भ्रष्टाचार में लिप्त ग्राम सचिव को अधिकारियों का खुला संरक्षण

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7 के बजाय 107 दिनों में नहीं हो सकी भ्रष्टाचार की जांच पूरी

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 1 सितंबर 2021, करजिया जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरिया और ठाड़पथरा के सचिव बहादुर सिंह बट्टी की कार्यप्रणाली पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय है। मनमानी और व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते जहां ग्रामीण लगातार शिकायते करते रहे हैं वहीं अधिकारियों से सांठगांठ के चलते ग्राम सचिव बहादुर सिंह बट्टी हमेशा बचते रहे हैं। उनके खिलाफ न कभी जांच हुई और न ही कार्यवाही। जिसके चलते वे लगातार भ्रष्टाचार करते रहे और जनपद के जिम्मेदार अधिकारी उसको लगातार संरक्षण देते रहे। जिसकी वजह भी जाहिर है कि उक्त सचिव अपने बचाव के लिए तमाम जिम्मेदार की जेबे भरता चला आ रहा है और बिकाऊ अमला मौन बना हुआ है ऐसा लोगों का कहना है। फिलहाल 2 मार्च को ग्राम उमरिया के ग्रामीणों ने पंचायत सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जनसुनवाई के दौरान जिला कलेक्ट्रेट से शिकायत की थी जिसकी जांच हेतु जनपद द्वारा टीम का गठन किया गया किन्तु पिछले छः माह में अब तक ग्रामीणों के आरोपों की शिकायत का जांच प्रतिवेदन ही प्राप्त नहीं हो पाया है सचिव पर कार्यवाही होने में कितना समय और लगेगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। भ्रष्टाचार में लिप्त सरपंच और सचिवों के विरूद्ध कार्यवाही के नाम पर इस तरह से संरक्षण दिया जा रहा है। जिससे शिकायतकर्ताओं के मंसूबे खुद ही टूट जाते है वहीं दोषियों को लीपापोती कर बचने का पर्याप्त मौका भी मिल जाता है।

7 दिनों की जांच 107 दिन में नहीं हुई पूरी

मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत करंजिया ने ग्रामीणों द्वारा जनसुनवाई में की गई शिकायत के आधार पर कलेक्टर कार्यालय शिकायत शाखा डिंडोरी में पत्र क्रमांक 126/16 मार्च 2021 के आधार पर जांच हेतु एक तीन सदस्यी टीम गठित कर 7 दिवस में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने आदेश 5 मई 2021 को जारी किया। जांच दल में विजेंद्र सारीवान उपयंत्री, अशोक कूड़ापे, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी तथा परस राम घुरैया पंचायत समन्वयक को शामिल करते हुए ग्राम पंचायत उमरिया सचिव बहादुर सिंह भट्टी के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच कर बिंदुवार जांच प्रतिवेदन सात दिवस में प्रस्तुत करने निर्देशित किया गया। किंतु आज 107 दिन के बाद भी उक्त जांच पूरी नहीं हो सकी है सचिव के खिलाफ कार्यवाही का तो सवाल ही नहीं है।

इस मामले में जानकारी देते हुए सीईओ जनपद पंचायत करंजिया का कहना है दिखवा लेता हूं उपयंत्री बिजेंद्र सारीवान, अभी जांच पूरी नहीं हुई है। परसराम घुरैया ने हमारे प्रतिनिधि को बताया कि जांच नहीं हुई है। अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार कुड़ापे अनुसार जांच प्रगति पर है।

सचिव पर भ्रष्टाचार के है बड़े आरोप

जनपद पंचायत द्वारा जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर जिस जांच टीम का गठन किया गया है शिकायतकर्ताओं के अनुसार मेन रोड से सुरेश के घर तक ₹5 लाख की लागत से स्वीकृत सीसी रोड निर्माण कार्य में ₹8.13 लाख की राशि आहरित कर ली गई जबकि यह मार्ग वर्ष 2011- 12 में बनाया गया था। इसी तरह फगनू के घर से सोसाइटी तक 6 लाख रुपए की स्वीकृति वाले सीसी मार्ग निर्माण कार्य में 10.78 लाख रुपए की राशि का आहरण कर लिया गया यहां पर भी पंचायत द्वारा कार्य नहीं करवाया गया। इसी तरह बहेरा नाला से गेंद सिंह के घर तक 4.50 लाख रुपए की लागत से बनने वाले सीसी सड़क निर्माण को मात्र 30 मीटर बना कर छोड़ दिया गया है और राशि आहरण किए जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है।

