अव्यवस्थाओं के बीच खुले शासकीय स्कूल
कई शालाओं में शिक्षकों की कमी, मरम्मत का आभाव
(देव सिंह भारती)
जनपथ टुडे, अमरपुर, डिंडौरी, 23 सितंबर 2021, कोरोना काल के लगभग 18 महीने बाद प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों को संचालित करने के निर्देश शासन द्वारा दिए गए हैं। छात्र भी इतने लंबे अरसे बाद शाला जाने उत्साहित रहे। परंतु शाला भवनों की स्थिति दयनीय होने के कारण सारा उत्साह धरा रह गया। बताया जाता है कि अमरपुर जनपद क्षेत्र के अधिकांश शाला भवनों की छत से पानी रिस रहा हैं। स्कूलों में छात्रों के बैठने के लिए सुखी साफ जगह नहीं हैं। छात्र पानी में भीगते हैं, ऐसी स्थिति में छात्रों को बीमार होने की आशंका बनी हुई हैं।
जानकारी के अनुसार छत टपकने वाले भवनों की मरम्मत कार्य करने शिक्षकों द्वारा अनेकों बार उच्चाधिकारियों को लिखित सूचना दी जा चुकी हैं। परंतु मरम्मत कार्य नहीं हो सका हैं। नाम न छापने की शर्त पर शिक्षकों ने विभाग के अधिकारियों पर यह आरोप लगता कि कार्यालय में खर्च देने पर ही शालाओं में मरम्मत कार्य की राशि दी जाती हैं। इसके पूर्व भी शाला प्रबंधन समितियों के खाते में जमा राशि से मौखिक आदेश पर शाला परिसर में तार की हाताबंदी की गई हैं। जबकि भवन के मरम्मत कार्य को प्राथमिकता दिया जाना अत्यंत आवश्यक था। परंतु काम तो वही किए जाते हैं जिसमें लागत कम लगे। परंतु उन नन्हे-मुन्ने छात्रों की भविष्य की चिंता किसी को नहीं हैं, जिन्हें देश का भविष्य कहा जाता हैं और उन्हीं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं। विकासखंड स्तर के अधिकारियों की दौरा करके अपने क्षेत्र के स्कूल भवनों का मुआयना करना चाहिए, जिन शालाओं को मरम्मत हेतु राशि दी गई उनमें सुधार हुआ या नहीं, जिनको राशि नहीं दी गई उन भवनों में भी मरम्मत की आवश्यकता तो नहीं है? किन्तु अधिकारियों के द्वारा इतनी जेहमत नहीं की जाती जिसके चलते शासन की राशि खर्च होने के बाद भी स्कूल भवन जर्जर स्थिति में है।
इनका कहना हैं:-
“लगभग 55 शालाओं की मरम्मत कार्य के प्रस्ताव भेजे गए हैं किन्तु अभी स्वीकृति नहीं मिली हैं।”
मुकुल पटेल उपयंत्री
“शाला प्रबंधन समिति की राशि से मरम्मत कार्य कराने के निर्देश दिए गए थे।”
सुवेश किशोर दुबे
बीआरसी अमरपुर