बढ़ावा देने करोड़ों रुपयों की योजनाएं संचालित कर रही है, वहीं इस बहुमूल्य प्रकृति स्थल को विकसित नहीं किए जाने से यह दुर्दशा का शिकार हो चुका है किन्तु थोड़े से प्रयास से इसे अभी भी बचाया जा सकता है।

इस भवन का पुनः जीर्णोद्धार किया जाऐ तो चौरादादर में पुनः रौनक वापस आ जाएगी। वन क्षेत्र के भीतर रेस्ट हाउस होने से जंगली और इसमें रहने वाले जंगली जानवरों की देखरेख भी बेहतर तरीके से संभव है। क्षेत्र में लकड़ी की चोरी आदि भी नियंत्रित होगी। डिप्टी रेन्जर, फारेस्ट गार्ड आदि का रेस्ट हाउस नहीं होने के वजह से क्षेत्र ने रहना संभव नहीं हो पाता शाम होते ही वन विभाग के कर्मचारी क्षेत्र से अपने घर चले जाते है। इसके कारण तस्करी करने वालों और लकड़ी की चोरी करने वालों को अधिक मौका मिल जाता है। जगंल का रख रखाव और सुरक्षा के लिए रेस्ट हाउस को ठीक किया जाना बेहद जरूरी है। वहीं जंगलों के बीच अत्यधिक प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे होने के चलते इस क्षेत्र में सुविधायुक्त विश्राम गृह उपलब्ध होने से यहां उच्च अधिकारियों का आवागमन बढ़ने से वनों के साथ साथ क्षेत्रीय समस्याओं का हल भी आसानी से संभव है। अतः जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए इस रेस्ट हाउस को विकसित करने हेतु कार्यवाही करने का प्रयास करे।

गौरतलब है कि वर्षों से उपेक्षित पड़े गोपालपुर क्षेत्र के खारीडिह रेस्ट हाऊस जिसका निर्माण 1947 में संभवतः ब्रिटिश अधिकारियों ने करवाया था जो कि गिरने की कगार पर था। “जनपथ टुडे” द्वारा उसकी स्थिति की जानकारी सार्वजानिक किए जाने के बाद से उस भवन को लेकर कई निजी व्यक्तियों, कारोबारियों और शासकीय विभागों द्वारा इसको विकसित करने की दिशा में प्रयास किए गए थे। वहीं वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने इस स्थल के प्राकृतिक महत्व को समझते हुए गंभीरता से प्रयास किए और इस भवन का जीर्णोद्धार प्रारंभ किया जा चुका है जो कि बहुत ही जल्दी पूर्ण भी हो जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों से चौरादादर रेस्ट हाऊस को विकसित किए जाने की मांग स्थानीय नागरिकों द्वारा की जा रही है।

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