आसमान छूते भाव के बाद भी “पिहरी प्रेमियों” की नहीं कमी

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जनपथ टुडे, डिंडोरी 30 जुलाई 2021, दुनिया भर में इन दिनों मशरूम खाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है किंतु हमारे जिले में प्राचीनकाल से ही मशरूम अथवा स्थानीय भाषा में “पिहरी” खाने का चलन रहा है। जिले में इसको खाने वालों की संख्या बहुत अधिक है, बाजार में पिहरी देखते ही भीड़ टूट पड़ती है। आज 150 रुपए पाव की कीमत पर बाजार में पिहरी बिक रही है फिर भी इसको पसंद करने वालों की भीड़ लगी देखी जा रही है।

जिले के स्थानीय लोग इसे अत्यधिक पसंद करते हैं लगातार हो रही बारिश में इसे खाने का मजा कुछ और ही बताया जाता है। जिले के जंगलों में बरसात में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली पिहरी, जंगलों से लाकर शौकीनों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाने वाली पुरानी डिंडोरी निवासी सब्जी विक्रेता सत्ता बाई ने बताया कि वह सारसताल और रानी बुढार के जंगलों के आस पास के गांवों से वनवासियों से खरीदकर पिहरी लाती है।

बरसात के दिनों में प्राकृतिक रूप से जिले के जंगलों में उत्पन्न होने वाली पिहरी जिसे बटन मशरूम के रूप में जाना जाता है। इस वर्ष बरसात में अब तक बाजार में पिहरी की आवाक नहीं हुई थी। आज भारत माता चौक के पास पिहरी बेच रही सत्ता बाई के पास भारी भीड़ लगी है।

गौरतलब है कि अब बाजार में दुर्लभ हो चली पिहरी के आज बाजार में आने से इसे खाने वाले बेहद खुश नज़र आ रहे है और आसमान छूता भाव भी उनका उत्साह कम नहीं कर पा रहा है।

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