उपराष्ट्रपति ने आदिवासी महोत्सव का शुभारम्भ किया
मंडला,जनपथ टुडे, शनिवार, फरवरी 15, 2020मंडला जिले के रामनगर में शनिवार को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का शुभारंभ किया। लोकनायकों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासी महोत्सव की रचनात्मक परंपरा रामनगर में 2015 में शुरू की गई। आदिवासी संस्कृति को कायम रखना और जनजातियों का विकास करना हमारा कर्तव्य है। साथ ही यह हमारा संवैधानिक दायित्व भी है। आदिवासियों से हमें प्रकृति के साथ जीवनयापन करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारतवर्ष में अब तक करीब 250 भाषाएं विलुप्त हो गई हैं, जिनमें अधिकांश भाषा जनजातीय हैं। जीवन में हिंसा करने से कुछ नहीं होता। हिंसा को छोड़कर लोकतंत्र में विश्वास कर हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। विकास के लिए शांति जरूरी है। सरकार माओवाद को रोकने में सफल रही है। प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को लेकर जनजातीय समुदाय चिंतित है।
आदिवासी महोत्सव में दिखी आदिवासी संस्कृति की झलक
रामनगर में आयोजित दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव में पहले दिन 15 फरवरी को ख्याति-प्राप्त जनजातीय कलाकारों ने आदिवासी संस्कृति पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किये। इस अवसर पर प्रदेश के जनजातीय कार्य विभाग, विमुक्त, घुमक्कड़, जनजाति कल्याण मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम, केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद सुश्री संपतिया उईके, विधायक श्री देवसिंह सैयाम तथा बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय मौजूद था। महोत्सव का समापन 16 फरवरी को त्रिपुरा के उप मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव वर्मा की उपस्थिति में होगा।
पहले दिन के कार्यक्रम में राजस्थान के जनजातीय कलाकारों द्वारा चकरी, चरी एवं घूमर नृत्य प्रस्तुत किये गये। मोहगांव के कलाकारों द्वारा शैला, करमा एवं गौंड़ी, बिछिया के कलाकारों ने नगाड़े की थाप पर बैगा नृत्य तथा निवास के कलाकारों ने रीना एवं करमा नृत्य किया। कार्यक्रम में सहभागिता करने बालाघाट से आए आदिवासी नृतक दल ने गौंड़ी परंपरागत नृत्य शैली एवं बालाघाट के लोक नृतक दल ने गौंड़ी लोक नृत्य शैली की प्रस्तुति दी। चाढ़ा डिण्डौरी के बैगानी लोक नृत्य दल द्वारा बैगा लोक नृत्य, मेढ़ाखार डिण्डौरी के कलाकारों ने गुदुम शैली, धुलिया नृत्य दल डिण्डौरी ने गुदुम बाजा नृत्य, मेढ़ाखार डिण्डौरी के कलाकारों ने करमा शैला लोक नृत्य, आदिवासी लोक नृतक दल डिण्डौरी ने बोना लोक नृत्य, लालपुर डिण्डोरी के कलाकारों ने शैला नृत्य की प्रस्तुति दी। इन प्रस्तुतियों में जनजातीय संस्कृति से भरपूर लोक नृत्य एवं लोक संगीत की झलक देखने को मिली।