जांच प्रतिवेदन मे हुआ खुलासा बिना अनुमति बनी बहुमंजिला इमारत, होगी कार्यवाही
नगर परिषद ने एसडीएम को सौपा जांच प्रतिवेदन
CMO ने कहा जल्द हटेगा अवैध निर्माण
जनपथ टुडे, शहपुरा, 30 दिसंबर 2021, एक ओर भवन निर्माण से सम्बधित कार्य हेतु आम लोगो के लिए अनेक प्रकार के नियम शासन व्दारा बनाये गये है और जब तक एक आम व्यक्ति उन नियमों को पूरा नही कर देता है तब तक वह अपना आशियाना नही बना सकता है। यदि किसी भी तरह बनाता भी है तो नगर परिषद केकर्मी आकर आम आदमी के बन रहे निर्माण पर रोक लगा देते है। परन्तु आश्चर्य की बात है कि नगरीय क्षेत्र शहपुरा के मुख्यमार्ग मे बहूमंजिला इमारत पिछले कुछ समय में बन कर तैयार हो गई और अब उसमे एक होटल के संचालन होने लगा। उसके बाद नगर पचायत को होश आया कि उक्त नवनिर्मित बहूमजिला इमारत के निर्माण के सम्बन्ध में उनके कार्यालय से अनुमति ही नही ली गई है। जिसके बाद जिला कलेक्टर द्वारा एसडीएम शहपुरा काजल जावला को पत्र लिख सात दिवस में जांच प्रतिवेदन मांगा गया। एसडीएम ने कलेक्टर के पत्र के आधार पर नप सीएमओ को पत्र लिख मामले की जांच व प्रतिवेदन आगामी सात दिवस में मांगा, परन्तु मामले की गम्भीरता के बाद भी नप सीएमओ ने तय अवधि से अधिक समय गुजर जाने के बाद अन्तत 30 दिसम्बर 2021 को प्रतिवेदन एसडीएम कार्यालय भेजा। वही भेजे गये प्रतिवेदन मे वर्णित है कि जबलपुर मार्ग में बनी उपरोक्त आलीशान इमारत जिसमें वर्तमान मे एक होटल संचालित हो रहा है वह नियमों को दरकिनार कर अवैध तौर पर बनाई गई। मामले में सीएमओ ने कहा है कि जल्द ही नगर पचायत व्दारा उपरोक्त अवैध निर्माण को हटाने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जावेगी।
जांच मे सामने आई बड़ी गड़बड़ियां
तमाम निर्देशों के बाद जब नप की जांच टीम मौके पर पहुची, को जांच कर प्रतिवेदन बनाया जिसके आधार पर पाया गया कि मुकेश पाठक पिता रोहणी शरण पाठक के द्वारा भवन निर्माण अनुमति हेतु प्रस्तुत किए गये दस्तावेज में प्रायोजित ढंग से नक्शा संलग्न कर स्वीकृत कराया गया जो कि संबंधित एवं संबंधित के पिता दोनों की भूमि का कुल रकवा (0.008 x 0.032) 0.040हे. है। उक्त दोनों खसरा नं० मे संबंधित द्वारा भवन निर्माण किया गया है मौका जॉच पर भवन के भूतल के सामने का हिस्सा का 17.30मी. तथा भवन के पीछे का हिस्सा 17.40मी. चौड़ा एवं भवन की लंबाई 23.10 मीटर पाया गया। जिसमें नक्शे के अनुसार भवन की चौड़ाई अधिक है साथ ही निर्मित भवन से बाई ओर उमाशंकर पाठक की भूमि की तरफ 0.75मी. का अतिरिक्त अवैधानिक निर्माण पाया गया है।इसके अलावा उक्त निर्मित भवन के दस्तावेज अनुसार जबलपुर, डिण्डौरी एनएच 45ई नेशनल हाइवे के सेंटर से भूमि 12.192 मीटर से शुरू होती है। उक्त भूमि 12.192 मी. से 6 मीटर छोड़कर भवन का निर्माण किया जाना वैधानिक प्रावधान है। अर्थात कुल 18.192 मी० एनएच 45 ई मुख्यमार्ग सेन्टर से भूमि छोड़कर भवन निर्माण करना था परन्तु मौका स्थल पर जॉच में पाया गया कि मुख्य मार्ग से 13.60 मी० ही भूमि छोड़कर भवन निर्माण किया गया है जो कि अवैधानिक है।
प्रक्रिया का खुला उल्लंघन
उक्त निर्मित भवन के तलघर में जाने का रास्ता नेशनल हाईवे के सेन्टर से 5 मीटर छोड़कर बनाया गया है। जबकि तलघर में जाने का रास्ता 12.192 मीटर जगह छोड़कर बनाया जाना था। ऐसी स्थिति में उक्त निर्मित रास्ता अवैध है। उक्त निर्मित भवन की संबंधित के द्वारा प्रथमतल एवं द्वितीय तल निर्माण हेतु अनुमति नहीं ली गई जिसका मौका निरीक्षण किया गया जिसमें द्वितीय तल की चौड़ाई 16.55मी0 एवं लंबाई 24ः35मी0 पाया गया एवं छत के निरीक्षण में कॉलम से कॉलम की चौड़ाई 16.50 मी. एवं लंबाई 22.90 मी. पाया गया साथ ही कॉलम से सामने की तरफ 2.30 मी. की बालकनी एवं शेष तीनों तरफ 1 मी. की बालकनी निर्मित पाई गई। चूँकि उक्त (प्रथम एवं द्वितीय तल) निर्माण बिना अनुमति के निर्मित किया गया है, जो कि अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है। इसके अलावा संबंधित के द्वारा अवैध निर्माण कार्य के साथ ही भवन के पीछे की ओर सेन्टिंग रखकर एवं टीन से बाउन्ड्री बनाकर अवैध अतिक्रमण किया जाना पाया गया है।
