मुहर्रम और इमामे हुसैन रजि

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इरफ़ान मलिक

जन-पथ टुडे, डिंडोरी, 19अगस्त 2021,
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम का कहलाता है. मुस्लिम समुदाय में ये महीना काफी पाक माना जाता है। वहीं इस महीने के 10वें दिन को योमे आशुरा हजरत हुसैन रजि अल्लाह ताला अन्हा की शहादत के तौर पर मनाया जाता है. बता दें, मुस्लिम समुदाय के लिए मोहर्रम का काफी महत्व है. इस साल मोहर्रम 20 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा.

ये है महत्व

हज़रत इमाम हुसैन इस्लाम के पैंगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे थे. उन्होंने इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए अपनी अपने परिवार और दोस्तों की कुर्बानी दे दी. इसी शहादत की याद में आशिके हुसैन (रजि) मुसलमान ताजिया निकालते हैं. यह ताजिया उन शहीदों का प्रतीक माना जाता है. इस ताजिया के साथ जुलूस निकालकर फिर उसे प्रतीकात्मक रूप से कर्बला ले जाया जाता है. जैसे इमाम हुसैन का मकबरा इराक में आज भी है. इसीलिए दुनिया भर के मुसलान के लिए यह महत्वपूर्ण का महीना है. मुहर्रम का 10वां दिन आशूरा का दिन और हुसैन और उनके जांनिसार साथियों की सबक आमोज शहादत को याद करने का दिन है।

आशूरा का दिन मुसलमानों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस द‍िन यह बताया जाता है कि इस दिन मूसा और उसके अनुयायियों ने मिस्र के फिरौन पर विजय प्राप्त की थी.

ऐसे मनाया जाता है ये दिन

मुहर्रम को मुसलमानों के द्वारा हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने का दिन माना गया है, जो मुहर्रम की पहली रात से शुरू होता है और योमे आशूरा (दस मुहर्रम)तक जारी रहता है… 10 मोहर्रम 61 हिजरी में इमामे हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने अंसार, अक़रबा, भांजे, भतीजे और बेटों की मक़तल में बिखरी लाशों के बीच खड़े होकर जो पैग़ाम दिया उसने तारीख़े इंसानियत को बदल कर रख दिया. लोगों के दिलों में इस अज़ीम क़ुर्बानी ने वो जगह बनाई जिसकी मिसाल तारीख़ आलमों आदम में नहीं मिलती. यही एक ऐसा वाक़्या है जिससे आलम की तमाम चीज़ें मुतास्सिर हुयीं. आसमान मुतास्सिर हुआ, ज़मीन मुतास्सिर हुयी, सूरज, चांद, सितारे मुतास्सिर हुए. यहां तक की कायनात की हरेक शय मुतास्सिर हुई *नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का पैग़ाम देती है कर्बला*
इमाम हुसैन अलैहिस्साम का ये ईसार और क़ुर्बानी तारीख़े इस्लाम का एक ऐसा दरख़्शां बाब है जो रहरवाने मंज़िले शौक़ व मुहब्बत के लिए एक आला तरीन नमूना है. इजतेमाई क़ुर्बानी अल्लाह की राह में पेश करके हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने रहती दुनिया तक हर पाकीज़ा फ़िक्र और तहरीक को कर्बला से वाबस्ता कर दिया और ये पैग़ाम दिया कि जब भी जहां भी इंतेशार, ज़ुल्म, ज़्यादती, इंतेहापसंदी, शिद्दतपसंदी, क़त्लो ग़ारतगरी और दहशतगर्दी सर उठाए तो तुम ख़ामोश मत बैठना. तुम ये मत सोचना कि तुम इन बातिल ताक़तों के सामने कमज़ोर हो, तादाद में कम हो और मुक़ाबला नहीं कर सकते. झूठ और नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ तुम क़याम करना. तुम और तुम्हारी हक़परस्ती बातिल और ज़ालिम ताक़तों को शिकस्त देने में कामयाब हो जाएगी…..

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