पत्नी के नाम पर करोड़ों का भुगतान किया

ग्रामीणों के द्वारा लगाए गए आरोप के अलावा उक्त सचिव पर पहले भी मृत महिला के नाम पर मजदूरी का भुगतान किए जाने का आरोप लगा था जिसमें वह दोषी पाए गए थे किंतु जनपद के अधिकारियों द्वारा राशि खाते में जमा करवा कर सचिव के विरुद्ध कोई कार्यवाही किया जाना उचित नहीं समझा गया। इसके साथ ही “जनपद टुडे” के द्वारा पूर्व में विस्तृत खुलासा किया जा चुका है कि उक्त सचिव ने अपनी पत्नी सविता बाई के नाम से विगत वर्षों में लगभग एक करोड़ रुपए का भुगतान उमरिया और ठाडपथरा ग्राम पंचायत में सामग्री आपूर्ति के नाम से निकाला गया है। जिसके बिलों की जानकारी पंचायत दर्पण में उपलब्ध है वहीं मनरेगा सहित अन्य योजनाओं के भुगतानों की जांच होने पर यह राशि और भी अधिक ही सकती है। फर्जी GST नंबर के बिलों के आधार पर करोड़ों रुपए की फर्जी मैटेरियल सप्लाई करने वाली सचिन की पत्नी की फर्म के गोदाम और दुकान का कोई अस्तित्व नहीं मिलता है और न ही उनके द्वारा इस लंबे चौड़े कारोबार का कोई विक्रय कर और आयकर चुकता किया गया है। इस फर्म की खास बात यह है कि इसके द्वारा सामग्री की सप्लाई सिर्फ उन्हीं ग्राम पंचायतों में की गई जहां फर्म की स्वामी के पति बहादुर सिंह सचिव के रूप में कार्यरत हैं। कारोबारी फर्म के बिलों पर सचिव का मोबाइल नंबर भी अंकित है। जिस GST नंबर को फर्म के बिलों में अंकित किया गया है वह पंजीयन, पंजीयन की तिथि पर ही रद्द कर दिया गया था। इन तमाम बड़े आरोपों के बाद भी सचिव के खिलाफ कार्यवाही नहीं होना कई तरह की चर्चाओं और संदेहों को जन्म देती है।

सचिव के विरुद्ध कार्रवाई पर अब भी संदेह

करंजिया क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित ग्राम सचिव के रूप में जाने जाने वाले बहादुर सिंह बट्टी के कारनामों को लेकर दर्जनों शिकायतें अब तक हो चुकी हैं। किंतु कार्यवाही के नाम पर अब तक कोई कार्यवाही सुनने में नहीं आई है। जिम्मेदारों द्वारा उसके खिलाफ जांच की जो लंबी प्रक्रिया प्रगतिरत बताई जा रही है। उसने शिकायत के पूरे 2 माह बाद सी ईओ जनपद पंचायत के द्वारा टीम का गठन किया गया और सात दिवस के बजाय 107 दिन में भी जांच टीम जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं कर पाया है। इस तरह की कार्यप्रणाली और लेटलतीफी पर सवाल उठना लाजमी है वही करंजिया क्षेत्र के लोग पूरे भरोसे से दावा करते हैं कि उक्त सचिव के खिलाफ कार्यवाही होना संभव ही नहीं है। इस तरह की चर्चा और दावे शासकीय प्रक्रिया के लिए चुनौती जरूर है। जन चर्चा में किए जा रहे दावे और क्षेत्र के चर्चित सचिव में कितना दम है यह आने वाले समय में साबित होगा। किन्तु इस तरह की लेट लतीफ कार्यवाही के पीछे अधिकारियों से भी जवाब मांगा जाना चाहिए।

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