उप स्वास्थ्य केंद्रों के “कायाकल्प” पर करोड़ों खर्च तब भी अधूरे पड़े है घटिया मरम्मत कार्य

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70% भुगतान होने पर भी नहीं हुआ एक भी भवन का कार्य पूर्ण

कोरोना काल में महत्वपूर्ण भवनों की मरम्मत में लापरवाही दी जा रही मनमानी समय वृद्धि


जनपथटुडे, डिंडोरी, 18 सितंबर 2021, आदिवासी और पिछड़े जिले की चरमरा चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था विभाग की लापरवाही के चलते शासन के द्वारा मोटी रकम व्यय करने के बाद भी नहीं सुधर पा रही है। ग्रामीण अंचल के जर्जर पड़े उप स्वास्थ्य केंद्रों की मरम्मत और सुधार कार्य हेतु इन भवनों में स्वास्थ्य सुविधाएं सुचारू बनाने और इनके कायाकल्प हेतु NRHM के द्वारा लगभग 4 करोड रुपए की राशि आवंटित की गई। जिससे जिले के 67 उप स्वास्थ्य केंद्रों की मरम्मत कार्य व उन्नयन कार्य किया जाना था। किंतु ठेकेदारों की मनमानी और तकनीकी अमले की खुली लापरवाही के साथ ठेकेदारों को खुला संरक्षण दिए जाने से साल भर की अवधि बीतने के बाद भी मरम्मत कार्य अधूरे पड़े हुए हैं। कई भवनों में तो कार्य की शुरुआत तक नहीं की गई है। जबकि ठेकेदार को बड़ी राशि का भुगतान किया जा चुका है और उनकी निविदा अवधि भी समाप्त हो चुकी है।

कोरोंना काल के दौरान जहां गांव गांव में वैक्सीनेशन हेतु स्वास्थ्य केंद्रों की महती आवश्यकता है तब भी मरम्मत और उन्नयन कार्य में लापरवाही बरती जा रही है जिससे इन भवनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। चल रहे कार्यों को देखकर लगता है ठेकेदारों का ध्यान भवनों के सौंदर्यीकरण पर अधिक है। जबकि इन भवनों में मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति किया जाना बेहद जरूरी है।

समयावधि में पूर्ण नहीं हुआ एक भी भवन का कार्य

जून 2020 में निविदा कर जिले के सातों विकास खंडों के 67 उप स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत के लिए ठेकेदारों को कार्य सौपे गए थे। चार ग्रुप में से दो ग्रुप जिसमें समनापुर और बजाग- करंजिया के 25 भवनों की मरम्मत के कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण नहीं किए जा सके है। समनापुर विकासखंड के 7 भवनों की मरम्मत हेतु 43.42 लाख रुपए की लागत से 25 जुलाई 2020 को जारी कार्यादेश के अनुसार 6 भवनों की मरम्मत छह माह की बजाय एक वर्ष के बाद पूरी हो सकी। दोगुनी समयावधि विभाग द्वारा किस आधार पर और किस की अनुशंसा पर दी गई है यह जांच का विषय है। जबकि कार्य आदेश जारी होने के 2 माह के भीतर ही लगभग 60% राशि का भुगतान ठेकेदार को किए जाने के बाद शेष बचे 40% काम के लिए 10 माह का समय दिया जाना विभाग द्वारा ठेकेदारों को खुला संरक्षण दिए जाने का उदाहरण है। समय से दुगुनी समयावृद्धि स्वीकार की जाना संदेह के घेरे में है।

समय सीमा समाप्त, एक भी भवन नहीं हो सका पूर्ण

करंजिया और बजाग विकासखंड के 18 भवनों का मरम्मत कार्य लागत 111.30 लाख रूपए का कार्यआदेश 28 अगस्त 2020 समयावधि 1 वर्ष पूर्ण होने के बाद अब तक इसमें एक भी भवन का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। इसमें कुछ भवनों की स्थिति को देखकर लगता है कि कार्य शुरू ही नहीं किया गया है। इनमे से किसी भी बिल्डिंग की छत की मरम्मत नहीं कराई गई है जबकि अधिकतर जर्जर और पुराने हो चुके उप स्वास्थ्य केंद्रों में मुख्यरूप से सीपेज और पानी टपकने की समस्याएं हैं। बताया जाता है कि ठेकेदार को 70% के करीब राशि का भुगतान होने के बाद भी 18 में से एक भी भवन का काम साल भर के बाद भी पूर्ण नहीं हुआ है फिर भी विभाग के जिम्मेदार संतुष्ट नज़र आ रहे है। यह स्थिति विभाग और उपयंत्री की कार्यप्रणाली और ठेकेदार को दिए जा रहे संरक्षण का खुलासा करती है।

 टपकते भवनों में प्लास्टिक लगाना पड़ रहा है

कार्यों में हो रही देरी और घटिया गुणवत्ता के सवाल पर NRHM के उपयंत्री और एसडीओ ठेकेदारों से पूर्णतः संतुष्ट नजर आते हैं। जबकि अब तक ठेकेदारों को मोटी राशि का भुगतान टाइल्स, पुट्टी और रंग रोगन संबंधी कार्यों के नाम पर किया जा चुका है। इन भवनों में आवश्यक बिजली, पानी से लेकर छतो का सुधार कार्य नहीं किया गया है। कार्यादेश जारी होने के बाद से यह दूसरी बरसात समाप्त होने को है फिर भी बजाग और करंजिया के अधिकांश भवन सीपेज और पानी टपकने की समस्या से ग्रस्त बने हुए हैं।

बजाग विकासखंड के उप स्वास्थ्य केंद्र तरच में केवल पुट्टी पुताई कर ठेकेदार लगभग साल भर से गायब है। छत से पानी इस कदर टपकता है कि स्टाफ को प्लास्टिक लगाना पड़ रहा है। उपयंत्री की लापरवाही और ठेकेदार की मनमानी के चलते छत की मरम्मत का जरूरी कार्य जो पहले किया जाना था उसको छोड़ कर पुट्टी और पुताई का कार्य भर किया गया है। भवन में टाइल्स पूर्व से ही लगी थी। पीने के पानी के लिए स्टाप हैंडपंप पर निर्भर है कुछ कमरों में टपकते पानी को रोकने के लिए प्लास्टिक लगाकर स्टॉप रह रहा है और दवाओं आदि की सुरक्षा करने को मजबूर है।

 

गौरतलब है मरम्मत और उन्नयन संबंधी कार्य में सभी तरह की मरम्मत पूर्ण किए जाने के बाद अंत में रंग रोगन और पुताई का कार्य किया जाता है। जबकि जिले में पदस्थ उपयंत्री की लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी का नमूना है कि अधिकांश भवनों में टाइल्स पुट्टी और पुताई के कार्य के नाम पर ठेकेदारों को बड़ी राशि का भुगतान कर दिया गया। जबकि विद्युत फिटिंग, सैनेटरी फिटिंग, खिड़की दरवाजों की मरम्मत का कार्य अब तक नहीं किया गया है। जिसकी पुष्टि विभाग द्वारा किए गए भुगतानों से भी की जा सकती है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार करंजिया बजाग ब्लाक में उन्नयन कार्य कर रहे ठेकेदार को 70% के करीब भुगतान किया जा चुका है। तब भी निविदा अनुसार समय सीमा 1 साल गुजरने के बाद भी 18 में से एक भी स्वास्थ्य केंद्र का कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है वहीं समनापुर ब्लॉक के छ भवनों की मरम्मत छ माह की बजाय एक साल के बाद पूरी की गई। जो कि विभागीय अमले की अनदेखी का उदाहरण है। इस संबंध में सहायक यंत्री का कहना कि समय पर कार्य पूर्ण करने हेतु ठेकेदार सरजू प्रसाद ठाकुर को मेरे द्वारा नोटिस दिए जा चुके हैं। जिसका न तो ठेकेदार ने जवाब दिया है न ही अब तक उन्होंने समय वृद्धि हेतु आवेदन किया है। आगे उनसे पेनल्टी की कटौती नियमानुसार की जावेगी। घटिया निर्माण कार्य और गुणवत्ता को लेकर सहायक यंत्री का कहना है कि अंतिम भुगतान करने के पहले सभी कार्य ठीक करवा लिए जाएंगे। यहां सवाल यह है कि समय अवधि समाप्त होने के बाद तक एक भी भवन का न तो कार्य पूर्ण किए गए हैं न ही गुणवत्ता की जांच हुई। जबकि बड़ी राशि का भुगतान गुणवत्ताहीन व घटिया कार्य होने के बाद भी उपयंत्री की अनुशंसा पर किया जा चुका है। तब आगे भी उनके बिल के आधार पर ही बिना किसी जांच के शेष भुगतान ठेकेदार को कर दिया जावेगा। शासन का करोड़ों रुपए बिना देखरेख के गुणवत्ताहीन कार्यों पर खर्च किया जा रहा है समय सीमा और गुणवत्ता पर उपयंत्री से लेकर अधिकारी तक लापरवाह बने हुए है। इन कार्यों की जांच प्रदेश स्तर की टीम से करवाकर ठेकेदारों को किए गए भुगतान और उनके द्वारा किए गए वास्तविक कार्यों की जांच से इन कार्यों में हो रही गड़बड़ियों का बड़ा खुलासा संभव है।

(बाकी है…

गिरने की कगार पर बाउंड्री बिना मरम्मत कर दी पुताई, गेट गायब है तो कहीं मरम्मत के बाद चोक हुई लेट्रिन, समय समाप्त होने के बाद भी जर्जर पड़े उपस्वास्थ्य केंद्र और जिले से लेकर प्रदेश कार्यालय तक भुगतान और कार्यों की जानकारी देने से बच रहा है आदि का खुलासा आगे जारी रहेगा।)

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