भूमि विकास नियमों का भी नही हुआ पाल
जाच प्रतिवेदन में वर्णित है कि व्यावसायिक प्रयोजन से निर्मित मकान जिसकी चौड़ाई 12 मीटर से मीटर तक होता है, प्रस्तावित भवन / मकान के सामने 6 मीटर जगह छोड़कर भवन निर्माण करने का स्पष्ट प्रावधान है। यदि इस नियम के विपरीत भवन निमार्ण किया जाता है तो मप्र भूमि विकास नियम 2012 के नियम 57 (घ) का उल्लघंन करता है। जो कि संबंधित द्वारा सामने नियमानुसार 6 मीटर जगह नहीं छोड़कर नियम का उल्लंघन करना पाया गया है।इसके अलावा उक्त निर्मित मकान /भवन के सामने हिस्सा को छोड़कर तीनों तरफ 4.5 मीटर जगह छोड़कर निर्माण करने का प्रावधान है, जो कि संबंधित द्वारा निर्माण में नहीं किया गया है। एफ.ए.आर. जो कि किसी भवन /मकान बनाए जाने के लिये आवश्यक नियमावली है इसका पालन किया जाना है इस नियम का पालन किए बिना भवन /मकान का निर्माण नहीं किया जा सकता है। म०प्र० भूमि विकास नियम 2012 के नियम 61 अनुसार उक्त भूमि मे निर्मित भवन /मकान में एफ.ए.आर का जिसमे 1.5 रेसियों के आधार पर भवन निर्माण करना था। जो कि इस नियम का पालन नहीं किया गया है।
जल्द हटेगा अवैध निर्माण
जांच टीम व्दारा की गई जांच एव प्रस्तुत किये गये प्रतिवेदन में वर्णित है कि सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना सम्पूर्ण भवन का निर्माण किया गया है। उल्लेखित नियमों के तहत शुल्क अनुज्ञेय निर्मित क्षेत्र के लिए देय होगा जिसमें खुला क्षेत्र, एफएआर, ग्राउंड कवरेज , उचाई आदि शामिल है और अनाधिकृत निर्माण के लिए जो अनुज्ञेय एफएआर से अधिक है जो 30 प्रतिशत की अधिकतम सीमा तक अनाधिकृत निर्माण की सीमा के आधार पर नियमावली मे उल्लेखितज शुल्क देय होगा और यदि अनाधिक्रत निर्माण अनुज्ञेय एफएआर के 30 प्रतिशत से अधिक है तो अतिरिक्त अनाधिकृत निर्माण को हटाने या इस हटाने के बाद ही प्रशमन किया जावेगा।
इनका कहना है-
जबलपुर मार्ग मे बने अवैध निर्माण के विरूध्द जांच करने के सम्बन्ध मे एसडीएम शहपुरा का पत्र प्राप्त हुआ था जिसके अधार पर की गई जांच में निर्माण कार्य अवैध पाया गया। जांच प्रतिवेदन एसडीएम शहपुरा को प्रेषित किया गया है। जल्द ही अवैध निर्माण को हटाने की कार्यवाही की जावेगी।
भूपेन्द्र सिह पंद्रो,
CMO, न.प. शहपुरा
नगर परिषद के जिम्मेदारों पर कार्यवाही होगी ??
मामले में नगर परिषद के अधिकारी निर्माण को अवैध और अनाधिकृत तरीके से बनाया गया बता रहे है। किन्तु सवाल यह भी खड़े हो रहे है कि जब मुख्य मार्ग पर उक्त निर्माण चल रहा था तब नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी, तकनीकी अनुमति देने वाला अमला क्यों आंखे बंद किए हुए बैठा था? उक्त आलीशान भवन का निर्माण एक रात में तो हो नहीं गया तब नगर परिषद को बड़े स्तर पर की गई गड़बड़िया क्यों नहीं दिखाई दी? और अब जब तमाम कार्यवाहियां निर्माणकर्ता के विरूद्ध किए जाने की दलील नगर परिषद दे रहा है। तब अपने कर्तव्य से विमुख बने रहे तकनीकी अमले के ऊपर क्या कार्यवाही होगी, यह आमलोग जानना चाहते है वहीं नगर में इसी तरह से किए गए अन्य अनाधिकृत निर्माणों पर शहपुरा “नगर सरकार” की नजरें कब इनायत होगी इसका भी लोगों को बेसब्री से इंतजार रहेगा। चर्चा यह भी है कि कहीं यह व्यक्ति विशेष के खिलाफ की जा रही कार्यवाही तो नहीं है? यदि ऐसा नहीं है तो नगर में ऐसे अन्य गलत तरीके से किए गए निर्माणों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए।