अमरपुर में धड़ल्ले बिक रही शासकीय भूमि, शासकीय भवन निर्माण के लिए नहीं जगह

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शासकीय भूमि हड़प गए माफिया, शासकीय भवनों का निर्माण अन्य पंचायतों में हो रहा

प्रशासनिक अनदेखी के चलते माफियाओं के हौसले बुलंद


देव सिंह भारती

जनपथ टुडे, अमरपुर, डिंडौरी, 22 नवंबर 2021, जनपद पंचायत मुख्यालय अमरपुर में शासकीय भवन निर्माण करने के लिए शासकीय भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। कई शासकीय भवन दूसरे गांव और अन्य ग्राम पंचायत में बनाए जा रहे हैं। जबकि मुख्यालय की शासकीय भूमि की माफियाओं द्वारा खुलेआम खरीद फरोख्त की जा रही हैं और संबंधित विभाग जानकर भी अनजान बना हुआ हैं। जिसके चलते भूमाफियाओं की सक्रीयता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं।

शासकीय भूमि के साथ भवन तक निगल गए कथित माफिया

ब्लॉक मुख्यालय अमरपुर के अनेकों शासकीय भवन गायब हो चुके हैं, जिन्हें माफिया हड़प चुके है। इन शासकीय भवनों के मलवे तक जा अता-पता नहीं हैं। कमजोर हो चुके शासकीय भवनों को ध्वस्त कर शासकीय भूमि लोगों द्वारा हथिया ली गई है।

पंचायत के प्रस्ताव के बाद भी नहीं हुई कार्यवाही

समस्या से परेशान स्थानीय ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्ताव पारित कर अतिक्रमण हटाने राजस्व विभाग एवं जिला प्रशासन को पत्र भी भेजा जा चुका हैं। परंतु प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की कठोर कार्यवाही न होने से भूमाफियाओं के हौंसले अब और भी अधिक बुलंदी पर हैं। वहीं बताया जाता है कि एक के बाद एक शासकीय भूमि की खरीद फरोख्त की जा रही हैं। अमरपुर में आदिम जाति बहुउद्देशीय सरकारी समिति की भूमि भी लोगों द्वारा हड़प ली गई है। जिस पर लेम्पस अमरपुर द्वारा सीमांकन कर कब्जा दिलाने का प्रस्ताव कलेक्टर मंडला, एसडीएम डिंडौरी को समिति का प्रस्ताव एवं आवेदन दे चुकी हैं। किन्तु अब तक कोई असरकारक कार्यवाही दिखाई नहीं दी। इसी प्रकार सप्ताहिक हाट बाजार की भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराने ग्राम पंचायत के द्वारा कई बार प्रस्ताव एवं आवेदन देने के उपरांत भी किसी प्रकार की कार्यवाही न होना संदेह को जन्म देता हैं। ऐसे ही आबादी भूमि अमरपुर में बेचे जाने की चर्चा हैं, जबकि आबादी भूमि सिर्फ बसाहट के लिए आरक्षित होती हैं। साथ ही कई शासकीय आवासीय भवन, शासकीय कार्यालय अतिक्रमण से अछूते नहीं हैं।

जबकि ग्राम पंचायत के प्रस्ताव में सभी अतिक्रमण की गई भूमि के खसरा नंबर का भी उल्लेख कर आवेदन किया गया हैं। ये सिर्फ मुख्यालय की स्थिति हैं, ग्रामीण क्षेत्र भी इस प्रकार के अतिक्रमण से अछूते नहीं हैं। ग्राम पंचायतों को शासकीय भवन बनाने की जगह नहीं मिल पा रही हैं। इस प्रकार मुख्यालय सहित पूरा क्षेत्र अतिक्रमण के मकड़जाल में पूरी तरह से दिन-ब-दिन फंसता ही चला जा रहा हैं। किन्तु राजस्व विभाग का अमला पूरी तरह से खामोश बना बैठा है। जिला प्रशासन से जनापेक्षा है कि विकासखंड मुख्यालय के सभी शासकीय कार्यालयों, विभागों और शासकीय भूमि का सीमांकन करवा कर माफियाओं से शासकीय भूमि को मुक्त करवाया जावे।

माफियाओं द्वारा ठगे जा रहे भोले भाले लोग

एक ओर शासकीय भूमि कथित माफियाओं के चंगुल से बचाना प्रशासन के लिए मुश्किल हो रहा है दूसरी तरफ इन माफियाओं के द्वारा शासकीय भूमि पर किए गए अवैध कब्जों को भोले भाले ग्रामीणों को बेचा जा रहा है। भविष्य में अपनी मेहनत की कमाई लगा चुके इन लोगों के सामने संकट खड़ा होगा और तब तक माफिया माल बटोर कर पूरे मामले से अलग ही चुके होगे। जिला प्रशासन को शीघ् इस तरह की अवैध गतिविधियों और शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे को माफियों से मुक्त कराए जाने की कार्यवाही की जाने की जनापेक्षा है।

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